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कर्नाटकः कोरोना योद्धा ने सुसाइड नोट में लिखा, 'मैं फर्जी डॉक्टर नहीं हूं'

कर्नाटक के दावनगेरे में एक कोविड योद्धा ने आत्महत्या कर ली. उसने मरने से पहले सुसाइड नोट भी छोड़ा है जिसमें उसने अपनी व्यथा सुनाई है.

कोविड योद्धा ने आत्महत्या कर ली
कोविड योद्धा ने आत्महत्या कर ली
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Published : May 27, 2021, 1:37 PM IST

दावनगेरेः कर्नाटक के दावनगेरे में एक कोविड योद्धा ने आत्महत्या कर ली. उसने मरने से पहले सुसाइड नोट भी छोड़ा है जिसमें उसने अपनी व्यथा सुनाई है. यह घटना मयाकोंडा के हुच्छवनहल्ली की है.

मृतक का नाम रंगास्वामी (30) है. वह सरकारी अस्पताल में स्टाफ नर्स का काम करता था.

जानकारी के मुताबिक, हुच्छवनहल्ली गांव में कोविड मरीजों की संख्या में वृद्धि की खबर पाकर गांव के दौरे पर जिला कलेक्टर महन्तेश बेलागी पहुंच गए थे. वहां ग्रामीणों से रंगास्वामी द्वारा किये जा रहे इलाज के बारे में पता चला. जिसके बाद उन्होंने रंगास्वामी के क्लिनिक पर छापामारी की और उसे आपराधिक मामला दर्ज करने की चेतावनी दी थी.

पढ़ेंः बड़े सोशल मीडिया मंचों के स्पष्ट रूप से 'दोहरे मानदंड' हैं : मोहनदास पई

बताया जाता है कि इसी से निराश होकर रंगास्वामी ने आत्महत्या कर ली. उन्होंने मरने से पहले जिला कलेक्टर के नाम चिट्ठी लिखकर छोड़ा है.

उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि 'मैं फर्जी डॉक्टर नहीं हूं, मैं सरकारी अस्पताल में मरीजों का इलाज करता हूं. मैने एम.एससी नर्सिंग की डिग्री हासिल की है. मुझे बतौर कोरोना योद्धा सम्मान मिलना चाहिए. लेकिन यह निराशाजनक है कि सम्मान के बदले मेरे खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किये जाने की चेतावनी दी जा रही है.'

इस घटना को लेकर मयाकोंडा पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

दावनगेरेः कर्नाटक के दावनगेरे में एक कोविड योद्धा ने आत्महत्या कर ली. उसने मरने से पहले सुसाइड नोट भी छोड़ा है जिसमें उसने अपनी व्यथा सुनाई है. यह घटना मयाकोंडा के हुच्छवनहल्ली की है.

मृतक का नाम रंगास्वामी (30) है. वह सरकारी अस्पताल में स्टाफ नर्स का काम करता था.

जानकारी के मुताबिक, हुच्छवनहल्ली गांव में कोविड मरीजों की संख्या में वृद्धि की खबर पाकर गांव के दौरे पर जिला कलेक्टर महन्तेश बेलागी पहुंच गए थे. वहां ग्रामीणों से रंगास्वामी द्वारा किये जा रहे इलाज के बारे में पता चला. जिसके बाद उन्होंने रंगास्वामी के क्लिनिक पर छापामारी की और उसे आपराधिक मामला दर्ज करने की चेतावनी दी थी.

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बताया जाता है कि इसी से निराश होकर रंगास्वामी ने आत्महत्या कर ली. उन्होंने मरने से पहले जिला कलेक्टर के नाम चिट्ठी लिखकर छोड़ा है.

उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि 'मैं फर्जी डॉक्टर नहीं हूं, मैं सरकारी अस्पताल में मरीजों का इलाज करता हूं. मैने एम.एससी नर्सिंग की डिग्री हासिल की है. मुझे बतौर कोरोना योद्धा सम्मान मिलना चाहिए. लेकिन यह निराशाजनक है कि सम्मान के बदले मेरे खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किये जाने की चेतावनी दी जा रही है.'

इस घटना को लेकर मयाकोंडा पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

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