नई दिल्ली : यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पीएम को भेजे पत्र में आईएमए ने कहा कि यूक्रेन से आए सभी मेडिकल स्टूडेंट भारतीय नागरिक हैं. इन लोगों ने भारत में नियामक प्राधिकरणों से पात्रता प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद वहां एडमिशन लिया है. ऐसे में कई चरणों में इन्हें देश के मौजूदा मेडिकल संस्थानों में समायोजित किया जाए. इसके लिए मेडिकल छात्र के संबंधित गृह प्रदेश का ध्यान रखा जाए और उन्हें स्थानीय मेडिकल कॉलेजों में ही समायोजित किया जाए.
हालांकि ये भी कहा गया है कि तात्कालिक सुविधा को मेडिकल कॉलेज में बढ़ी हुई सीटों की क्षमता के तौर पर न माना जाए. इसे सिर्फ भारतीय मेडिकल संस्थानों में उनके बाकी बचे एमबीबीएस कोर्स को पूरा कराने की प्रक्रिया के तौर पर रखा जाए.
आईएमए ने कहा कि पूरी प्रक्रिया के लिए प्रमाणन के सत्यापन की भी आवश्यकता होगी जो कि मेडिकल स्कूलों के सक्षम शैक्षणिक अधिकारियों द्वारा बनाया गया है, जहां उन्हें मूल रूप से यूक्रेन के मेडिकल स्कूलों में भर्ती कराया गया था. आईएमए ने कहा, पास आउट होने पर वे भारतीय मेडिकल ग्रेजुएट के समान ही होंगे. यह न केवल उन सभी के अनिश्चित भाग्य का फैसला करेगा, बल्कि लंबे समय को ध्यान में रखकर भी ठीक होगा.
गुरुवार को 'ईटीवी भारत' ने यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के भविष्य पर संकट को लेकर स्टोरी प्रकाशित की थी. आईएमए के महासचिव डॉ. जयेश एम लेले ने स्थिति को 'बहुत गंभीर' बताया और कहा कि वे इस मामले को केंद्र सरकार के साथ उठाएंगे.
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चिकित्सा निकाय ने कहा कि इस आधार पर भारतीय मेडिकल स्कूलों में इन छात्रों को लिया जाना आवश्यक है. आईएमए ने स्वीकार किया कि मेडिकल छात्रों की अच्छी संख्या है जो यूक्रेन में एक अभूतपूर्व स्थिति के परिणामस्वरूप पैदा हुई मजबूरी के कारण भारत पहुंच गए हैं.