ETV Bharat / bharat

IIT Madras: पेरिस ओलंपिक से पहले खिलाड़ियों के लिए स्मार्ट ट्रेनिंग सॉफ्टवेयर बना रहा आईआईटी मद्रास

2024 के ओलंपिक से पहले मद्रास स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT Madras) खिलाड़ियों की मदद के लिए सॉफ्टवेयर विकसित कर रहा है. इसके जरिए खिलाड़ी बेहतर ट्रेनिंग ले सकेंगे.

IIT Madras
आईआईटी मद्रास
author img

By

Published : Aug 20, 2023, 3:41 PM IST

नई दिल्ली : पेरिस ओलंपिक 2024 से भारतीय खिलाड़ियों को अधिक पदक जीतने में मदद करने के लिए मद्रास स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) उपकरण और सॉफ्टवेयर विकसित कर रहा है (smart training solutions to help Indian coaches).

ये उपकरण और सॉफ्टवेयर खिलाड़ी व कोच की तैयारी और प्रशिक्षण को अधिकतम स्तर पर ले जाने में मददगार होगा. 'स्मार्टबॉक्सर' से भारतीय मुक्केबाजों को खेल का मूल्यांकन प्रदान करने से लेकर 'स्वैट मॉनिटर' जैसे उपकरणों का निर्माण करने के बाद आईआईटी मद्रास अब खिलाड़ियों और कोचों दोनों के काम को आसान करने के साथ विदेशी मदद पर निर्भरता कम करना चाहता है.

अधिकारियों का कहना है कि दूसरे देश अपनी तकनीक को स्वतंत्र रूप से साझा नहीं करना चाहते हैं, जिसके कारण भारतीय खिलाड़ियों को नुकसान होता है और उन्हें उन्नत खेल तकनीक के साथ प्रशिक्षण के लिए विदेश यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

आईआईटी मद्रास में खेल विज्ञान और विश्लेषण विभाग के उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) के प्रमुख महेश पंचागनुला ने कहा, 'हमारे बहुत से एथलीट प्रशिक्षण के लिए विदेश जाते हैं. वे मूल रूप से विदेशी तकनीक और कोच दोनों पर बहुत अधिक निर्भर रहते हैं. इससे हमारी मुद्रा कोष पर बहुत बड़ा बोझ पड़ता और व्यापक तौर पर खिलाड़ियों को बहुत ज्यादा लाभ नहीं होता है.'

पंचागनुला ने कहा कि हम इस मामले में कमी को दूर करने के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के साथ काम कर रहे है. उन्होंने कहा, 'हम कोच की समस्या का समाधान नहीं कर सकते लेकिन तकनीक से जुड़ी समस्याओं का समाधान निकाल सकते है.'

उन्होंने कहा, 'हम भारतीय खेल प्राधिकरण के अलावा विभिन्न खेल महासंघों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम जो विकसित कर रहे हैं वह वास्तव में खिलाड़ियों के लिए उपयोगी है.'

पंचागनुला ने कहा, 'हमारा लक्ष्य अगले दस वर्षों में (भारत को ओलंपिक जैसे खेल में) कम से कम 25 स्वर्ण पदक दिलाने में मदद करना है.' इसके साथ ही हम ऐसे मॉडल को विकसित करने पर ध्यान दे रहे हैं जो स्वदेशी तकनीक पर आधारित हो और भारत के लिए टिकाऊ हो.

शोधकर्ता खिलाड़ियों के लिए 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)' और 'इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी)' पर आधारित समाधान डिजाइन कर रहे हैं. आईआईटी मद्रास द्वारा विकसित की जा रही तकनीकों में एक 'कोंबैट' खेल प्रयोगशाला, तीरंदाजी के लिए प्रदर्शन मॉडल, कम लागत वाली कस्टम इमेजिंग, पहनने योग्य स्वैट मॉनिटर, पहनने योग्य अल्ट्रासाउंड मॉनिटर, बॉल-फ्लाइट डायनेमिक मॉडल, फोर्स प्लेट्स, हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी और फूड स्कैनर शामिल हैं.

आईआईटी मद्रास के एसोसिएट प्रोफेसर बाबजी श्रीनिवासन ने कहा, 'हमने 2024 ओलंपिक में भारत की मुक्केबाजी पदक तालिका बढ़ाने के लिए एक लागत प्रभावी मुक्केबाजी मूल्यांकन मंच 'स्मार्टबॉक्सर' विकसित किया है.'

उन्होंने कहा, 'इसमें खिलाड़ी के प्रदर्शन के बारे में विश्लेषण प्रदान करने के लिए 'आईओटी' आधारित सेंसर और वीडियो कैमरों का उपयोग शामिल है.'

ये भी पढ़ें- IIT Madras: म्यूकस और टीकाकरण के एरोसोलाइजेशन को नियंत्रित करने से COVID-19 संक्रमण को रोकने में मिलेगी मदद - शोधकर्ता

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : पेरिस ओलंपिक 2024 से भारतीय खिलाड़ियों को अधिक पदक जीतने में मदद करने के लिए मद्रास स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) उपकरण और सॉफ्टवेयर विकसित कर रहा है (smart training solutions to help Indian coaches).

ये उपकरण और सॉफ्टवेयर खिलाड़ी व कोच की तैयारी और प्रशिक्षण को अधिकतम स्तर पर ले जाने में मददगार होगा. 'स्मार्टबॉक्सर' से भारतीय मुक्केबाजों को खेल का मूल्यांकन प्रदान करने से लेकर 'स्वैट मॉनिटर' जैसे उपकरणों का निर्माण करने के बाद आईआईटी मद्रास अब खिलाड़ियों और कोचों दोनों के काम को आसान करने के साथ विदेशी मदद पर निर्भरता कम करना चाहता है.

अधिकारियों का कहना है कि दूसरे देश अपनी तकनीक को स्वतंत्र रूप से साझा नहीं करना चाहते हैं, जिसके कारण भारतीय खिलाड़ियों को नुकसान होता है और उन्हें उन्नत खेल तकनीक के साथ प्रशिक्षण के लिए विदेश यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

आईआईटी मद्रास में खेल विज्ञान और विश्लेषण विभाग के उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) के प्रमुख महेश पंचागनुला ने कहा, 'हमारे बहुत से एथलीट प्रशिक्षण के लिए विदेश जाते हैं. वे मूल रूप से विदेशी तकनीक और कोच दोनों पर बहुत अधिक निर्भर रहते हैं. इससे हमारी मुद्रा कोष पर बहुत बड़ा बोझ पड़ता और व्यापक तौर पर खिलाड़ियों को बहुत ज्यादा लाभ नहीं होता है.'

पंचागनुला ने कहा कि हम इस मामले में कमी को दूर करने के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के साथ काम कर रहे है. उन्होंने कहा, 'हम कोच की समस्या का समाधान नहीं कर सकते लेकिन तकनीक से जुड़ी समस्याओं का समाधान निकाल सकते है.'

उन्होंने कहा, 'हम भारतीय खेल प्राधिकरण के अलावा विभिन्न खेल महासंघों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम जो विकसित कर रहे हैं वह वास्तव में खिलाड़ियों के लिए उपयोगी है.'

पंचागनुला ने कहा, 'हमारा लक्ष्य अगले दस वर्षों में (भारत को ओलंपिक जैसे खेल में) कम से कम 25 स्वर्ण पदक दिलाने में मदद करना है.' इसके साथ ही हम ऐसे मॉडल को विकसित करने पर ध्यान दे रहे हैं जो स्वदेशी तकनीक पर आधारित हो और भारत के लिए टिकाऊ हो.

शोधकर्ता खिलाड़ियों के लिए 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)' और 'इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी)' पर आधारित समाधान डिजाइन कर रहे हैं. आईआईटी मद्रास द्वारा विकसित की जा रही तकनीकों में एक 'कोंबैट' खेल प्रयोगशाला, तीरंदाजी के लिए प्रदर्शन मॉडल, कम लागत वाली कस्टम इमेजिंग, पहनने योग्य स्वैट मॉनिटर, पहनने योग्य अल्ट्रासाउंड मॉनिटर, बॉल-फ्लाइट डायनेमिक मॉडल, फोर्स प्लेट्स, हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी और फूड स्कैनर शामिल हैं.

आईआईटी मद्रास के एसोसिएट प्रोफेसर बाबजी श्रीनिवासन ने कहा, 'हमने 2024 ओलंपिक में भारत की मुक्केबाजी पदक तालिका बढ़ाने के लिए एक लागत प्रभावी मुक्केबाजी मूल्यांकन मंच 'स्मार्टबॉक्सर' विकसित किया है.'

उन्होंने कहा, 'इसमें खिलाड़ी के प्रदर्शन के बारे में विश्लेषण प्रदान करने के लिए 'आईओटी' आधारित सेंसर और वीडियो कैमरों का उपयोग शामिल है.'

ये भी पढ़ें- IIT Madras: म्यूकस और टीकाकरण के एरोसोलाइजेशन को नियंत्रित करने से COVID-19 संक्रमण को रोकने में मिलेगी मदद - शोधकर्ता

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.