नई दिल्ली: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ओर से 'दिल का दौरा' (heart attack) पर एक बहुत ही महत्वपूर्ण अध्ययन अगले महीने की शुरुआत में पूरा होने की संभावना है. इसके बाद महामारी विज्ञानियों, पैथोलॉजिस्ट, फोरेंसिक मेडिसिन विशेषज्ञ और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक समिति इस अध्ययन की समीक्षा और निगरानी करेगी.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को ईटीवी भारत को बताया कि अध्ययन लगभग अपने अंतिम चरण में है जिसके बाद इसे समीक्षा के लिए समिति के पास भेजा जाएगा.
अधिकारी ने बताया कि 'ICMR और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) अचानक मौत के कारणों की जांच के लिए दो तरीकों की खोज कर रहे हैं.' पहला दृष्टिकोण पूर्वव्यापी केस-कंट्रोल अध्ययन है जो अचानक मृत्यु से जुड़े जोखिम कारकों को निर्धारित करने के लिए है, जैसे हाल ही में कोविड संक्रमण. दूसरा दृष्टिकोण युवा वयस्कों में अचानक होने वाली मौतों की संभावित जांच करेगा.
उन्होंने कहा कि 'यह वर्चुअल ऑटोप्सी का उपयोग करेगा, अगर वास्तविक ऑटोप्सी संभव नहीं है, जिसमें मौत के कारण को समझने के लिए सीटी स्कैन किया जाएगा. यह सुविधा एम्स, नई दिल्ली में विकसित की गई है.'
चल रही अध्ययन टीम में फोरेंसिक मेडिसिन, पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी, न्यूरोलॉजी और कार्डियोलॉजी के विशेषज्ञ शामिल हैं. आंकड़ों के अनुसार, भारत में पिछले तीन वर्षों के दौरान दिल का दौरा पड़ने से 28,000 से अधिक मौतें दर्ज की गई हैं, इसमें सभी आयु वर्ग के लोग हैं. हालांकि, 2022 में दिल के दौरे से होने वाली 70 प्रतिशत मौतें 35-55 आयु वर्ग में हुईं.
चल रहे अध्ययन में पाया गया है कि 45 से 60 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों में दिल के दौरे से होने वाली मौत का सबसे ज्यादा खतरा था, इसके बाद 30 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के लोग थे. अध्ययन में पाया गया, 'कारणों में जीवनशैली, बढ़ी हुई शारीरिक गतिविधियां, उच्च तनाव और भोजन की आदतें शामिल हैं.'
2018 से दिल का दौरा पड़ने से होने वाली मौतों की संख्या खतरनाक रूप से बढ़ी है. वर्ष 2018 में, भारत में कुल मौतों की संख्या 25,764 थी और 2019 में यह संख्या बढ़कर 28,005 हो गई, इसके बाद 2020 में 28,680 और 2021 में 28,449 हो गई. इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आईसीएमआर और सभी संबंधित हितधारक भारत से 2025 तक टीबी को खत्म करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं.
अधिकारी ने कहा कि 'डीएचआर और आईसीएमआर 2025 तक टीबी उन्मूलन के अपने लक्ष्य में राष्ट्रीय कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए टीबी निदान, नई दवाओं और टीबी उपचार, टीकों और अन्य निवारक सिद्धांतों के लिए नए उपकरण विकसित करने के लिए एक मिशन मोड में काम कर रहे हैं.'
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