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IIT मद्रास के शोधकर्ताओं ने अगली पीढ़ी की बैटरी तकनीक विकसित की - IIT मद्रास नेक्स्ट जेनरेशन बैटरी टेक्नोलॉजी

आईआईटी मद्रास की एक टीम जिंक-एयर बैटरी विकसित करने पर काम कर रही है. वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जाने वाली लिथियम-आयन बैटरी के मुकाबले ये एक किफायती और बेहतर विकल्प बन सकता है.

IIT Madras Researchers Develop Next-Generation Battery Technology that could revolutionise Electric Mobility
IIT मद्रास के शोधकर्ताओं ने अगली पीढ़ी की बैटरी तकनीक विकसित की
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Published : May 31, 2022, 9:25 AM IST

चेन्नई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT Madras) के शोधकर्ता इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जाने वाली लिथियम-आयन बैटरी के विकल्प के रूप में यांत्रिक रूप से रिचार्जेबल जिंक-एयर बैटरी (mechanically rechargeable zinc air batteries) विकसित कर रहे हैं. शोधकर्ताओं इस नई बैटरी तकनीक को लेकर पेटेंट के लिए आवेदन किया है. वहीं, इन जिंक-एयर बैटरियों को विकसित करने के लिए प्रमुख उद्योगों के साथ समन्वय स्थापित कर रहे हैं.

ये मौजूदा लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में किफायती हैं और उनकी शेल्फ लाइफ लंबी है. दोपहिया और तिपहिया वाहनों में जिंक-एयर बैटरी का उपयोग किया जा सकता है. भारत सरकार की अनुकूल नीतियों और प्रदूषण को कम करने के बढ़ते आह्वान के बाद हाल के वर्षों में भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है. इलेक्ट्रिक वाहन में लिथियम-आयन बैटरी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है. चीन, जो लिथियम-आयन बैटरी का एक प्रमुख निर्माता है, इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी निर्माण क्षेत्र पर हावी है. वर्तमान में भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण कंपनियां ज्यादातर चीन से लिथियम-आयन बैटरी आयात करती हैं.

हालांकि, लिथियम-आयन बैटरी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, लेकिन सीमित उपलब्धता जैसी कई सीमाएं हैं. इसके अलावा, भारतीय बाजार की विविध आवश्यकताओं को केवल लिथियम-आयन बैटरी से पूरी तरह से पूरा नहीं किया जा सकता है. आईआईटी मद्रास के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ अरविंद कुमार चंदीरन और उनका शोध समूह लिथियम-आयन बैटरी के लिए एक लागत प्रभावी विकल्प विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है. उन्होंने जिंक-एयर बैटरियों पर ध्यान केंद्रित किया क्योंकि जिंक व्यापक रूप से उपलब्ध संसाधन है.

फ्यूचरिस्टिक मॉडल: अपने शोध के मुख्य फोकस पर प्रकाश डालते हुए, डॉ अरविंद कुमार चंदीरन ने कहा, 'हमारा शोध समूह इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जिंक-एयर बैटरी के लिए एक फ्यूचरिस्टिक मॉडल विकसित कर रहा है. इस शोध के माध्यम से हम मौजूदा तकनीक में कमियों की भी पहचान कर रहे हैं और उन्हें दूर करने के तरीके खोज रहे हैं. अनुसंधान दल ने वर्तमान में जिंक-एयर सेल विकसित किए हैं और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जिंक-एयर पैक विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं.

शोधकर्ता पेट्रोल स्टेशनों की तरह अलग 'जिंक रिचार्ज स्टेशन' पर विचार कर रहे हैं. पेट्रोल स्टेशनों पर ईंधन भरने वाले पारंपरिक वाहनों के मौजूदा मॉडल के समान, जिंक-एयर बैटरी का उपयोग करने वाले इलेक्ट्रिक वाहन उपयोगकर्ता भी बैटरी खत्म होने पर इन स्टेशनों तक पहुंच सकते हैं. यह तकनीक 'बैटरी स्वैपिंग' पर आधारित है जिसमें वाहन उपयोगकर्ता इन 'जिंक रिचार्ज स्टेशनों' पर बैटरी के इस्तेमाल किए गए 'जिंक कैसेट्स' को पूरी तरह चार्ज 'जिंक कैसेट' से स्वैप कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें-1964 की सुनामी में तबाह रामेश्वरम-धनुषकोडी रेलवे लाइन फिर होगी बहाल

आईटी मद्रास में जिंक-एयर बैटरी और लिथियम-आयन बैटरी ऑपरेशनल सेफ्टी पर काम कर रहे एक अन्य रिसर्च स्कॉलर गुंजन कपाड़िया ने कहा, 'स्वदेशी रूप से विकसित जिंक-एयर बैटरी, विशेष रूप से भारतीय संदर्भ में, बेहद सुरक्षित हैं. इलेक्ट्रोलाइट और यह इलेक्ट्रिक वाहन दुर्घटना के सबसे खराब स्थिति में भी आग नहीं पकड़ता है.'

जिंक-एयर बैटरी के लाभ: जिंक भारत में व्यापक रूप से उपलब्ध है और लिथियम-आयन बैटरी के आयात को कम करेगा. लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में जिंक सस्ता है. व्यापक उपयोग के साथ नीचे आने की उम्मीद है. जिंक-एयर बैटरियां भी पानी आधारित होती हैं और इनकी शेल्फ लाइफ लंबी होती है.

चेन्नई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT Madras) के शोधकर्ता इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जाने वाली लिथियम-आयन बैटरी के विकल्प के रूप में यांत्रिक रूप से रिचार्जेबल जिंक-एयर बैटरी (mechanically rechargeable zinc air batteries) विकसित कर रहे हैं. शोधकर्ताओं इस नई बैटरी तकनीक को लेकर पेटेंट के लिए आवेदन किया है. वहीं, इन जिंक-एयर बैटरियों को विकसित करने के लिए प्रमुख उद्योगों के साथ समन्वय स्थापित कर रहे हैं.

ये मौजूदा लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में किफायती हैं और उनकी शेल्फ लाइफ लंबी है. दोपहिया और तिपहिया वाहनों में जिंक-एयर बैटरी का उपयोग किया जा सकता है. भारत सरकार की अनुकूल नीतियों और प्रदूषण को कम करने के बढ़ते आह्वान के बाद हाल के वर्षों में भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है. इलेक्ट्रिक वाहन में लिथियम-आयन बैटरी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है. चीन, जो लिथियम-आयन बैटरी का एक प्रमुख निर्माता है, इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी निर्माण क्षेत्र पर हावी है. वर्तमान में भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण कंपनियां ज्यादातर चीन से लिथियम-आयन बैटरी आयात करती हैं.

हालांकि, लिथियम-आयन बैटरी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, लेकिन सीमित उपलब्धता जैसी कई सीमाएं हैं. इसके अलावा, भारतीय बाजार की विविध आवश्यकताओं को केवल लिथियम-आयन बैटरी से पूरी तरह से पूरा नहीं किया जा सकता है. आईआईटी मद्रास के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ अरविंद कुमार चंदीरन और उनका शोध समूह लिथियम-आयन बैटरी के लिए एक लागत प्रभावी विकल्प विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है. उन्होंने जिंक-एयर बैटरियों पर ध्यान केंद्रित किया क्योंकि जिंक व्यापक रूप से उपलब्ध संसाधन है.

फ्यूचरिस्टिक मॉडल: अपने शोध के मुख्य फोकस पर प्रकाश डालते हुए, डॉ अरविंद कुमार चंदीरन ने कहा, 'हमारा शोध समूह इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जिंक-एयर बैटरी के लिए एक फ्यूचरिस्टिक मॉडल विकसित कर रहा है. इस शोध के माध्यम से हम मौजूदा तकनीक में कमियों की भी पहचान कर रहे हैं और उन्हें दूर करने के तरीके खोज रहे हैं. अनुसंधान दल ने वर्तमान में जिंक-एयर सेल विकसित किए हैं और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जिंक-एयर पैक विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं.

शोधकर्ता पेट्रोल स्टेशनों की तरह अलग 'जिंक रिचार्ज स्टेशन' पर विचार कर रहे हैं. पेट्रोल स्टेशनों पर ईंधन भरने वाले पारंपरिक वाहनों के मौजूदा मॉडल के समान, जिंक-एयर बैटरी का उपयोग करने वाले इलेक्ट्रिक वाहन उपयोगकर्ता भी बैटरी खत्म होने पर इन स्टेशनों तक पहुंच सकते हैं. यह तकनीक 'बैटरी स्वैपिंग' पर आधारित है जिसमें वाहन उपयोगकर्ता इन 'जिंक रिचार्ज स्टेशनों' पर बैटरी के इस्तेमाल किए गए 'जिंक कैसेट्स' को पूरी तरह चार्ज 'जिंक कैसेट' से स्वैप कर सकते हैं.

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आईटी मद्रास में जिंक-एयर बैटरी और लिथियम-आयन बैटरी ऑपरेशनल सेफ्टी पर काम कर रहे एक अन्य रिसर्च स्कॉलर गुंजन कपाड़िया ने कहा, 'स्वदेशी रूप से विकसित जिंक-एयर बैटरी, विशेष रूप से भारतीय संदर्भ में, बेहद सुरक्षित हैं. इलेक्ट्रोलाइट और यह इलेक्ट्रिक वाहन दुर्घटना के सबसे खराब स्थिति में भी आग नहीं पकड़ता है.'

जिंक-एयर बैटरी के लाभ: जिंक भारत में व्यापक रूप से उपलब्ध है और लिथियम-आयन बैटरी के आयात को कम करेगा. लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में जिंक सस्ता है. व्यापक उपयोग के साथ नीचे आने की उम्मीद है. जिंक-एयर बैटरियां भी पानी आधारित होती हैं और इनकी शेल्फ लाइफ लंबी होती है.

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