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भारत में अभी भी 5 में से 1 लड़की और 6 में से 1 लड़के की शादी बचपन में ही हो जाती है : लैंसेट

भारत सहित विश्व के कई देशों में आज भी बाल-विवाह की प्रथा कायम है. भारत के संबंध में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की डेटा के आधार पर लैंसेट ने दावा किया है कि लड़के व लड़कियों की शादी बचपन में हो जाने का दावा किया है. married in childhood, Child Marriage In India, married in childhood.

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By IANS

Published : Dec 17, 2023, 7:58 PM IST

न्यूयॉर्क : द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, बाल विवाह का चलन अब भी जारी है. पांच में से एक लड़की और छह में से एक लड़के की अभी भी बचपन में ही शादी हो रही है. हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन से पता चला है कि भारत में बाल विवाह में गिरावट आई है लेकिन हाल के वर्षों में यह प्रथा कुछ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अधिक प्रचलित हो गई है.

बाल विवाह मानवाधिकार उल्लंघन है, लिंग और यौन-आधारित हिंसा का एक मान्यता प्राप्त रूप है. जीरो बाल विवाह तक पहुंचने में भारत की सफलता संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 5.3 को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है.

जनसंख्या स्वास्थ्य और भूगोल के प्रोफेसर, प्रमुख लेखक एसवी सुब्रमण्यम ने कहा, 'यह अध्ययन यह अनुमान लगाने वाले पहले अध्ययनों में से एक है कि राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्तर पर समय के साथ लड़की और लड़के के बाल विवाह की दर में कैसे बदलाव आया है. विशेष रूप से लड़के के बाल विवाह को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. आज तक, इसकी व्यापकता का अनुमान लगाने वाला लगभग कोई शोध नहीं हुआ है.'

एसवी सुब्रमण्यम ने कहा, 'हमारे निष्कर्ष भारत में बाल विवाह के बोझ को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो प्रभावी नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण होगा.'

हालांकि, भारत कानूनी रूप से बाल विवाह को लड़कियों के लिए 18 वर्ष की आयु से पहले और लड़कों के लिए 21 वर्ष की आयु से पहले विवाह के रूप में परिभाषित करता है. अध्ययन के प्रयोजनों के लिए शोधकर्ताओं ने इसे दोनों लिंगों के लिए 18 वर्ष की आयु से पहले विवाह के रूप में परिभाषित किया है.

अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 1993, 1999, 2006, 2016 और 2021 से भारत के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की डेटा का उपयोग किया. अध्ययन में पाया गया कि 1993 से 2021 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर बाल विवाह में गिरावट आई है.

बालिका बाल विवाह का प्रचलन 1993 में 49 प्रतिशत से घटकर 2021 में 22 प्रतिशत हो गया, जबकि बालक बाल विवाह 2006 में 7 प्रतिशत से घटकर 2021 में 2 प्रतिशत हो गया. लड़कों के बाल विवाह की भारतीय कानूनी परिभाषा का उपयोग करते हुए, इसका प्रचलन बहुत अधिक था। साल 2006 में 29 प्रतिशत और 202 में 15 प्रतिशत था.

हालांकि, हाल के वर्षों में बाल विवाह की प्रथा को रोकने की दिशा में प्रगति रुकी हुई है। बाल विवाह के प्रचलन में सबसे बड़ी कमी 2006 और 2016 के बीच हुई, सबसे कम कमी 2016 और 2021 के बीच हुई.

वास्तव में, इन बाद के वर्षों के दौरान छह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (मणिपुर, पंजाब, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल सहित) में लड़कियों के बाल विवाह में वृद्धि देखी गई और आठ (छत्तीसगढ़, गोवा, मणिपुर और पंजाब सहित) में लड़कों के बाल विवाह में वृद्धि देखी गई.

2021 तक, शोधकर्ताओं ने 20-24 आयु वर्ग की 13.4 मिलियन से अधिक महिलाओं और 1.4 मिलियन से अधिक पुरुषों की गिनती की, जिनकी शादी बचपन में हुई थी. नतीजों से पता चला कि पांच लड़कियों में से एक और छह लड़कों में से लगभग एक की शादी अभी भी भारत की शादी की कानूनी उम्र से कम है.

पति ने की तीसरी शादी तो पहली पत्नी बंगाल से पहुंची बिहार, लड़के के घरवालों ने की पिटाई

न्यूयॉर्क : द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, बाल विवाह का चलन अब भी जारी है. पांच में से एक लड़की और छह में से एक लड़के की अभी भी बचपन में ही शादी हो रही है. हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन से पता चला है कि भारत में बाल विवाह में गिरावट आई है लेकिन हाल के वर्षों में यह प्रथा कुछ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अधिक प्रचलित हो गई है.

बाल विवाह मानवाधिकार उल्लंघन है, लिंग और यौन-आधारित हिंसा का एक मान्यता प्राप्त रूप है. जीरो बाल विवाह तक पहुंचने में भारत की सफलता संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 5.3 को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है.

जनसंख्या स्वास्थ्य और भूगोल के प्रोफेसर, प्रमुख लेखक एसवी सुब्रमण्यम ने कहा, 'यह अध्ययन यह अनुमान लगाने वाले पहले अध्ययनों में से एक है कि राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्तर पर समय के साथ लड़की और लड़के के बाल विवाह की दर में कैसे बदलाव आया है. विशेष रूप से लड़के के बाल विवाह को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. आज तक, इसकी व्यापकता का अनुमान लगाने वाला लगभग कोई शोध नहीं हुआ है.'

एसवी सुब्रमण्यम ने कहा, 'हमारे निष्कर्ष भारत में बाल विवाह के बोझ को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो प्रभावी नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण होगा.'

हालांकि, भारत कानूनी रूप से बाल विवाह को लड़कियों के लिए 18 वर्ष की आयु से पहले और लड़कों के लिए 21 वर्ष की आयु से पहले विवाह के रूप में परिभाषित करता है. अध्ययन के प्रयोजनों के लिए शोधकर्ताओं ने इसे दोनों लिंगों के लिए 18 वर्ष की आयु से पहले विवाह के रूप में परिभाषित किया है.

अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 1993, 1999, 2006, 2016 और 2021 से भारत के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की डेटा का उपयोग किया. अध्ययन में पाया गया कि 1993 से 2021 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर बाल विवाह में गिरावट आई है.

बालिका बाल विवाह का प्रचलन 1993 में 49 प्रतिशत से घटकर 2021 में 22 प्रतिशत हो गया, जबकि बालक बाल विवाह 2006 में 7 प्रतिशत से घटकर 2021 में 2 प्रतिशत हो गया. लड़कों के बाल विवाह की भारतीय कानूनी परिभाषा का उपयोग करते हुए, इसका प्रचलन बहुत अधिक था। साल 2006 में 29 प्रतिशत और 202 में 15 प्रतिशत था.

हालांकि, हाल के वर्षों में बाल विवाह की प्रथा को रोकने की दिशा में प्रगति रुकी हुई है। बाल विवाह के प्रचलन में सबसे बड़ी कमी 2006 और 2016 के बीच हुई, सबसे कम कमी 2016 और 2021 के बीच हुई.

वास्तव में, इन बाद के वर्षों के दौरान छह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (मणिपुर, पंजाब, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल सहित) में लड़कियों के बाल विवाह में वृद्धि देखी गई और आठ (छत्तीसगढ़, गोवा, मणिपुर और पंजाब सहित) में लड़कों के बाल विवाह में वृद्धि देखी गई.

2021 तक, शोधकर्ताओं ने 20-24 आयु वर्ग की 13.4 मिलियन से अधिक महिलाओं और 1.4 मिलियन से अधिक पुरुषों की गिनती की, जिनकी शादी बचपन में हुई थी. नतीजों से पता चला कि पांच लड़कियों में से एक और छह लड़कों में से लगभग एक की शादी अभी भी भारत की शादी की कानूनी उम्र से कम है.

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