चेन्नई : IIT मद्रास (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास) के शोधकर्ताओं ने कोशिकाओं में कैंसर पैदा करने वाले परिवर्तनों की पहचान करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artifical Intelligence- AI) आधारित गणितीय मॉडल विकसित किया है. आईआईटी मद्रास का कहना है कि एल्गोरिथम कैंसर (algorithm cancer) की प्रगति के लिए जिम्मेदार आनुवंशिक परिवर्तनों को इंगित करने के लिए डीएनए संरचना का लाभ उठाने की अपेक्षाकृत अस्पष्टीकृत तकनीक का उपयोग किया गया है. अनुसंधान का नेतृत्व प्रो.बी.रवींद्रन, प्रमुख, आरबीसीडीएसएआई और माइंडट्री फैकल्टी फेलो आईआईटी ने किया है.
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस समस्या को एक अलग नजरिए से देखते हुए मुख्य लक्ष्य डीएनए अनुक्रमों में पैटर्न की खोज करना था. एल्गोरिथम कैंसर (algorithm cancer) की प्रगति के लिए जिम्मेदार आनुवंशिक परिवर्तनों को इंगित करने के लिए डीएनए संरचना का लाभ उठाने की अपेक्षाकृत अस्पष्टीकृत तकनीक का उपयोग किया गया है, जो वर्तमान पद्धतियों में उपयोग करना मुश्किल है. परिणाम पीयर-रिव्यू इंटरनेशनल जर्नल कैंसर में प्रकाशित किए गए हैं.
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IIT Madras Researchers developed an AI-based Mathematical Model to identify cancer-causing alterations in cells. The algorithm uses a relatively unexplored technique of leveraging DNA composition to pinpoint genetic alterations responsible for cancer progression: IIT Madras
— ANI (@ANI) July 12, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि कैंसर का कारण
कैंसर मुख्य रूप से आनुवंशिक परिवर्तनों द्वारा संचालित कोशिकाओं (cells) की अनियंत्रित वृद्धि (unnatural growth) के कारण होता है. हाल के वर्षों में, उच्च-थ्रूपुट डीएनए अनुक्रमण ने इन परिवर्तनों के मापन को सक्षम करके कैंसर अनुसंधान के क्षेत्र में क्रांति ला दी है. हालांकि, इन अनुक्रमण डेटासेट की जटिलता और आकार के कारण, कैंसर रोगियों के जीनोम से सटीक परिवर्तनों को इंगित करना बेहद मुश्किल है.
डॉ. कार्तिक रमन, संकाय सदस्य, रॉबर्ट बॉश सेंटर फॉर डेटा साइंस एंड एआई (आरबीसीडीएसएआई) (Robert Bosch Centre for Data Science and AI (RBCDSAI), और समन्वयक, सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव बायोलॉजी एंड सिस्टम्स मेडिसिन (आईबीएसई), आईआईटी मद्रास में मास्टर छात्र श्री शायंतन बनर्जी ने भी प्रदर्शन किया.
मौजूदा मॉडलों में काफी बेहतर
शोधकर्ता रवींद्रन ने कहा, मॉडल 89 प्रतिशत की सटीकता के साथ अच्छी तरह से अध्ययन किए गए ड्राइवरों और कैंसर जीन से उत्परिवर्तन के बीच अंतर कर सकता है. इसके अलावा, NBDriver और तीन अन्य आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले ड्राइवर के पूर्वानुमान एल्गोरिदम के संयोजन के परिणामस्वरूप 95 प्रतिशत की सटीकता हुई, जो मौजूदा मॉडलों में काफी बेहतर था.
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर कार्तिक रमन, भूपत और ज्योति मेहता स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज, आईआईटी मद्रास ने कहा, 'NBDriver ग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफॉर्म (Glioblastoma Multiforme) (जीबीएम), मस्तिष्क या रीढ़ को प्रभावित करने वाले विशेष रूप से आक्रामक प्रकार के कैंसर से पीड़ित रोगियों के 85 प्रतिशत दुर्लभ उत्परिवर्तन की सही पहचान कर सकता है.'
NBDriver सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और इसका उपयोग किसी भी उपयोगकर्ता द्वारा परिभाषित म्यूटेशन के सेट पर पूर्वानुमान प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है. संक्षेप में, एक नया उत्परिवर्तन और उसके आस-पास के डीएनए मेकअप को देखते हुए, कोई भी इसके वर्ग की भविष्यवाणी करने में सक्षम होगा.
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