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कश्मीर में पेगासस : नेताओं की फोन हैकिंग से नाराज हुर्रियत

द वायर ने कहा कि लीक डेटाबेस से यह भी पता चलता है कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के वर्तमान प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक 2017 और 2019 के बीच निगरानी का संभावित लक्ष्य थे. फारूक घाटी के प्रमुख धार्मिक व्यक्तियों में से एक हैं.

कश्मीर में पेगासस
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Published : Jul 23, 2021, 10:09 PM IST

नई दिल्ली : कश्मीर में अलगाववादी संगठन ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (Kashmir All Parties Hurriyat Conference-APHC) ने शुक्रवार को इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप के साथ मिलकर एक अज्ञात एजेंसी द्वारा अपने अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक और उनके सहयोगियों पर संभावित निगरानी के लक्ष्य की निंदा की.

जानकारी के मुताबिक, इजरायली कंपनी एनएसओ समूह की ग्राहक, एक अज्ञात सरकारी एजेंसी द्वारा दिल्ली के कश्मीरी पत्रकारों और जम्मू-कश्मीर के प्रति आधिकारिक नीति की आलोचना करने वाले एक प्रमुख नागरिक समाज के कार्यकर्ता के अलावा कश्मीर घाटी के 25 से अधिक लोगों को 2017 और 2019 के बीच निगरानी के संभावित लक्ष्य के रूप में चुना गया था. द वायर द्वारा जांचे गए लीक रिकॉर्ड में यह दावा किया गया है.

फोन हैकिंग से नाराज हुर्रियत
फोन हैकिंग से नाराज हुर्रियत

पढ़ें : पीएम मोदी और राज्यपाल के खिलाफ अभद्र टिप्पणी के आरोप में युवा कांग्रेस अध्यक्ष पर मुकदमा दर्ज

इस संभावित जासूसी के जाल में प्रमुख अलगाववादी नेताओं, राजनीतिज्ञों, मानवाधिकार कार्यकतार्ओं, पत्रकारों और कश्मीर के व्यवसायियों के नंबर शामिल हैं. इनमें से द वायर दो फोन पर फॉरेंसिक जांच करवाने में सफल रहा, जिसमें पहला फोन अलगाववादी नेता बिलाल लोन का था और दूसरा दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक मरहूम एसएआर गिलानी का था. गिलानी का साल 2018 में देहांत हो गया था.

द वायर ने कहा कि लीक डेटाबेस से यह भी पता चलता है कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के वर्तमान प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक 2017 और 2019 के बीच निगरानी का संभावित लक्ष्य थे. फारूक घाटी के प्रमुख धार्मिक व्यक्तियों में से एक हैं. रिकॉर्ड से पता चलता है कि फारूक का ड्राइवर भी संभवत: निगरानी का लक्ष्य था. घाटी के एक प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता वकार भट्टी भी संभावित निगरानी का निशाना थे.

नई दिल्ली : कश्मीर में अलगाववादी संगठन ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (Kashmir All Parties Hurriyat Conference-APHC) ने शुक्रवार को इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप के साथ मिलकर एक अज्ञात एजेंसी द्वारा अपने अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक और उनके सहयोगियों पर संभावित निगरानी के लक्ष्य की निंदा की.

जानकारी के मुताबिक, इजरायली कंपनी एनएसओ समूह की ग्राहक, एक अज्ञात सरकारी एजेंसी द्वारा दिल्ली के कश्मीरी पत्रकारों और जम्मू-कश्मीर के प्रति आधिकारिक नीति की आलोचना करने वाले एक प्रमुख नागरिक समाज के कार्यकर्ता के अलावा कश्मीर घाटी के 25 से अधिक लोगों को 2017 और 2019 के बीच निगरानी के संभावित लक्ष्य के रूप में चुना गया था. द वायर द्वारा जांचे गए लीक रिकॉर्ड में यह दावा किया गया है.

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इस संभावित जासूसी के जाल में प्रमुख अलगाववादी नेताओं, राजनीतिज्ञों, मानवाधिकार कार्यकतार्ओं, पत्रकारों और कश्मीर के व्यवसायियों के नंबर शामिल हैं. इनमें से द वायर दो फोन पर फॉरेंसिक जांच करवाने में सफल रहा, जिसमें पहला फोन अलगाववादी नेता बिलाल लोन का था और दूसरा दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक मरहूम एसएआर गिलानी का था. गिलानी का साल 2018 में देहांत हो गया था.

द वायर ने कहा कि लीक डेटाबेस से यह भी पता चलता है कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के वर्तमान प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक 2017 और 2019 के बीच निगरानी का संभावित लक्ष्य थे. फारूक घाटी के प्रमुख धार्मिक व्यक्तियों में से एक हैं. रिकॉर्ड से पता चलता है कि फारूक का ड्राइवर भी संभवत: निगरानी का लक्ष्य था. घाटी के एक प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता वकार भट्टी भी संभावित निगरानी का निशाना थे.

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