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आईआईटी-मद्रास के शोधकर्ता एचआईवी के खिलाफ कारगर औषधि पर कर रहे काम

आईआईटी मद्रास के एक प्रोफेसर ने कहा कि शोधकर्ता एक नई अवधारणा पर काम कर रहे हैं, जिससे एचआईवी-एड्स के प्रभावी उपचार का मार्ग प्रशस्त होगा. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

आईआईटी-मद्रास
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Published : Feb 18, 2021, 9:06 PM IST

Updated : Feb 18, 2021, 10:28 PM IST

चेन्नई : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के एक प्रोफेसर ने बृहस्पतिवार को कहा कि शोधकर्ता एक नई अवधारणा पर काम कर रहे हैं ,जिससे एचआईवी-एड्स के प्रभावी उपचार का मार्ग प्रशस्त होगा.

जैव प्रौद्योगिकी विभाग में प्रोफेसर संजीव सेनापति के नेतृत्व में अनुसंधान टीम ने 'इलेक्ट्रोस्टेटिक इंटरेक्शन साइट', संभावित दवा के कण पर काम किया है जिससे एचआईवी वायरस के खिलाफ औषधि की प्रभावशीलता बढ़ेगी.

आईआईटी मद्रास से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि एचआईवी के दवा प्रतिरोधक स्वरूप के खात्मे के लिए बेहतर औषधि की जरूरत है. शोधकर्ता दवा के विकास के लिए 'प्रोटीज' के आण्विक ढांचे पर काम कर रहे हैं.

सेनापति ने कहा कि कंप्यूटर के जरिए विश्लेषण का इस्तेमाल करते हुए टीम ने महत्वपूर्ण आंकड़े इकट्ठा किए हैं, जिसका इस्तेमाल प्रभावी औषधि के विकास में किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि मौजूदा औषधि में 'इलेक्ट्रोस्टैटिक' पूरक का अभाव है और इसकी पड़ताल होनी चाहिए क्योंकि यह ज्ञात है कि कणों के बीच इलेक्ट्रोस्टैटिक शक्ति काफी मजबूत होती है. टीम का मानना है कि नए अध्ययन के जरिए एचआईवी के उग्र और प्रतिरोधी दोनों स्वरूपों से बचाव में मदद मिलेगी.

आईआईटी-मद्रास के शोधकर्ता
आईआईटी-मद्रास के शोधकर्ता

यह भी पढ़ें- सांस रोकने से कोविड 19 संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है: आईआईटी मद्रास

विज्ञप्ति में कहा गया कि इस नए विचार के साथ काम करने से एचआईवी-एड्स के लिए औषधि के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा.

चेन्नई : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के एक प्रोफेसर ने बृहस्पतिवार को कहा कि शोधकर्ता एक नई अवधारणा पर काम कर रहे हैं ,जिससे एचआईवी-एड्स के प्रभावी उपचार का मार्ग प्रशस्त होगा.

जैव प्रौद्योगिकी विभाग में प्रोफेसर संजीव सेनापति के नेतृत्व में अनुसंधान टीम ने 'इलेक्ट्रोस्टेटिक इंटरेक्शन साइट', संभावित दवा के कण पर काम किया है जिससे एचआईवी वायरस के खिलाफ औषधि की प्रभावशीलता बढ़ेगी.

आईआईटी मद्रास से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि एचआईवी के दवा प्रतिरोधक स्वरूप के खात्मे के लिए बेहतर औषधि की जरूरत है. शोधकर्ता दवा के विकास के लिए 'प्रोटीज' के आण्विक ढांचे पर काम कर रहे हैं.

सेनापति ने कहा कि कंप्यूटर के जरिए विश्लेषण का इस्तेमाल करते हुए टीम ने महत्वपूर्ण आंकड़े इकट्ठा किए हैं, जिसका इस्तेमाल प्रभावी औषधि के विकास में किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि मौजूदा औषधि में 'इलेक्ट्रोस्टैटिक' पूरक का अभाव है और इसकी पड़ताल होनी चाहिए क्योंकि यह ज्ञात है कि कणों के बीच इलेक्ट्रोस्टैटिक शक्ति काफी मजबूत होती है. टीम का मानना है कि नए अध्ययन के जरिए एचआईवी के उग्र और प्रतिरोधी दोनों स्वरूपों से बचाव में मदद मिलेगी.

आईआईटी-मद्रास के शोधकर्ता
आईआईटी-मद्रास के शोधकर्ता

यह भी पढ़ें- सांस रोकने से कोविड 19 संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है: आईआईटी मद्रास

विज्ञप्ति में कहा गया कि इस नए विचार के साथ काम करने से एचआईवी-एड्स के लिए औषधि के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा.

Last Updated : Feb 18, 2021, 10:28 PM IST
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