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अगर आजम खान ने छोड़ा सपा का दामन तो पार्टी से खिसक जाएंगे मुसलमान ! - Azam khan muslim

उत्तरप्रदेश की दूसरी बड़ी पार्टी सपा के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे आजम खान पार्टी से नाराज बताए जा रहे हैं. सियासी गलियारे में उनके समाजवादी पार्टी छोड़ने की अटकलें लगाईं जा रहीं हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर आजम सपा से किनारा करते हैं तो अखिलेश यादव को बड़ा राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.

Controversy in Samajwadi Party
Controversy in Samajwadi Party
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Published : Apr 14, 2022, 4:42 PM IST

लखनऊः पिछले कुछ दिनों से आजम खान के समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं. जानकार कहते हैं कि अगर आजम खान समाजवादी पार्टी की साइकिल से उतर गए तो मुस्लिम समाज भी सपा दूर हो जाएगा. ऐसे में अखिलेश यादव को बड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है. कई मामलों में आरोपित होने की वजह से आजम खान पिछले काफी समय से जेल में बंद है. आजम के करीबी समर्थकों का मानना है कि उन्हें जेल से बाहर निकालने में अखिलेश यादव उचित भूमिका निर्वहन नहीं कर रहे हैं. ऐसे में अब आजम के समर्थक सपा से दूर होने के संकेत दे रहे हैं.

दरअसल, विधानसभा चुनाव 2022 के लिए टिकट बंटवारे के दौरान अखिलेश यादव ने आजम खान की सिफारिश नहीं मानी. आजम समर्थकों का कहना है कि रामपुर के आसपास मुस्लिम बहुल सीटों पर आजम खान ने जिन नामों को प्रस्तावित किया था, उन्हें टिकट नहीं दिया गया. इसके अलावा जब आजम खान जेल भेजे गए थे तब भी अखिलेश यादव ने सरकार पर दबाव बनाने की भी कोशिश नहीं की. आजम खान समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे हैं. वह मुलायम सिंह के भी काफी करीब हैं. समर्थकों का कहना है कि गिरफ्तारी के बाद आजम खान की मदद के लिए अखिलेश आगे नहीं आए. उन्होंने न तो सरकार पर दबाव बनाया और न ही आंदोलन किया. पिछले दिनों आजम खान के करीबी ने अखिलेश पर तंज करते हुए कहा था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को हमारे कपड़ों से बदबू आती है.

सूत्रों का कहना है कि जेल में बंद आजम खान के इशारों पर ही उनके समर्थकों की तरफ से पिछले दिनों नाराजगी जताई थी और अखिलेश यादव पर सवाल खड़े किए गए थे. इसके बाद से यह आजम खान के समाजवादी पार्टी से दूर होने के कयास लगाए जा रहे हैं. कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह भी अखिलेश यादव से नाराज हैं और वह भी अपना सियासी ठिकाना बदल सकते हैं. इससे सपा को बड़ा नुकसान हो सकता है. कहा जा रहा है कि आजम और शिवपाल के बीच टेलीफोन के माध्यम से कुछ बातचीत भी हुई है और आने वाले दिनों में यह तस्वीर साफ हो जाएगी.

यह भी कहा जा रहा है कि अगर आजम खान ने समाजवादी पार्टी को छोड़ने का फैसला कर लिया तो इससे मुसलमानों के प्रति भी संदेश ठीक नहीं जाएगा. इसका खमियाजा सपा को भुगतना पड़ सकता है. कई अल्पसंख्यक नेता यादव मुस्लिम समीकरण पर अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने वाली समाजवादी पार्टी का साथ छोड़कर चले जाएंगे. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश यादव आने वाले दिनों में सरकार पर दबाव बनाकर आजम खान को रिहा करा पाते हैं या फिर आजम खान सपा से नाता खत्म करेंगे.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि सपा नेतृत्व से शिवपाल यादव की नाराजगी के बाद आजम खान सहित कई मुस्लिम नेताओं का दर्द भी छलकने लगा है. ये सभी नेता सपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं. मुलायम सिंह यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इन्होंने मेहनत की थी. इस कारण ये लोग मुलायम को भी बहुत प्रिय रहे हैं. विधानसभा चुनाव 2022 में यूपी के मतदाताओं ने बसपा-कांग्रेस को पूरी तरह नकार दिया था. सपा को शक्तिशाली विपक्ष की भूमिका निभाने का जनादेश मिला.

पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव लोकसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने . इसके बाद से सपा आंतरिक दबाव का सामना कर रही है. इसकी शुरुआत शिवपाल यादव के प्रति व्यवहार से हुई. अखिलेश ने चुनाव के पहले उनके सम्मान का वादा किया था लेकिन चुनाव बाद वह अपनी बात से पलट गए. शिवपाल को विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया था. इससे अखिलेश के समक्ष ही विश्वसनीयता का संकट पैदा हो गया है. शिवपाल के बाद अब आजम की नाराजगी मुलायम सिंह को विचलित कर सकती है.

पढ़ें : योगी सरकार ने की शिवपाल यादव के दामाद आईएएस को यूपी में प्रतिनियुक्ति देने की तैयारी

लखनऊः पिछले कुछ दिनों से आजम खान के समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं. जानकार कहते हैं कि अगर आजम खान समाजवादी पार्टी की साइकिल से उतर गए तो मुस्लिम समाज भी सपा दूर हो जाएगा. ऐसे में अखिलेश यादव को बड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है. कई मामलों में आरोपित होने की वजह से आजम खान पिछले काफी समय से जेल में बंद है. आजम के करीबी समर्थकों का मानना है कि उन्हें जेल से बाहर निकालने में अखिलेश यादव उचित भूमिका निर्वहन नहीं कर रहे हैं. ऐसे में अब आजम के समर्थक सपा से दूर होने के संकेत दे रहे हैं.

दरअसल, विधानसभा चुनाव 2022 के लिए टिकट बंटवारे के दौरान अखिलेश यादव ने आजम खान की सिफारिश नहीं मानी. आजम समर्थकों का कहना है कि रामपुर के आसपास मुस्लिम बहुल सीटों पर आजम खान ने जिन नामों को प्रस्तावित किया था, उन्हें टिकट नहीं दिया गया. इसके अलावा जब आजम खान जेल भेजे गए थे तब भी अखिलेश यादव ने सरकार पर दबाव बनाने की भी कोशिश नहीं की. आजम खान समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे हैं. वह मुलायम सिंह के भी काफी करीब हैं. समर्थकों का कहना है कि गिरफ्तारी के बाद आजम खान की मदद के लिए अखिलेश आगे नहीं आए. उन्होंने न तो सरकार पर दबाव बनाया और न ही आंदोलन किया. पिछले दिनों आजम खान के करीबी ने अखिलेश पर तंज करते हुए कहा था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को हमारे कपड़ों से बदबू आती है.

सूत्रों का कहना है कि जेल में बंद आजम खान के इशारों पर ही उनके समर्थकों की तरफ से पिछले दिनों नाराजगी जताई थी और अखिलेश यादव पर सवाल खड़े किए गए थे. इसके बाद से यह आजम खान के समाजवादी पार्टी से दूर होने के कयास लगाए जा रहे हैं. कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह भी अखिलेश यादव से नाराज हैं और वह भी अपना सियासी ठिकाना बदल सकते हैं. इससे सपा को बड़ा नुकसान हो सकता है. कहा जा रहा है कि आजम और शिवपाल के बीच टेलीफोन के माध्यम से कुछ बातचीत भी हुई है और आने वाले दिनों में यह तस्वीर साफ हो जाएगी.

यह भी कहा जा रहा है कि अगर आजम खान ने समाजवादी पार्टी को छोड़ने का फैसला कर लिया तो इससे मुसलमानों के प्रति भी संदेश ठीक नहीं जाएगा. इसका खमियाजा सपा को भुगतना पड़ सकता है. कई अल्पसंख्यक नेता यादव मुस्लिम समीकरण पर अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने वाली समाजवादी पार्टी का साथ छोड़कर चले जाएंगे. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश यादव आने वाले दिनों में सरकार पर दबाव बनाकर आजम खान को रिहा करा पाते हैं या फिर आजम खान सपा से नाता खत्म करेंगे.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि सपा नेतृत्व से शिवपाल यादव की नाराजगी के बाद आजम खान सहित कई मुस्लिम नेताओं का दर्द भी छलकने लगा है. ये सभी नेता सपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं. मुलायम सिंह यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इन्होंने मेहनत की थी. इस कारण ये लोग मुलायम को भी बहुत प्रिय रहे हैं. विधानसभा चुनाव 2022 में यूपी के मतदाताओं ने बसपा-कांग्रेस को पूरी तरह नकार दिया था. सपा को शक्तिशाली विपक्ष की भूमिका निभाने का जनादेश मिला.

पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव लोकसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने . इसके बाद से सपा आंतरिक दबाव का सामना कर रही है. इसकी शुरुआत शिवपाल यादव के प्रति व्यवहार से हुई. अखिलेश ने चुनाव के पहले उनके सम्मान का वादा किया था लेकिन चुनाव बाद वह अपनी बात से पलट गए. शिवपाल को विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया था. इससे अखिलेश के समक्ष ही विश्वसनीयता का संकट पैदा हो गया है. शिवपाल के बाद अब आजम की नाराजगी मुलायम सिंह को विचलित कर सकती है.

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