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जानें लगातार बिजली कटौती से मध्य प्रदेश में कितनी सुरक्षित है कोरोना वैक्सीन - average temperature of vaccine

बिजली कटौती की परिस्थिति में कोरोना वैक्सीन कितनी सुरक्षित है, ये एक बड़ा सवाल है. हालांकि वैक्सीन की सुरक्षा के लिए डब्ल्यूएचओ के मापदंड अपनाए जा रहे हैं और जिला स्तर और ब्लॉक स्तर पर कोल्ड रूम भी तैयार किए गए हैं. जिस तरह से बिजली का संकट उपजा है. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि इन परिस्थितियों में क्या कोरोना की वैक्सीन सुरक्षित रह पाएगी या फिर बार-बार और लगातार बिजली कटौती से वैक्सीन भी खराब हो जाएगी.

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Published : May 11, 2022, 11:05 PM IST

भोपाल/जबलपुर/सागर/छिंदवाड़ा। बिजली संकट पूरे देश में समस्या बन चुकी है. दूसरी तरफ कोरोना महामारी से बचने के लिए वैक्सीनेशन का काम भी लगातार जारी है. बिजली कटौती की परिस्थिति में कोरोना वैक्सीन कितनी सुरक्षित है, ये एक बड़ा सवाल है. हालांकि वैक्सीन की सुरक्षा के लिए डब्ल्यूएचओ के मापदंड अपनाए जा रहे हैं और जिला स्तर और ब्लॉक स्तर पर कोल्ड रूम भी तैयार किए गए हैं. जिस तरह से बिजली का संकट उपजा है. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि इन परिस्थितियों में क्या कोरोना की वैक्सीन सुरक्षित रह पाएगी या फिर बार-बार और लगातार बिजली कटौती से वैक्सीन भी खराब हो जाएगी. इस लेकर ईटीवी भारत प्रदेश की राजधानी समेत कई जिलों में जाकर संबंधित अधिकारी और जिला टीकाकरण अधिकारी से बात की और जाना कि किस तरह से वैक्सीन की सुरक्षा की जा रही है. (power supply interruption in mp)

मध्य प्रदेश वैक्सीनेशन के प्रभारी और एनएचएम डायरेक्टर संतोष शुक्ला

क्या कहते हैं मध्य प्रदेश वैक्सीन प्रभारीः वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर मध्य प्रदेश में वैक्सीनेशन के प्रभारी और एनएचएम में डायरेक्टर संतोष शुक्ला ने बताया कि भारत सरकार से जैसे ही वैक्सीन आती है. उसे वॉक इन कूलर में रखा जाता है, जो सभी संभाग मुख्यालयों पर लगे हैं. यहां से वैक्सीन को जिलों में भेजा जाता है. बॉक्सेस का तापमान 2 से 8 डिग्री के बीच होना चाहिए. इसके अलावा आइस लाइनेड रेफ्रिजरेटर में इनको रखा जाता है. इसमें 72 घंटे तक लाइट जाने के बाद भी इन वैक्सीन सुरक्षित रह सकती है. इसके अलावा कोल्डबॉक्स में भी इसे कई दिनों तक रखा जा सकता है. इन बॉक्स में वैक्सीन 6 दिन तक सुरक्षित रह सकती है. (vaccine safety in mp)

कैसे पता करें वैक्सीन की स्थितिः वैक्सीन की स्थिति को पता करने के लिए बॉक्स में एक मॉनिटर लगा होता है. इससे वैक्सीन का तापमान मापा जाता है. अगर उसका रंग नीला या काला पड़ जाता है, तो उसे हटा दिया जाता है. अभी तक फिलहाल ऐसी कोई स्थिति सामने नहीं आई है. वैक्सीन का ढक्कन खुलने के बाद अगर लाइट चली जाए तब क्या होगा इस पर शुक्ला का कहना है कि जो व्यक्ति इसे लगाने वाले होते हैं, उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है कि वैक्सीन का ढक्कन खुलने के बाद तुरंत उसे बंद किया जाए. फिर उसको डब्बे में रख दिया जाए. ताकि वैक्सीन अपने अनुकूल तापमान में रहे. (how to save vaccine)

जबलपुर में किया जा रहा डब्ल्यूएचओ के मापदंडों का पालन

ईटीवी भारत की टीम ने किया रियलिटी चेकः जबलपुर में स्वास्थ्य विभाग ने तकरीबन 32 प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए हैं, जिसमें आईएलआर(आइस लाइन रेफ्रिजरेटर) और डीप फ्रीजर की व्यवस्था की है. इसके अलावा संभाग मुख्यालय में वॉक इन फ्रीजर और वॉक इन कूलर की व्यवस्था की गई है. ईटीवी भारत ने बिजली कटौती के बीच जब रियलिटी चेक किया. इस दौरान टीम को स्वास्थ्य केंद्रों में स्पेशल फ्रीजर वैक्सीन के लिए रखे मिले. इसके लिए बैकअप भी रखा गया है. बिजली जाने की स्थिति में तकरीबन 48 से 72 घण्टे तक आईएलआर ठंडा रहते हुए वैक्सीन रख सकता है. जबलपुर के स्वास्थ्य केंद्रों पर स्थापित डीप फ्रीजर और आईएलआर पर लगातार नजर बनाए रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग की एक टेक्निकल टीम भी है, जो कि जिले भर में स्थापित डीप फ्रीजर पर नजर बनाए रहती है. कुछ भी समस्या होने पर टेक्निकल टीम मौके पर पहुंचकर डीप फ्रीजर को ठीक करने का काम करती है. (average temperature of vaccine)

सागर में रेफ्रिजरेटर में रखी जाती है वैक्सीन

डब्ल्यूएचओ के मापदंडों का रखा जाता है ख्यालः बिजली कटौती के बीच कोरोना वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर सागर जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. एसआर रोशन ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के मापदंडों का पूरा ख्याल रखा जाता है. बिजली कटौती की स्थिति में भी वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है. उन्होंने बताया कि सागर में वैक्सीन के लिए 24 घंटे में अगर 8 घंटे लगातार बिजली मिल रही है, तो वैक्सीन 24 घंटे तक सुरक्षित रह सकती है. सागर जिले में ऐसी स्थिति नहीं है कि लगातार कई घंटों तक कटौती हो रही हो. अगर ग्रामीण स्तर पर ऐसी स्थिति बन भी रही है,तो वहां कोल्ड रूम के साथ जनरेटर की व्यवस्था भी की गई है. जनरेटर की व्यवस्था नहीं है, तो वैक्सीन को 20 लीटर के कोल्डबॉक्स में कंडीशनिंग किए हुए आइसपैक के साथ रखा जाता है. वैक्सीन के रखरखाव के लिए बिजली कटौती या भारी गर्मी कोई मुद्दा नहीं है. (WHO standards for vaccine)

छिंदवाड़ा में बने हैं 51 वैक्सीनेशन केंद्र

MP में 12 से 14 साल के बच्चों को वैक्सीन अभियान, सागर में कम दिखी बच्चों की संख्या, दोपहर तक एक -दो बच्चों को ही लगा टीका

छिंदवाड़ा में बनाए गए 51 वैक्सीन स्टॉक सेंटरः सीएमएचओ डॉक्टर जीसी चौरसिया ने बताया कि कोविड-19 वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए छिंदवाड़ा में कुल 51 सेंटर बनाए गए हैं. यहां डीप फ्रीजर और आईएलआर में वैक्सीन को सुरक्षित रखा जाता है. इसके बाद जो संबंधित वैक्सीनेशन सेंटर होते हैं, वहां पर जाकर वैक्सीन लगाई जाती है. 51 सेंटरों से वैक्सीनेशन सेंटर तक जाने के लिए भी आइस पैक और आइस बॉक्स होते हैं. जिला अस्पताल में और दूसरी जगह डीप फ्रीजर हैं, जो बिजली गुल होने के 8 घंटे तक टेंपरेचर को मेंटेन रखते हैं. इसके अलावा जिला अस्पताल में जनरेटर की भी सुविधा है.

भोपाल/जबलपुर/सागर/छिंदवाड़ा। बिजली संकट पूरे देश में समस्या बन चुकी है. दूसरी तरफ कोरोना महामारी से बचने के लिए वैक्सीनेशन का काम भी लगातार जारी है. बिजली कटौती की परिस्थिति में कोरोना वैक्सीन कितनी सुरक्षित है, ये एक बड़ा सवाल है. हालांकि वैक्सीन की सुरक्षा के लिए डब्ल्यूएचओ के मापदंड अपनाए जा रहे हैं और जिला स्तर और ब्लॉक स्तर पर कोल्ड रूम भी तैयार किए गए हैं. जिस तरह से बिजली का संकट उपजा है. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि इन परिस्थितियों में क्या कोरोना की वैक्सीन सुरक्षित रह पाएगी या फिर बार-बार और लगातार बिजली कटौती से वैक्सीन भी खराब हो जाएगी. इस लेकर ईटीवी भारत प्रदेश की राजधानी समेत कई जिलों में जाकर संबंधित अधिकारी और जिला टीकाकरण अधिकारी से बात की और जाना कि किस तरह से वैक्सीन की सुरक्षा की जा रही है. (power supply interruption in mp)

मध्य प्रदेश वैक्सीनेशन के प्रभारी और एनएचएम डायरेक्टर संतोष शुक्ला

क्या कहते हैं मध्य प्रदेश वैक्सीन प्रभारीः वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर मध्य प्रदेश में वैक्सीनेशन के प्रभारी और एनएचएम में डायरेक्टर संतोष शुक्ला ने बताया कि भारत सरकार से जैसे ही वैक्सीन आती है. उसे वॉक इन कूलर में रखा जाता है, जो सभी संभाग मुख्यालयों पर लगे हैं. यहां से वैक्सीन को जिलों में भेजा जाता है. बॉक्सेस का तापमान 2 से 8 डिग्री के बीच होना चाहिए. इसके अलावा आइस लाइनेड रेफ्रिजरेटर में इनको रखा जाता है. इसमें 72 घंटे तक लाइट जाने के बाद भी इन वैक्सीन सुरक्षित रह सकती है. इसके अलावा कोल्डबॉक्स में भी इसे कई दिनों तक रखा जा सकता है. इन बॉक्स में वैक्सीन 6 दिन तक सुरक्षित रह सकती है. (vaccine safety in mp)

कैसे पता करें वैक्सीन की स्थितिः वैक्सीन की स्थिति को पता करने के लिए बॉक्स में एक मॉनिटर लगा होता है. इससे वैक्सीन का तापमान मापा जाता है. अगर उसका रंग नीला या काला पड़ जाता है, तो उसे हटा दिया जाता है. अभी तक फिलहाल ऐसी कोई स्थिति सामने नहीं आई है. वैक्सीन का ढक्कन खुलने के बाद अगर लाइट चली जाए तब क्या होगा इस पर शुक्ला का कहना है कि जो व्यक्ति इसे लगाने वाले होते हैं, उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है कि वैक्सीन का ढक्कन खुलने के बाद तुरंत उसे बंद किया जाए. फिर उसको डब्बे में रख दिया जाए. ताकि वैक्सीन अपने अनुकूल तापमान में रहे. (how to save vaccine)

जबलपुर में किया जा रहा डब्ल्यूएचओ के मापदंडों का पालन

ईटीवी भारत की टीम ने किया रियलिटी चेकः जबलपुर में स्वास्थ्य विभाग ने तकरीबन 32 प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए हैं, जिसमें आईएलआर(आइस लाइन रेफ्रिजरेटर) और डीप फ्रीजर की व्यवस्था की है. इसके अलावा संभाग मुख्यालय में वॉक इन फ्रीजर और वॉक इन कूलर की व्यवस्था की गई है. ईटीवी भारत ने बिजली कटौती के बीच जब रियलिटी चेक किया. इस दौरान टीम को स्वास्थ्य केंद्रों में स्पेशल फ्रीजर वैक्सीन के लिए रखे मिले. इसके लिए बैकअप भी रखा गया है. बिजली जाने की स्थिति में तकरीबन 48 से 72 घण्टे तक आईएलआर ठंडा रहते हुए वैक्सीन रख सकता है. जबलपुर के स्वास्थ्य केंद्रों पर स्थापित डीप फ्रीजर और आईएलआर पर लगातार नजर बनाए रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग की एक टेक्निकल टीम भी है, जो कि जिले भर में स्थापित डीप फ्रीजर पर नजर बनाए रहती है. कुछ भी समस्या होने पर टेक्निकल टीम मौके पर पहुंचकर डीप फ्रीजर को ठीक करने का काम करती है. (average temperature of vaccine)

सागर में रेफ्रिजरेटर में रखी जाती है वैक्सीन

डब्ल्यूएचओ के मापदंडों का रखा जाता है ख्यालः बिजली कटौती के बीच कोरोना वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर सागर जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. एसआर रोशन ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के मापदंडों का पूरा ख्याल रखा जाता है. बिजली कटौती की स्थिति में भी वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है. उन्होंने बताया कि सागर में वैक्सीन के लिए 24 घंटे में अगर 8 घंटे लगातार बिजली मिल रही है, तो वैक्सीन 24 घंटे तक सुरक्षित रह सकती है. सागर जिले में ऐसी स्थिति नहीं है कि लगातार कई घंटों तक कटौती हो रही हो. अगर ग्रामीण स्तर पर ऐसी स्थिति बन भी रही है,तो वहां कोल्ड रूम के साथ जनरेटर की व्यवस्था भी की गई है. जनरेटर की व्यवस्था नहीं है, तो वैक्सीन को 20 लीटर के कोल्डबॉक्स में कंडीशनिंग किए हुए आइसपैक के साथ रखा जाता है. वैक्सीन के रखरखाव के लिए बिजली कटौती या भारी गर्मी कोई मुद्दा नहीं है. (WHO standards for vaccine)

छिंदवाड़ा में बने हैं 51 वैक्सीनेशन केंद्र

MP में 12 से 14 साल के बच्चों को वैक्सीन अभियान, सागर में कम दिखी बच्चों की संख्या, दोपहर तक एक -दो बच्चों को ही लगा टीका

छिंदवाड़ा में बनाए गए 51 वैक्सीन स्टॉक सेंटरः सीएमएचओ डॉक्टर जीसी चौरसिया ने बताया कि कोविड-19 वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए छिंदवाड़ा में कुल 51 सेंटर बनाए गए हैं. यहां डीप फ्रीजर और आईएलआर में वैक्सीन को सुरक्षित रखा जाता है. इसके बाद जो संबंधित वैक्सीनेशन सेंटर होते हैं, वहां पर जाकर वैक्सीन लगाई जाती है. 51 सेंटरों से वैक्सीनेशन सेंटर तक जाने के लिए भी आइस पैक और आइस बॉक्स होते हैं. जिला अस्पताल में और दूसरी जगह डीप फ्रीजर हैं, जो बिजली गुल होने के 8 घंटे तक टेंपरेचर को मेंटेन रखते हैं. इसके अलावा जिला अस्पताल में जनरेटर की भी सुविधा है.

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