नई दिल्ली: दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव की सियासत ने एक बार फिर गर्मी पकड़ी है. जहां आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस चुनावी मैदान में अपना जोरदार प्रचार कर रही हैं, वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) भी कई मुस्लिम सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की योजना बना रही है. इस बार चर्चा का केंद्र बन गए हैं शाहरुख पठान, जो दिल्ली दंगों के आरोपी हैं और एआईएमआईएम द्वारा उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने की संभावनाएं बढ़ रही हैं.
दिल्ली एआईएमआईएम के प्रमुख शोएब जमाई ने इस मुद्दे पर जानकारी देते हुए कहा कि शाहरुख पठान को प्रत्याशी बनाने का निर्णय अभी पार्टी के हाई कमान द्वारा नहीं लिया गया है.उन्होंने स्पष्ट किया कि हाल ही में उन्होंने शाहरुख पठान के परिवार से मुलाकात की थी, जिसके बाद उनके चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज हुईं.
शोएब जमाई ने यह भी कहा कि शाहरुख पठान लंबे समय से जेल में हैं, और ऐसे मामलों में आरोपियों को बेल मिलने का अधिकार होता है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इस दिशा-निर्देश का भी हवाला दिया कि बेल मिलना एक कानूनी अधिकार है.
लोकतांत्रिक अधिकार का मुद्दा
जब बात शाहरुख पठान के चुनाव लड़ने की आई, तो शोएब जमाई ने कहा कि चुनाव लड़ना हर किसी का लोकतांत्रिक अधिकार है, उन्होंने यह भी कहा कि कई संगीन आरोपों के बावजूद लोग चुनाव लड़ते हैं, और अगर आरोपों की बात की जाए तो आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेता भी जेल में गए हैं और उन पर गंभीर आरोप लगे हैं. इसलिए उन्हें भी चुनाव नहीं लड़ना चाहिए, ऐसा नहीं होना चाहिए.
एआईएमआईएम ने अपने उद्देश्य के तहत यह भी कहा कि पार्टी गरीबों की मदद करना चाहती है, और शाहरुख पठान के परिवार के साथ मिलकर उनकी मदद करने का इरादा रखती है. उन्होंने कहा कि यह कानूनी मदद हो या कोई अन्य सहायता, उनकी पार्टी शाहरुख पठान और उनके परिवार के साथ खड़ी है.
ताहिर हुसैन की पत्नी को बनाया प्रत्याशी
दिल्ली दंगों के मामलों में एआईएमआईएम द्वारा पूर्व निगम पार्षद ताहिर हुसैन की पत्नी को प्रत्याशी बनाने का निर्णय पहले ही चर्चा का विषय बना था.
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