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सीडब्ल्यूसी की बैठक में पारित तीनों प्रस्तावों में कांग्रेस ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर निशाना साधा - कांग्रेस ने मोदी सरकार

कोविड -19 वैश्विक महामारी के दौरान कांग्रेस कार्यसमिति ने शनिवार को सीडब्ल्यूसी की बैठक में राजनीतिक हालात, कृषि संकट और किसानों पर हमले तथा महंगाई एवं अर्थव्यवस्था की स्थिति पर तीन प्रस्ताव भी पारित किये गए. पढ़िए ईटीवी के वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट...

सीडब्ल्यूसी की बैठक
सीडब्ल्यूसी की बैठक
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Published : Oct 17, 2021, 12:50 AM IST

नई दिल्ली : कोविड -19 वैश्विक महामारी के दौरान कांग्रेस कार्यसमिति ने शनिवार को सीडब्ल्यूसी की बैठक में राजनीतिक हालात, कृषि संकट और किसानों पर हमले तथा महंगाई एवं अर्थव्यवस्था की स्थिति पर तीन प्रस्ताव भी पारित किये गए. साथ ही प्रस्तावों में प्रधानमंत्री केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर निशाना साधाने के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण और किसान आंदोलन सहित अन्य मुद्दों के लिए सरकार पर हमला किया.

कांग्रेस ने शनिवार को केंद्र सरकार पर अर्थव्यवस्था के 'कुप्रबंधन' का आरोप लगाया और कहा कि सरकार को उत्पाद शुल्क में कमी करनी चाहिए ताकि पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम घट सकें. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में महंगाई और देश की आर्थिक स्थिति पर पारित प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में लगातार हो रही गिरावट चिंता का विषय है, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है.

प्रस्ताव में कहा गया है, 'साल 2020-21 में अर्थव्यवस्था में गिरावट के बाद सरकार ने कहा था कि यह पटरी पर आ जाएगी. सभी संकेत इसी बात के हैं कि अर्थव्यवस्था अब भी संघर्ष कर रही है. महामारी के दौरान बड़ी संख्या में जो नौकरियां खत्म हुई थीं, वो दोबारा सृजित नहीं हुईं.' सीडब्ल्यूसी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार महंगाई के जरिये लोगों को 'लूट' रही है. उसने कहा कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर जो हालात पैदा हुए हैं वो सरकार के 'कुप्रबंधन' का नतीजा हैं तथा अब भी आर्थिक अनिश्चितता की स्थिति दिखाई देती है. सीडब्ल्यूसी ने कहा कि सरकार को उत्पाद शुल्क में कटौती करनी चाहिए ताकि पेट्रोलियम उत्पादों के दाम कम हो सकें और लोगों को राहत मिल सके.

बीएसएफ के अधिकार बढ़ाने से जुड़ी अधिसूचना वापस लेने के लिए सरकार को विवश किया जाएगा

इसीक्रम में कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को अंतरराष्ट्रीय सीमा से मौजूदा 15 किलोमीटर की जगह 50 किलोमीटर के बड़े क्षेत्र में तलाशी लेने, जब्ती करने और गिरफ्तार करने का अधिकार दिए जाने को राज्यों के अधिकार में अतिक्रमण करार देते हुए कहा कि विभिन्न पक्षों और दलों के साथ मिलकर सरकार को इस अधिसूचना को वापस लेने के लिए विवश किया जाएगा.

सीडब्ल्यूसी की बैठक में देश के राजनीतिक हालात पर पारित प्रस्ताव में यह कहा गया है. प्रस्ताव में कहा गया है, 'कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार की ओर से जारी उस अधिसूचना पर गंभीर चिंता प्रकट की है, जो केंद्रीय सुरक्षा बलों को किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने और तलाशी लेने का अधिकार देता है.' सीडब्ल्यूसी ने कहा, 'यह राज्यों की कार्यकारी शक्ति पर खतरनाक अतिक्रमण है. कांग्रेस सभी संबंधित पक्षों, अन्य राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श करेगी तथा आगे कदम उठाएगी ताकि केंद्र सरकार यह अधिसूचना वापस लेने पर विवश हो सके.'

ये भी पढ़ें - कांग्रेस को सितंबर 2022 में मिलेगा नया अध्यक्ष, सोनिया बोलीं - 'तब तक मैं ही फुल टाइम अध्यक्ष'

कांग्रेस कार्यसमिति ने दावा किया, 'देश में आंतरिक और बाहरी सुरक्षा, दोनों को लेकर मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय सुरक्षा से गंभीर खिलवाड़ और समझौता किया है. एक साल के करीब बीत गया, परंतु चीन अब भी डेपसांग, गोगरा हॉट स्प्रिंग पर कब्जा किये बैठा है और प्रधानमंत्री के मुंह से चीन शब्द नहीं निकलता.' राजनीतिक हालात से संबंधित इस प्रस्ताव में कहा गया है, 'तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर लगातार हमले हो रहे हैं. पर सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगती. जम्मू-कश्मीर में चुनाव करवाने और पूर्ण प्रांत का दर्जा देने की बजाय सरकार केवल बहाने ढूंढती है.'

सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव में पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों की स्थिति को लेकर भी चिंता प्रकट की गई है. कांग्रेस कार्यसमिति ने यह भी कहा कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, पिछड़े वर्गों और उनके अधिकारों पर 'हमले' चिंताजनक हैं. प्रस्ताव में अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर भी चिंता प्रकट की गई है. इसमें आरोप लगाया गया है कि मोदी सरकार देश की संपत्तियों को बेचने में लगी है.

कांग्रेस ने अजय मिश्रा की बर्खास्तगी नहीं होने पर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा

सीडब्ल्यूसी ने लखीमपुर हिंसा में मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा को बर्खास्त नहीं किए जाने को लेकर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि यह घटना भाजपा की 'हठधर्मिता' को दिखाती है. सीडब्ल्यूसी की बैठक में 'गंभीर कृषि संकट और भारत के किसानों पर बर्बर हमला' विषय पर प्रस्ताव पारित कर तीनों कृषि कानूनों को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा गया.

प्रस्ताव में कहा गया है, 'खेती के तीन 'काले कानून' मोदी सरकार द्वारा मुट्ठीभर पूंजीपति मित्रों को मुनाफा कमवाने के लिए भारत के अन्नदाता किसानों का दमन करने की एक कुत्सित साजिश की पराकाष्ठा है. साढ़े दस महीनों से, लाखों किसान दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. अपने हक की इस लड़ाई में लगभग एक हजार किसान अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन मोदी सरकार उनकी बात तक सुनने को तैयार नहीं.'

सीडब्ल्यूसी ने कहा, 'लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलकर मारने की घटना सरकार की हठधर्मिता प्रदर्शित करती है. यह घटना केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की ओर से सार्वजनिक रूप से धमकी दिए जाने के बाद घटित हुई. इस धमकी से उनका संदिग्ध अतीत स्पष्ट होता है.' प्रस्ताव में कहा गया है, 'जब कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में जनता द्वारा दबाव डाले जाने पर गृह मामलों के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री के बेटे को आरोपी मानकर गिरफ्तार कर लिया गया है, तब भी प्रधानमंत्री जी ने मंत्री को बर्खास्त करने से इंकार कर दिया है. कांग्रेस कार्यसमिति राहुल गांधी द्वारा साहस व निरंतरता से किसानों के मुद्दों के लिए लड़ने और प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा दृढ़ता से उत्तर प्रदेश में किसानों की हत्या के खिलाफ लड़ाई की सराहना करती है.'

सीडब्ल्यूसी ने आरोप लगाया, 'लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला मोदी सरकार के कारनामों का एक और दुखद व लज्जाविहीन पहलू है. भारत ने लोकतंत्र के रूप अपनी मान्यता खो दी है, इसे अब निर्वाचित अधिनायकवाद के रूप में देखा जाने लगा है. संसद की तिरस्कारपूर्ण अवमानना की गई.' उसने कहा, 'मीडिया को झूठे मामलों में फंसाकर और छापे मारकर अपने वश में करने के लिए धमकाया गया. गैर-सरकारी संगठनों (NGO) को धमकाया गया और उनकी कल्याणकारी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई. लोगों की आवाज दबाने के लिए सरकारी एजेंसियों का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया गया.'

कांग्रेस की सर्वोच्च इकाई ने कहा, 'सरकार ने दुर्भावनापूर्ण स्पाइवेयर द्वारा गुप्त रूप से लोगों के व्यक्तिगत जीवन में घुसपैठ की. लोकतंत्र के हर पहलू को कमजोर किया गया. कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार द्वारा भारत देश को 'नागरिकों के ऊपर जासूसी और पुलिस द्वारा निगरानी तंत्र' में बदलने के हर षडयंत्रकारी प्रयास का विरोध करेगी.' प्रस्ताव में कहा गया है, 'कांग्रेस कार्य समिति का विश्वास है कि हमारी जिम्मेदारी है, लोगों को आने वाले खतरों के प्रति आगाह करना. हम ऐसा करते हुए सभी लोकतांत्रिक दलों और शक्तियों से आह्वान करते हैं कि सभी मिलकर मोदी सरकार से उत्पन्न इन चुनौतियों का दृढ़ता से मुकाबला करें, ताकि देश के नागरिकों की बेहतरी हो सके और उन मूल्यों का संरक्षण हो, जिन पर इस देश का निर्माण हुआ था.'

नई दिल्ली : कोविड -19 वैश्विक महामारी के दौरान कांग्रेस कार्यसमिति ने शनिवार को सीडब्ल्यूसी की बैठक में राजनीतिक हालात, कृषि संकट और किसानों पर हमले तथा महंगाई एवं अर्थव्यवस्था की स्थिति पर तीन प्रस्ताव भी पारित किये गए. साथ ही प्रस्तावों में प्रधानमंत्री केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर निशाना साधाने के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण और किसान आंदोलन सहित अन्य मुद्दों के लिए सरकार पर हमला किया.

कांग्रेस ने शनिवार को केंद्र सरकार पर अर्थव्यवस्था के 'कुप्रबंधन' का आरोप लगाया और कहा कि सरकार को उत्पाद शुल्क में कमी करनी चाहिए ताकि पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम घट सकें. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में महंगाई और देश की आर्थिक स्थिति पर पारित प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में लगातार हो रही गिरावट चिंता का विषय है, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है.

प्रस्ताव में कहा गया है, 'साल 2020-21 में अर्थव्यवस्था में गिरावट के बाद सरकार ने कहा था कि यह पटरी पर आ जाएगी. सभी संकेत इसी बात के हैं कि अर्थव्यवस्था अब भी संघर्ष कर रही है. महामारी के दौरान बड़ी संख्या में जो नौकरियां खत्म हुई थीं, वो दोबारा सृजित नहीं हुईं.' सीडब्ल्यूसी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार महंगाई के जरिये लोगों को 'लूट' रही है. उसने कहा कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर जो हालात पैदा हुए हैं वो सरकार के 'कुप्रबंधन' का नतीजा हैं तथा अब भी आर्थिक अनिश्चितता की स्थिति दिखाई देती है. सीडब्ल्यूसी ने कहा कि सरकार को उत्पाद शुल्क में कटौती करनी चाहिए ताकि पेट्रोलियम उत्पादों के दाम कम हो सकें और लोगों को राहत मिल सके.

बीएसएफ के अधिकार बढ़ाने से जुड़ी अधिसूचना वापस लेने के लिए सरकार को विवश किया जाएगा

इसीक्रम में कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को अंतरराष्ट्रीय सीमा से मौजूदा 15 किलोमीटर की जगह 50 किलोमीटर के बड़े क्षेत्र में तलाशी लेने, जब्ती करने और गिरफ्तार करने का अधिकार दिए जाने को राज्यों के अधिकार में अतिक्रमण करार देते हुए कहा कि विभिन्न पक्षों और दलों के साथ मिलकर सरकार को इस अधिसूचना को वापस लेने के लिए विवश किया जाएगा.

सीडब्ल्यूसी की बैठक में देश के राजनीतिक हालात पर पारित प्रस्ताव में यह कहा गया है. प्रस्ताव में कहा गया है, 'कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार की ओर से जारी उस अधिसूचना पर गंभीर चिंता प्रकट की है, जो केंद्रीय सुरक्षा बलों को किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने और तलाशी लेने का अधिकार देता है.' सीडब्ल्यूसी ने कहा, 'यह राज्यों की कार्यकारी शक्ति पर खतरनाक अतिक्रमण है. कांग्रेस सभी संबंधित पक्षों, अन्य राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श करेगी तथा आगे कदम उठाएगी ताकि केंद्र सरकार यह अधिसूचना वापस लेने पर विवश हो सके.'

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कांग्रेस कार्यसमिति ने दावा किया, 'देश में आंतरिक और बाहरी सुरक्षा, दोनों को लेकर मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय सुरक्षा से गंभीर खिलवाड़ और समझौता किया है. एक साल के करीब बीत गया, परंतु चीन अब भी डेपसांग, गोगरा हॉट स्प्रिंग पर कब्जा किये बैठा है और प्रधानमंत्री के मुंह से चीन शब्द नहीं निकलता.' राजनीतिक हालात से संबंधित इस प्रस्ताव में कहा गया है, 'तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर लगातार हमले हो रहे हैं. पर सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगती. जम्मू-कश्मीर में चुनाव करवाने और पूर्ण प्रांत का दर्जा देने की बजाय सरकार केवल बहाने ढूंढती है.'

सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव में पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों की स्थिति को लेकर भी चिंता प्रकट की गई है. कांग्रेस कार्यसमिति ने यह भी कहा कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, पिछड़े वर्गों और उनके अधिकारों पर 'हमले' चिंताजनक हैं. प्रस्ताव में अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर भी चिंता प्रकट की गई है. इसमें आरोप लगाया गया है कि मोदी सरकार देश की संपत्तियों को बेचने में लगी है.

कांग्रेस ने अजय मिश्रा की बर्खास्तगी नहीं होने पर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा

सीडब्ल्यूसी ने लखीमपुर हिंसा में मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा को बर्खास्त नहीं किए जाने को लेकर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि यह घटना भाजपा की 'हठधर्मिता' को दिखाती है. सीडब्ल्यूसी की बैठक में 'गंभीर कृषि संकट और भारत के किसानों पर बर्बर हमला' विषय पर प्रस्ताव पारित कर तीनों कृषि कानूनों को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा गया.

प्रस्ताव में कहा गया है, 'खेती के तीन 'काले कानून' मोदी सरकार द्वारा मुट्ठीभर पूंजीपति मित्रों को मुनाफा कमवाने के लिए भारत के अन्नदाता किसानों का दमन करने की एक कुत्सित साजिश की पराकाष्ठा है. साढ़े दस महीनों से, लाखों किसान दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. अपने हक की इस लड़ाई में लगभग एक हजार किसान अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन मोदी सरकार उनकी बात तक सुनने को तैयार नहीं.'

सीडब्ल्यूसी ने कहा, 'लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलकर मारने की घटना सरकार की हठधर्मिता प्रदर्शित करती है. यह घटना केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की ओर से सार्वजनिक रूप से धमकी दिए जाने के बाद घटित हुई. इस धमकी से उनका संदिग्ध अतीत स्पष्ट होता है.' प्रस्ताव में कहा गया है, 'जब कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में जनता द्वारा दबाव डाले जाने पर गृह मामलों के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री के बेटे को आरोपी मानकर गिरफ्तार कर लिया गया है, तब भी प्रधानमंत्री जी ने मंत्री को बर्खास्त करने से इंकार कर दिया है. कांग्रेस कार्यसमिति राहुल गांधी द्वारा साहस व निरंतरता से किसानों के मुद्दों के लिए लड़ने और प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा दृढ़ता से उत्तर प्रदेश में किसानों की हत्या के खिलाफ लड़ाई की सराहना करती है.'

सीडब्ल्यूसी ने आरोप लगाया, 'लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला मोदी सरकार के कारनामों का एक और दुखद व लज्जाविहीन पहलू है. भारत ने लोकतंत्र के रूप अपनी मान्यता खो दी है, इसे अब निर्वाचित अधिनायकवाद के रूप में देखा जाने लगा है. संसद की तिरस्कारपूर्ण अवमानना की गई.' उसने कहा, 'मीडिया को झूठे मामलों में फंसाकर और छापे मारकर अपने वश में करने के लिए धमकाया गया. गैर-सरकारी संगठनों (NGO) को धमकाया गया और उनकी कल्याणकारी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई. लोगों की आवाज दबाने के लिए सरकारी एजेंसियों का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया गया.'

कांग्रेस की सर्वोच्च इकाई ने कहा, 'सरकार ने दुर्भावनापूर्ण स्पाइवेयर द्वारा गुप्त रूप से लोगों के व्यक्तिगत जीवन में घुसपैठ की. लोकतंत्र के हर पहलू को कमजोर किया गया. कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार द्वारा भारत देश को 'नागरिकों के ऊपर जासूसी और पुलिस द्वारा निगरानी तंत्र' में बदलने के हर षडयंत्रकारी प्रयास का विरोध करेगी.' प्रस्ताव में कहा गया है, 'कांग्रेस कार्य समिति का विश्वास है कि हमारी जिम्मेदारी है, लोगों को आने वाले खतरों के प्रति आगाह करना. हम ऐसा करते हुए सभी लोकतांत्रिक दलों और शक्तियों से आह्वान करते हैं कि सभी मिलकर मोदी सरकार से उत्पन्न इन चुनौतियों का दृढ़ता से मुकाबला करें, ताकि देश के नागरिकों की बेहतरी हो सके और उन मूल्यों का संरक्षण हो, जिन पर इस देश का निर्माण हुआ था.'

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