नई दिल्ली : तालिबान ने पूरे अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. वहां के हालात काफी खराब हैं. ऐसे में भारत अपने नागरिकों को सुरक्षित निकाल रहा है. काबुल से सुरक्षित भारत लाए जा रहे लोगों के साथ भारतीय वायुसेना के दो परिवहन विमान गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरे. वायुसेना का विमान सी-17 ग्लोबमास्टर आज पहले गुजरात के जामनगर में उतरा था.
वहीं, सूत्रों का कहना है कि निकासी के लिए भारत ने अपना C-17 ताजिकिस्तान के अयनी एयर बेस पर खड़ा किया क्योंकि अफगानिस्तान में काबुल हवाई अड्डे पर भारी भीड़ थी. भारतीय विमान अयनी एयर बेस पर स्टैंडबाय पर थे और काबुल हवाई अड्डे को नियंत्रित करने वाले अमेरिका द्वारा मंजूरी मिलने पर उन्होंने काबुल के लिए उड़ान भरी.
इससे पहले वायुसेना ने यात्रियों को दिल्ली लाने के लिए अतिरिक्त C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान जामनगर भेजा था. एक अधिकारी ने बताया कि काबुल में भारतीय राजदूत एवं दूतावास के कर्मियों समेत 120 लोगों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान अफगानिस्तान से गुजरात के जामनगर पहुंचा.
उन्होंने बताया कि सी-19 विमान पूर्वाह्न 11 बजकर 15 मिनट पर जामनगर में वायुसेना अड्डे पर उतरा और फिर वह ईंधन भराने के बाद तीन बजे अपराह्न दिल्ली के समीप स्थित हिंडन एयरबेस के लिए रवाना हो गया.
बता दें कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां पैदा हालात के मद्देनजर आपात स्थिति में लोगों को वहां से निकालने के लिए इस विमान ने भारतीय कर्मियों को लेकर काबुल से उड़ान भरी थी.
अधिकारी ने बताया कि सी-17 विमान से उतरने के बाद यात्रियों का वहां मौजूद लोगों ने स्वागत किया. कई यात्रियों को माला पहनायी गयी एवं कई अन्य 'भारत माता की जय' के नारे लगाते नजर आये.
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41 केरलवासियों की सुरक्षित वापसी के लिए केंद्र से दखल की मांग
केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने अफगानिस्तान में सत्ता पर तालिबान के कब्जा जमाने के मद्देनजर मंगलवार को केंद्र से काबुल में फंसे 41 मलयाली लोगों को स्वदेश लाने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया. इन लोगों में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. सरकारी सूत्रों ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर केरल के गैर निवासियों के लिए काम करने वाली सरकारी एजेंसी 'एनओआरकेए' ने इस संबंध में विदेश मंत्रालय को एक पत्र सौंपा.
बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया है. अफगान के हालात दिन ब दिन बिगड़ रहे हैं. सोमवार को काबुल एयरपोर्ट के हालात काफी खराब हो गए थे, जिसकी वजह से वहां पर विमानों की आवाजाही रोक दी गई थी.
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इससे पहले, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि उन्होंने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की है. बता दें कि जयशंकर अमेरिका के चार दिवसीय दौरे पर न्यूयॉर्क में हैं. उन्होंने बीती देर रात तीन बजे ट्वीट किया, '(अमेरिका के विदेश मंत्री) ब्लिंकन के साथ अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम पर चर्चा की. हमने काबुल में हवाईअड्डा संचालन बहाल करने की अत्यधिक आवश्यकता पर बल दिया. हम इस संबंध में अमेरिकी प्रयासों की बहुत सराहना करते हैं.'
ऐसा बताया जा रहा है कि जयशंकर ने काबुल से भारतीय अधिकारियों को बाहर निकालने को लेकर अमेरिकी अधिकारियों समेत कई लोगों से वार्ता की. उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान से लोगों को बाहर ले जा रहे एक विमान में सवार होकर देश से निकलने की उम्मीद में हजारों हताश लोग काबुल हवाईअड्डे पहुंच गए थे, जिसके बाद अमेरिकी सेना ने सोमवार को हवाईअड्डे की सुरक्षा अपने नियंत्रण में ले ली थी.
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार के गिर जाने और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. तालिबान ने 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका नीत सेना के अफगानिस्तान में आने के 20 साल बाद फिर से देश पर कब्जा कर लिया है.
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जयशंकर ने कहा कि भारत काबुल में हालात पर लगातार नजर रख रहा है. उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं काबुल के हालात पर लगातार नजर रख रहा हूं. भारत लौटने के इच्छुक लोगों की घबराहट समझता हूं. हवाईअड्डा संचालन मुख्य चुनौती है. इस संबंध में साझेदारों के साथ विचार-विमर्श जारी है.'
विदेश मंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'अफगानिस्तान में घटनाक्रम पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आज महत्वपूर्ण चर्चा. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं को जताया. संयुक्त राष्ट्र में मेरे कार्यक्रमों के दौरान इन पर चर्चा की उम्मीद है.' उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार काबुल में सिख और हिंदू समुदाय के नेताओं के लगातार संपर्क में है.
जयशंकर ने कहा, 'काबुल में हालात के मद्देनजर, यह महत्वपूर्ण है कि हमारे पास वहां भारतीयों के बारे में सटीक जानकारी हो. अपील की जाती है कि सभी संबंधित लोग इस बारे में विदेश मंत्रालय के विशेष अफगानिस्तान प्रकोष्ठ को सूचना मुहैया कराएं.'
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(एजेंसी इनपुट)