प्रयागराज : श्री कृष्ण जन्मभूमि कटरा केशव देव स्थित शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का सर्वे कोर्ट कमिश्नर के द्वारा कराए जाने के लिए नियम और शर्तें तय करने तथा कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति करने के मामले में अब हाईकोर्ट 11 जनवरी को सुनवाई करेगा. इससे पूर्व हाईकोर्ट ने 14 दिसंबर को परिसर का सर्वे कराए जाने को मंजूरी दे दी थी, मगर सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति तथा अन्य नियम कायदे तय करने के लिए सोमवार 18 दिसंबर की तिथि नियत की थी.
मस्जिद पक्ष ने सुनवाई टालने का किया अनुरोध
सोमवार को दिन में 2 बजे जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो वक्फ बोर्ड तथा मस्जिद पक्ष के वकीलों ने न्यायालय से यह कहते हुए सुनवाई टालने का अनुरोध किया कि उनकी ओर से मथुरा कृष्ण जन्मभूमि विवाद से संबंधित सभी मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट सुनवाई के लिए स्थानांतरित किए जाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. साथ ही 14 दिसंबर को सर्वे कराए जाने के आदेश को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इन दोनों याचिकाओं पर 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. इसलिए तब तक हाईकोर्ट में इस प्रकरण पर सुनवाई न की जाए.
हिंदू पक्ष ने कहा- सुप्रीम कोर्ट ने कोई स्थगन आदेश नहीं दिया
दूसरी ओर हिंदू पक्ष का कहना था कि 14 दिसंबर के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने कोई स्थगन आदेश नहीं दिया है. इस मामले पर मुस्लिम पक्ष ने 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी, मगर उनको कोई स्थगन आदेश नहीं मिला. इसलिए इस न्यायालय को प्रकरण पर आगे सुनवाई जारी रखनी चाहिए. दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने प्रकरण की सुनवाई के लिए 11 जनवरी 2024 की तिथि नियत कर दी है.
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति समीर कुमार जैन कर रहें हैं. प्रदेश सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता विजय शंकर मिश्र भी कोर्ट में मौजूद रहे. मूल वाद संख्या सात की ओर से याचिका दाखिल करने वाले अनिल सिंह बिसेन ने बताया कि उन्होंने परिसर की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराए जाने की कोर्ट से मांग की है. हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में उपस्थित हुए.
जानें क्या है पूरा विवाद
श्री कृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह मस्जिद परिसर का पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद बना हुआ है. करीब 11 एकड़ की भूमि पर श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर बना हुआ है और 2.37 एकड की भूमि पर शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. हिंदू पक्ष दावा करता है कि 13.37 एकड़ भूमि मंदिर परिसर की है और मुस्लिम पक्ष का दावा है कि 1968 में समझौते के तहत मस्जिद के लिए यह भूमि दी गई थी.
मंदिर के अवशेष मस्जिद में लगे
बता दें कि श्री कृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ शाही ईदगाह कमेटी के बीच हुए 1968 समझौते को अवैध मानता है. इस मामले में हिंदुओं का कहना है कि श्री कृष्ण जन्म भूमि सेवा संघ को समझौता करने का कोई अधिकारी नहीं है. भगवान श्री कृष्ण मंदिर 350 साल पुराना है और औरंगजेब ने उत्तर भारत में कई मंदिरों को तोड़ा था, जिसमें प्रमुख मथुरा श्री कृष्ण भगवान का मंदिर भी शामिल है. मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था और मंदिर के अवशेषों को मस्जिद में लगाया गया, जो कि हिंदू धर्म इस चीज को बर्दाश्त नहीं करेगा.
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