नई दिल्ली: एनएसए अजीत डोभाल ने अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए रचनात्मक तरीके खोजने की जरूरत पर जोर दिया है. साथ ही कहा कि जब से तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता संभाली है, भारत इस विषम परिस्थिति में भी अफगान लोगों को सहायता देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है. एनएसए के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान की स्थिति की समीक्षा करने वाले चौथे क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद में भाग लेने के लिए गुरुवार को दुशांबे के लिए रवाना हुआ. बता दें कि नवंबर 2021 में नई दिल्ली में आयोजित अफगानिस्तान पर तीसरी क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता के बाद, अफगानिस्तान पर क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता के लिए ताजिकिस्तान, भारत, रूस, कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान, ईरान, किर्गिस्तान और चीन के एनएसए आज 27 मई को दुशांबे में मिले.
दिल्ली घोषणापत्र में निहित भावना को आगे बढ़ाते हुए, एनएसए ने आज यानी शुक्रवार को अफगानिस्तान और क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की. उन्होंने अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने और क्षेत्र से पैदा होने वाले आतंकवाद के जोखिमों से निपटने के लिए रचनात्मक तरीके खोजने की जरूरत है. भारत का अफगानिस्तान के साथ ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध हैं. भारत सदैव अफगानिस्तान और अफगानियों के साथ खड़ा रहा है. यह भारत के दृष्टिकोण को बताने के लिए काफी है. भारत ने दशकों से बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी और मानवीय सहायता पर ध्यान केंद्रित किया है. अगस्त 2021 के बाद भारत पहले ही 50,000 मीट्रिक टन की कुल प्रतिबद्धता में से 17000 मीट्रिक टन गेहूं, Covaxin की 500000 खुराक, 13 टन आवश्यक जीवन रक्षक दवाएं और सर्दियों के कपड़ों के साथ-साथ पोलियो वैक्सीन की 60 मिलियन खुराक दे चुका है.
क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले आतंकवाद और आतंकवादी समूहों का मुकाबला करने के लिए अफगानिस्तान की क्षमता बढ़ाने के लिए वार्ता में उपस्थित सभी लोगों की आवश्यकता है. सर्वोच्च प्राथमिकता जीवन और सम्मानजनक जीवन के साथ-साथ सभी के मानवाधिकारों की सुरक्षा होनी चाहिए. सहायता सभी के लिए सुलभ होनी चाहिए और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत सभी का सम्मान सुनिश्चित होना चाहिए. एनएसए डोभाल कहा कि किसी भी समाज के भविष्य के लिए महिलाएं और युवा महत्वपूर्ण हैं. लड़कियों को शिक्षा और महिलाओं और युवाओं को रोजगार देने से उत्पादकता और विकास को बढ़ावा मिलेगा. इसका समाज पर सकारात्मक प्रभाव भी पडेगा. जिसमें युवाओं के बीच कट्टरपंथी विचारधाराओं को हतोत्साहित करना भी शामिल है.
भारत अफगानिस्तान में एक महत्वपूर्ण हितधारक था और है. सदियों से अफगानिस्तान के लोगों के साथ विशेष संबंध भारत के दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करेंगे. इसे कुछ भी नहीं बदल सकता है. क्षेत्रीय संवाद सदस्यों के सामूहिक प्रयासों से, हम अफगानिस्तान के गौरवान्वित लोगों को एक बार फिर एक समृद्ध और जीवंत राष्ट्र बनाने में मदद कर सकते हैं. एनएसए ने बैठक के इतर ईरान, ताजिकिस्तान, रूस और वार्ता में अन्य भागीदारों के अपने समकक्षों से मिलने का अवसर लिया.
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