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पीएम की घोषणा के 8 साल बाद भी असम-प.बंगाल से निष्कासित नहीं हुए अवैध बांग्लादेशी

असम और पश्चिम बंगाल में अवैध बांग्लादेशियों के बारे में पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने की पीएम मोदी (PM Narendra Modi) के द्वारा आठ साल पहले की गई घोषणा के बाद भी आज तक उस पर अमल नहीं किया जा सका है. पढ़िए ईटीवी भारत के असम डेस्क इंचार्ज अनूप शर्मा की रिपोर्ट...

illegal Bangladeshi
अवैध बांग्लादेशी (फाइल फोटो)
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Published : May 16, 2022, 8:27 PM IST

हैदराबाद : असम और पश्चिम बंगाल में अवैध बांग्लादेशियों का पता लगाने के साथ ही उन्हें निर्वासित करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के द्वारा 2014 में घोषणा किए जाने के बाद भी आज तक उस पर अमल नहीं किया जा सका है. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव जीतने और 2016 में इसी नारे के बलबूते असम में भाजपा सत्ता में आई थी. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 लोकसभा चुनावों से पहले प्रचार के दौरान असम और पश्चिम बंगाल से अवैध बांग्लादेशियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने के लिए 16 मई की समय सीमा तय की थी. असम और पश्चिम बंगाल दोनों की राज्यों की सीमा बांग्लादेश से लगने की वजह से यहां पर घुसपैठ के मामले दर्ज होते रहते हैं.

हालांकि, 2014 से केंद्र में और 2016 से असम में सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा ने वादे को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया. वहीं सरकार के पास उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि असम में 21 दिसंबर 2021 तक 1,43,466 लोगों को अवैध विदेशी घोषित किया गया था. लेकिन इनमें से केवल 329 को ही फरवरी 2022 तक निर्वासित किया जा सका.

वहीं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Nityanand Rai, Minister of State for Home Affairs) के मुताबिक असम में पिछले साल 31 दिसंबर तक कुल मामलों की संख्या 1,23,829 है. हालांकि मंत्री ने आगे उल्लेख किया कि राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों को इन विदेशियों को रखने के लिए निर्वासित सेंटर की व्यवस्था करने की शक्तियां सौंपी गई है. फिर भी सरकार के पास इन सेंटरों में रहने वाले विदेशियों के बारे में कोई आंकड़ा नहीं है.

इस संबंध में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता नेकिबुर जमां का कहना है कि असम में अवैध बांग्लादेशियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने के लिए सरकार की ओर से सद्भावना की कमी प्रतीत होती है. उन्होंने कहा कि अवैध विदेशियों को निर्वासित करने और असम में विदेशियों का पता लगाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए. साथ ही पूरे देश में 1946 के नागरिकता अधिनियम के तहत ही विदेशी तय किया गया है.

ये भी पढ़ें - असम समझौते के कार्यान्वयन के लिए रूपरेखा तैयार करने के वास्ते सरकार ने समिति बनाई

उन्होंने कहा कि नागरिकता अधिनियम, 1955 लागू होने के तीन साल पहले 1952 में रजिस्टर किया गया था. इसमें असम के लिए समझौता है, जो यह कहता है कि 1971 की 24 मार्च की मध्यरात्रि तक असम में प्रवेश करने वाले सभी लोगों को नागरिक माना जाएगा. हालांकि, इसके बाद अवैध लोगों का आना जारी रहा और इसकी वजह से अवैध विदेशियों की भारी संख्या हो गई. वहीं सरकार के आंकड़ों के अनुसार, अगर 1,43,466 से अधिक व्यक्तियों को विदेशी के रूप में पाया गया है तो सरकार केवल 329 को ही क्यों निर्वासित कर सकती है?" इतना ही नहीं सरकार के पास इन 1,43,466 घोषित अवैध विदेशियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वे कहां पर हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को असम में अवैध विदेशियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने के लिए सक्रिया कदम उठाना चाहिए.

गौरतलब है कि असम ने हाल ही में 31 अगस्त, 2019 को नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) को अपडेट किया था जिसमें 1.9 मिलियन लोगों के नामों को छोड़कर वास्तविक भारतीय नागरिकों के रूप में 31 मिलियन के नाम शामिल थे. जबकि विभिन्न संगठनों ने अद्यतन एनआरसी में त्रुटियों की ओर इशारा किया. वहीं असम में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने भी दस्तावेज़ पर नाखुशी जताते हुए कहा कि इसमें कई वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम शामिल नहीं हैं जबकि इसमें कुछ संदिग्ध नागरिकों के नाम शामिल हैं.

हैदराबाद : असम और पश्चिम बंगाल में अवैध बांग्लादेशियों का पता लगाने के साथ ही उन्हें निर्वासित करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के द्वारा 2014 में घोषणा किए जाने के बाद भी आज तक उस पर अमल नहीं किया जा सका है. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव जीतने और 2016 में इसी नारे के बलबूते असम में भाजपा सत्ता में आई थी. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 लोकसभा चुनावों से पहले प्रचार के दौरान असम और पश्चिम बंगाल से अवैध बांग्लादेशियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने के लिए 16 मई की समय सीमा तय की थी. असम और पश्चिम बंगाल दोनों की राज्यों की सीमा बांग्लादेश से लगने की वजह से यहां पर घुसपैठ के मामले दर्ज होते रहते हैं.

हालांकि, 2014 से केंद्र में और 2016 से असम में सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा ने वादे को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया. वहीं सरकार के पास उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि असम में 21 दिसंबर 2021 तक 1,43,466 लोगों को अवैध विदेशी घोषित किया गया था. लेकिन इनमें से केवल 329 को ही फरवरी 2022 तक निर्वासित किया जा सका.

वहीं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Nityanand Rai, Minister of State for Home Affairs) के मुताबिक असम में पिछले साल 31 दिसंबर तक कुल मामलों की संख्या 1,23,829 है. हालांकि मंत्री ने आगे उल्लेख किया कि राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों को इन विदेशियों को रखने के लिए निर्वासित सेंटर की व्यवस्था करने की शक्तियां सौंपी गई है. फिर भी सरकार के पास इन सेंटरों में रहने वाले विदेशियों के बारे में कोई आंकड़ा नहीं है.

इस संबंध में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता नेकिबुर जमां का कहना है कि असम में अवैध बांग्लादेशियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने के लिए सरकार की ओर से सद्भावना की कमी प्रतीत होती है. उन्होंने कहा कि अवैध विदेशियों को निर्वासित करने और असम में विदेशियों का पता लगाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए. साथ ही पूरे देश में 1946 के नागरिकता अधिनियम के तहत ही विदेशी तय किया गया है.

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उन्होंने कहा कि नागरिकता अधिनियम, 1955 लागू होने के तीन साल पहले 1952 में रजिस्टर किया गया था. इसमें असम के लिए समझौता है, जो यह कहता है कि 1971 की 24 मार्च की मध्यरात्रि तक असम में प्रवेश करने वाले सभी लोगों को नागरिक माना जाएगा. हालांकि, इसके बाद अवैध लोगों का आना जारी रहा और इसकी वजह से अवैध विदेशियों की भारी संख्या हो गई. वहीं सरकार के आंकड़ों के अनुसार, अगर 1,43,466 से अधिक व्यक्तियों को विदेशी के रूप में पाया गया है तो सरकार केवल 329 को ही क्यों निर्वासित कर सकती है?" इतना ही नहीं सरकार के पास इन 1,43,466 घोषित अवैध विदेशियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वे कहां पर हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को असम में अवैध विदेशियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने के लिए सक्रिया कदम उठाना चाहिए.

गौरतलब है कि असम ने हाल ही में 31 अगस्त, 2019 को नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) को अपडेट किया था जिसमें 1.9 मिलियन लोगों के नामों को छोड़कर वास्तविक भारतीय नागरिकों के रूप में 31 मिलियन के नाम शामिल थे. जबकि विभिन्न संगठनों ने अद्यतन एनआरसी में त्रुटियों की ओर इशारा किया. वहीं असम में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने भी दस्तावेज़ पर नाखुशी जताते हुए कहा कि इसमें कई वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम शामिल नहीं हैं जबकि इसमें कुछ संदिग्ध नागरिकों के नाम शामिल हैं.

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