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कोविड-19 के डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर सतर्कता बरतने की जरूरत : IGIB

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Published : Jul 6, 2021, 7:56 PM IST

CSIR-IGIB के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल (Dr Anurag Agarwal) ने ईटीवी भारत को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा, जब हम भारत या विदेश में ही प्रसार देखते हैं, तो AY.1 और AY.2 संबंधित प्रतीत नहीं होते हैं. उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात नहीं है, केवल सतर्कता और उचित निगरानी आवश्यक है.

कोविड-19
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नई दिल्ली : इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (Institute of Genomics and Integrative Biology ) ने मंगलवार को डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta plus variants ) के बारे में आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि जब हम डेल्टा के प्रसार को लेकर भारत और विदेशों में इसकी व्यापकता देखते हैं, तो इसमें काफी अंतर दिखाई देता है.

CSIR-IGIB के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल (Dr Anurag Agarwal) ने ईटीवी भारत को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा, जब हम भारत या विदेश में ही प्रसार देखते हैं, तो AY.1 और AY.2 संबंधित प्रतीत नहीं होते हैं. उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात नहीं है, केवल सतर्कता और उचित निगरानी आवश्यक है. संख्याओं को निरपेक्ष रूप से नहीं, बल्कि अनुपात के रूप में देखा जाना चाहिए.'

उन्होंने आगे कहा कि बीमारी को रोकने के लिए सभी टीके अच्छे हैं. दरअसल, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research) द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield vaccines) की दो खुराकें कोविड19 के डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले ज्यादा बेहतर काम करती हैं.

हाल ही में डेल्टा प्लस के AY.1 और AY.2 म्यूटेशन ने लोगों के बीच एक गंभीर चिंता पैदा कर दी है. रिपोर्ट के बाद कि यह वेरिएंट ज्यादा ट्रांसमिसिबल (transmissible) है और तीसरी लहर का एक प्रमुख कारण हो सकता है.

वहीं इस संबंध में एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन (Asian Society for Emergency Medicine ) के अध्यक्ष डॉ तामोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने कहा कि टीकाकरण की दो खुराक के बाद सभी टीकों की प्रभावशीलता लगभग समान है.

कोले ने कहा, 'लोगों के लिए भविष्य में संक्रमण से सुरक्षा एंटीबॉडी उत्पादन, एक्सपोजर पैटर्न और कोविड के उचित व्यवहार के अनुपालन पर भी निर्भर करती है.'

उन्होंने कहा कि डेल्टा प्लस संस्करण को भारत में चिंता के प्रकार (variant of concern ) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि इसमें K417N उत्परिवर्तन के कारण मोनोक्लोनल एंटीबॉडी प्रतिक्रिया (monoclonal antibody response) और टीकाकरण के बाद प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता है.

डॉ कोले ने कहा, 'अध्ययनों से पता चला है कि फाइजर वैक्सीन (Pfizer vaccine) की एक खुराक के बाद डेल्टा के खिलाफ 33 प्रतिशत और दोनों खुराक के बाद 88 प्रतिशत की प्रभावकारिता थी. भारत डेल्टा प्लस के खिलाफ टीकों की प्रभावशीलता का भी आकलन कर रहा है और हमारे पास जल्द ही इसके परिणाम होंगे.'

कोविड-19 महामारी के तीसरी लहर का जिक्र करते हुए, डॉ कोले ने कहा कि वर्तमान गणितीय मॉडल (mathematical model ) से पता चलता है कि भविष्य में तीसरी लहर आएगी, लेकिन तीव्रता दूसरी लहर की तरह नहीं होगी. टीकाकरण की हमारी दर भी तीव्रता का निर्धारण करेगी.'

डॉ कोले ने कहा कि डेल्टा प्लस अभी भी भारत में हावी नहीं है. तीसरी लहर में इसके योगदान के बारे में भविष्यवाणी करना मुश्किल है. हमारी जीनोमिक निगरानी हमें पूर्वानुमान देगी कि क्या यह अपने विषाणु (virulence) को बदलता है.'

पढ़ें - जानिए भारत में मौसम विभाग की कब हुई स्थापना, क्यों पड़ी इसकी जरूरत?

आंकड़ों के अनुसार भारत में 12 राज्यों से डेल्टा प्लस वेरिएंट के 48 मामलों का पता चला है. यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट की पहचान अप्रैल, मई और जून के दौरान एकत्र किए गए 45,000 से अधिक नमूनों की जीनोम अनुक्रमण के बाद की गई है.

इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry ) के संयुक्त सचिव (joint secretary) लव अग्रवाल ( Lav Agarwal) ने कहा है कि सभी संभावित लहर वायरस के साथ ह्यूमन इंटरेक्शन (human interactions ) पर निर्भर करती है. अगर हम उचित कोविड19 व्यवहार अपनाते हैं और समय पर टीके लेते हैं, तो तीसरी लहर नहीं आ सकती है.

नई दिल्ली : इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (Institute of Genomics and Integrative Biology ) ने मंगलवार को डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta plus variants ) के बारे में आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि जब हम डेल्टा के प्रसार को लेकर भारत और विदेशों में इसकी व्यापकता देखते हैं, तो इसमें काफी अंतर दिखाई देता है.

CSIR-IGIB के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल (Dr Anurag Agarwal) ने ईटीवी भारत को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा, जब हम भारत या विदेश में ही प्रसार देखते हैं, तो AY.1 और AY.2 संबंधित प्रतीत नहीं होते हैं. उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात नहीं है, केवल सतर्कता और उचित निगरानी आवश्यक है. संख्याओं को निरपेक्ष रूप से नहीं, बल्कि अनुपात के रूप में देखा जाना चाहिए.'

उन्होंने आगे कहा कि बीमारी को रोकने के लिए सभी टीके अच्छे हैं. दरअसल, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research) द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield vaccines) की दो खुराकें कोविड19 के डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले ज्यादा बेहतर काम करती हैं.

हाल ही में डेल्टा प्लस के AY.1 और AY.2 म्यूटेशन ने लोगों के बीच एक गंभीर चिंता पैदा कर दी है. रिपोर्ट के बाद कि यह वेरिएंट ज्यादा ट्रांसमिसिबल (transmissible) है और तीसरी लहर का एक प्रमुख कारण हो सकता है.

वहीं इस संबंध में एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन (Asian Society for Emergency Medicine ) के अध्यक्ष डॉ तामोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने कहा कि टीकाकरण की दो खुराक के बाद सभी टीकों की प्रभावशीलता लगभग समान है.

कोले ने कहा, 'लोगों के लिए भविष्य में संक्रमण से सुरक्षा एंटीबॉडी उत्पादन, एक्सपोजर पैटर्न और कोविड के उचित व्यवहार के अनुपालन पर भी निर्भर करती है.'

उन्होंने कहा कि डेल्टा प्लस संस्करण को भारत में चिंता के प्रकार (variant of concern ) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि इसमें K417N उत्परिवर्तन के कारण मोनोक्लोनल एंटीबॉडी प्रतिक्रिया (monoclonal antibody response) और टीकाकरण के बाद प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता है.

डॉ कोले ने कहा, 'अध्ययनों से पता चला है कि फाइजर वैक्सीन (Pfizer vaccine) की एक खुराक के बाद डेल्टा के खिलाफ 33 प्रतिशत और दोनों खुराक के बाद 88 प्रतिशत की प्रभावकारिता थी. भारत डेल्टा प्लस के खिलाफ टीकों की प्रभावशीलता का भी आकलन कर रहा है और हमारे पास जल्द ही इसके परिणाम होंगे.'

कोविड-19 महामारी के तीसरी लहर का जिक्र करते हुए, डॉ कोले ने कहा कि वर्तमान गणितीय मॉडल (mathematical model ) से पता चलता है कि भविष्य में तीसरी लहर आएगी, लेकिन तीव्रता दूसरी लहर की तरह नहीं होगी. टीकाकरण की हमारी दर भी तीव्रता का निर्धारण करेगी.'

डॉ कोले ने कहा कि डेल्टा प्लस अभी भी भारत में हावी नहीं है. तीसरी लहर में इसके योगदान के बारे में भविष्यवाणी करना मुश्किल है. हमारी जीनोमिक निगरानी हमें पूर्वानुमान देगी कि क्या यह अपने विषाणु (virulence) को बदलता है.'

पढ़ें - जानिए भारत में मौसम विभाग की कब हुई स्थापना, क्यों पड़ी इसकी जरूरत?

आंकड़ों के अनुसार भारत में 12 राज्यों से डेल्टा प्लस वेरिएंट के 48 मामलों का पता चला है. यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट की पहचान अप्रैल, मई और जून के दौरान एकत्र किए गए 45,000 से अधिक नमूनों की जीनोम अनुक्रमण के बाद की गई है.

इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry ) के संयुक्त सचिव (joint secretary) लव अग्रवाल ( Lav Agarwal) ने कहा है कि सभी संभावित लहर वायरस के साथ ह्यूमन इंटरेक्शन (human interactions ) पर निर्भर करती है. अगर हम उचित कोविड19 व्यवहार अपनाते हैं और समय पर टीके लेते हैं, तो तीसरी लहर नहीं आ सकती है.

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