जयपुर : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मीडिया द्वारा उन्हें 'प्रो एक्टिव गवर्नर' बताए जाने को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि वह तो 'कॉपी बुक' गवर्नर हैं जो चुपचाप काम करने में विश्वास करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वह किसी भी परिस्थिति में किसी के भी कहने पर संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन नहीं करेंगे. जगदीप धनखड़ राजस्थान विधानसभा में 'संसदीय लोकतंत्र के उन्नयन में राज्यपाल एवं विधायकों की भूमिका' विषय पर संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार विशेष रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ टकराव की खबरों (WB Governor confrontation with CM Mamata Banerjee) की ओर इशारा करते हुए कहा कि सीएम ममता बनर्जी का कोई सुझाव आता है, तो मैं बिना सोचे उनके बताए नाम पर सहमती जताता हूं. इसके बावजूद इस राज्यपाल को 25 कुलपति की नियुक्ति उनके ज्ञान, स्वीकृति और प्राधिकरण के बिना भुगतनी पड़ी. इस पद पर बैठा व्यक्ति 'स्पाइनलेस' नहीं हो सकता (Governor cannot be spineless, says Dhankar), उसको अपना कार्य करना है.
उन्होंने कहा, 'मैंने बहुत बार कहा और आज देश के एक वरिष्ठ राजनीतिक व्यक्तित्व के सामने भी कह रहा हूं. मैंने माननीय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जी को बुलाया और कहा कि आप देश की जानी मानी नेता हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम लिया और कहा कि इस श्रेणी में तीन-चार से ज्यादा लोग नहीं हैं. केंद्र मुझे जो भी सुझाव देगा, मैं उसे बहुत गंभीरता से लूंगा. मेरा मानस रहेगा कि उसके अनुरूप कार्य हो, बशर्ते उसमें कोई संवैधानिक बाधा नहीं हो. मैंने कहा कि उसी तरीके से आपका भी कुछ सुझाव होगा उसका असर भी मुझ पर उतना ही होगा. पर जिस दिन केंद्र के लोग या आप आश्वसत हो जाएंगे कि मैं वही करूंगा जो आप कहेंगे तो फिर इस कुर्सी पर दूसरा व्यक्ति बैठेगा, मैं नहीं बैठूंगा.'
धनखड़ ने कहा कि मेरा पूरा विश्वास है कि इस महान देश का नागरिक होने एवं एक राज्य का संवैधानिक प्रमुख होने के नाते, मैं अपना निर्देश केवल संविधान से लेता हूं. मैं किसी और से दिशानिर्देश नहीं लेता. मेरा पूरा जोर संविधान को सर्वोपरि रखना है. मेरा काम इसकी सुरक्षा, संरक्षा एवं इसका बचाव करना है. ऐसे हालातों में, मुझे मीडिया ने 'प्रो एक्टिव' कहा.
उन्होंने कहा, 'मेरे मन में बड़ी पीड़ा होती है, चिंता करता हूं और चिंतन भी कि मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल सार्वजनिक रूप से कैसे लड़ सकते हैं ? मेरा अथक प्रयास रहा है कि राज्यपाल की हैसियत से मेरा प्रमुख दायित्व है कि मैं सरकार का समर्थन करूं, कंधे से कंधा मिलाकर उसका साथ दूं, लेकिन एक हाथ से यह संभव नहीं है और जो हालात मैं देख रहा हूं वह चिंता का विषय है. राज्यपाल एवं विधायक बहुत बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि राज्यपाल को संवैधानिक दायित्वों के अलावा कोई ऐसा काम नहीं दिया जाना चाहिए, जिससे उनका राज्य सरकार के साथ टकराव की स्थिति पैदा हो.
उल्लेखनीय है कि इस संगोष्ठी का आयोजन राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के तत्वावधान में किया गया था. इस अवसर पर 2019 के लिए विधायक ज्ञानचंद पारख, वर्ष 2020 के लिये विधायक संयम लोढ़ा और वर्ष 2021 के लिए विधायक बाबूलाल और विधायक मंजू देवी को 'सर्वश्रेष्ठ विधायक सम्मान' से सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सी. पी. जोशी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया सहित विधायक, पूर्व विधायक गण मौजूद थे.
(पीटीआई-भाषा)