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IIT मद्रास के प्रोफेसर ने जातिवाद का आरोप लगाकर नौकरी छोड़ी

आईआईटी मद्रास (IIT Madras) में कार्यरत सहायक प्रोफेसर विपिन पुइयादथ वीटिल ( Vipin Puiyadath Veetil) ने प्रशासन को ईमेल भेजकर कहा है कि वह जातिगत भेदभाव के कारण नौकरी छोड़ रहे हैं.

आईआईटी मद्रास
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Published : Jul 1, 2021, 7:48 PM IST

चेन्नई : आईआईटी मद्रास (IIT Madras) में कार्यरत सहायक प्रोफेसर विपिन पुइयादथ वीटिल ( Vipin Puiyadath Veetil) ने प्रशासन को ईमेल भेजकर कहा है कि वह जातिगत भेदभाव के कारण नौकरी छोड़ रहे हैं.

साथ ही उन्होंने लिखा है कि मैंने मार्च 2019 से मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग में काम किया है. उन्होंने दावा किया कि जातिगत भेदभाव उभरकर सामने आया था. उन्होंने कहा है कि भेदभाव के कई उदाहरण थे और इस मामले का समाधान करने के लिए उचित कार्रवाई करूंगा. उन्होंने लिखा है कि मेरे अनुभव और एससी और ओबीसी समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत और विश्लेषण से पता चलता है कि सत्य बहुत दूर है. उन्होंने सुझाव दिया है कि इसके लिए संस्थान को एक समिति गठित करने चाहिए.

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हालांकि संस्थान एससी और ओबीसी संकाय सदस्यों के अनुभवों का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन करता है. ऐसी समिति में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य और मनोवैज्ञानिक होते हैं. साथ ही उन्होंने लिखा है कि जो लोग भेदभाव का सामना करते हैं यदि वे संस्थान में शिकायत समिति और अदालतों में शिकायत दर्ज करा दें तो उसका लाभ मिल सकता है.

चेन्नई : आईआईटी मद्रास (IIT Madras) में कार्यरत सहायक प्रोफेसर विपिन पुइयादथ वीटिल ( Vipin Puiyadath Veetil) ने प्रशासन को ईमेल भेजकर कहा है कि वह जातिगत भेदभाव के कारण नौकरी छोड़ रहे हैं.

साथ ही उन्होंने लिखा है कि मैंने मार्च 2019 से मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग में काम किया है. उन्होंने दावा किया कि जातिगत भेदभाव उभरकर सामने आया था. उन्होंने कहा है कि भेदभाव के कई उदाहरण थे और इस मामले का समाधान करने के लिए उचित कार्रवाई करूंगा. उन्होंने लिखा है कि मेरे अनुभव और एससी और ओबीसी समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत और विश्लेषण से पता चलता है कि सत्य बहुत दूर है. उन्होंने सुझाव दिया है कि इसके लिए संस्थान को एक समिति गठित करने चाहिए.

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हालांकि संस्थान एससी और ओबीसी संकाय सदस्यों के अनुभवों का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन करता है. ऐसी समिति में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य और मनोवैज्ञानिक होते हैं. साथ ही उन्होंने लिखा है कि जो लोग भेदभाव का सामना करते हैं यदि वे संस्थान में शिकायत समिति और अदालतों में शिकायत दर्ज करा दें तो उसका लाभ मिल सकता है.

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