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कांग्रेस के गले की फांस बने सिद्धू, पार्टी कब तक करेगी बर्दाश्त? - कांग्रेस के गले की फांस बने सिद्धू

पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन के बाद भी सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के भीतर टकराव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. अब पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ मुखर हो गए हैं. ऐसे में देखना है कि कब तक कांग्रेस सिद्धू को बर्दाश्त करेगी.

नवजोत सिंह सिद्धू
नवजोत सिंह सिद्धू
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Published : Nov 3, 2021, 4:07 PM IST

चंडीगढ़ : पंजाब कांग्रेस में चल रहा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. कई बार ऐसा नजर आता है कि अब सब ठीक है, लेकिन अगले ही दिन नया विवाद शुरू हो जाता है. चाहे कैप्टन अमरिंदर सिंह का मसला हो या फिर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मनमुटाव, सभी की वजह पंजाब कांग्रेस कमेटी के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू रहे हैं. अब पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू की एक साथ देहरादून यात्रा को लेकर कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने दोनों पर तंज कसा. एक तस्वीर को ट्विटर पर साझा करते हुए जाखड़ ने लिखा, 'राजनीतिक तीर्थयात्री.'

दरअसल कई बैठके हुईं, कभी हाई कमान के साथ तो कभी पंजाब के विधायकों के साथ. प्रभारी मुद्दों को सुलझाने आए लेकिन हर बार नवजोत सिद्धू सवाल उठाते रहे. पहले उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के साढ़े चार साल के कामकाज पर सवाल उठाया. हाई कमान पर दबाव बनाया कि मुख्यमंत्री बदलें. उसके बाद मुख्यमंत्री बनाने से लेकर मंत्रियो को विभाग बांटने तक सिद्धू का पूरा प्रभाव देखने को मिला. पंजाब के डीजीपी और एजी की नियुक्ति पर सिद्धू ने सवाल उठाए. मुख्यमंत्री चन्नी से भी नाराजगी दिखाई और प्रधान पद से इस्तीफा दे दिया. उनका साथ देने के लिए कैबिनेट मंत्री रज़िया सुल्ताना और सिद्धू के करीबियों के इस्तीफ़ो का सिलसिला जारी रहा. लेकिन कांग्रेस हाईकमान नहीं झुकीं और मुख्यमंत्री चन्नी भी अपना काम करते रहे.
सिद्धू की मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से हुई, जहां स्पष्ट तौर पर नवजोत सिंह सिद्धू को कहा गया कि संगठन को मजबूत किया जाए, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह चुनावी समीकरण बदल सकते है इसलिए सरकार और पार्टी का तालमेल जरूरी है. पर सिद्धू कहां सुनने वाले थे. वो तो अपने ही मन की करते हैं. पंजाब वापस आकर वो बार-बार मुख्यमंत्री चन्नी पर आक्रामक रहे. उन्होंने मुख्यमंत्री चन्नी के बिजली दरें कम करने पर सवाल उठाए और लॉलीपॉप बताया.

रोज बदल रहे समीकरण
पंजाब कांग्रेस में समीकरण रोज बदल रहे है, कभी सिद्धू अपनी नाराजगी दिखाते है और खुलकर मुख्यमंत्री के खिलाफ बोलते है तो कभी उनके साथ तस्वीर खिंचवा कर दिखाते है कि अब वो खुश हैं यानी कि 'ऑल इज वेल' है. हालांकि उनके बदलते हुए व्यवहार को कई राजनीतिक माहिर हाइपरएक्टिव पॉलिटिक्स भी कहते है जोकि पंजाब जैसे राज्य में करना आसान नहीं है.

लगातार अमरिंदर के करीबियों से मिल रहे चन्नी
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी लगातार संगठन और सरकार दोनों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. इसकी वजह है हाई कमान का आदेश और उनके द्वारा दी गई जिम्मेदारी. उनसे सिद्धू पर सवाल पूछने पर भी वो कभी बौखलाये नहीं, उन्होंने हमेशा सहजता से जबाब दिया कि उनके और सिद्धू के बीच सब ठीक हैं, सब एकजुट हैं, लेकिन सिद्धू सार्वजनिक मंचों पर मुख्यमंत्री के खिलाफ बोलते नजर आए.

लोकहित के फैसले ले रहे चन्नी
धार्मिक और सामाजिक सरोकार मुद्दों को चन्नी पूरा कर रहे हैं, चाहे बिजली की दरें कम करना हो या प्रसाद से जीएसटी हटाना. लोकहित के फैसले पंजाब के लोगों में चन्नी की छवि बेहतर कर रहे हैं, जिसका डर सिद्धू को भी है. जब चुनाव नज़दीक हो तो कोई भी राजनीतिक दल अपने नेता को पार्टी से नहीं निकलता, हालांकि अभी तो नहीं लेकिन पंजाब विधानसभा 2022 के चुनावों के बाद कांग्रेस सिद्धू को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा सकती है.

दरअसल नवजोत सिद्धू के इस्तीफे के बाद सिद्धू की लोकप्रियता में गिरावट आई है. कम ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, ऐसे में हाई कमान अपनी सरकार गांवना नहीं चाहेंगी. देखने वाली बात यह है कि यदि कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिलवाया जा सकता है तो फिर सिद्धू जो कुछ साल पहले ही कांग्रेस में आए हैं, उनके साथ भी यह हो सकता है.

पढ़ें- चुनाव से पहले पंजाब सीएम चन्नी और सिद्धू को आई बाबा केदार की याद

पढ़ें- सीएम चन्नी, सिद्धू की देहरादून यात्रा पर जाखड़ का तंज, बताया- राजनीतिक तीर्थयात्री

चंडीगढ़ : पंजाब कांग्रेस में चल रहा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. कई बार ऐसा नजर आता है कि अब सब ठीक है, लेकिन अगले ही दिन नया विवाद शुरू हो जाता है. चाहे कैप्टन अमरिंदर सिंह का मसला हो या फिर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मनमुटाव, सभी की वजह पंजाब कांग्रेस कमेटी के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू रहे हैं. अब पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू की एक साथ देहरादून यात्रा को लेकर कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने दोनों पर तंज कसा. एक तस्वीर को ट्विटर पर साझा करते हुए जाखड़ ने लिखा, 'राजनीतिक तीर्थयात्री.'

दरअसल कई बैठके हुईं, कभी हाई कमान के साथ तो कभी पंजाब के विधायकों के साथ. प्रभारी मुद्दों को सुलझाने आए लेकिन हर बार नवजोत सिद्धू सवाल उठाते रहे. पहले उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के साढ़े चार साल के कामकाज पर सवाल उठाया. हाई कमान पर दबाव बनाया कि मुख्यमंत्री बदलें. उसके बाद मुख्यमंत्री बनाने से लेकर मंत्रियो को विभाग बांटने तक सिद्धू का पूरा प्रभाव देखने को मिला. पंजाब के डीजीपी और एजी की नियुक्ति पर सिद्धू ने सवाल उठाए. मुख्यमंत्री चन्नी से भी नाराजगी दिखाई और प्रधान पद से इस्तीफा दे दिया. उनका साथ देने के लिए कैबिनेट मंत्री रज़िया सुल्ताना और सिद्धू के करीबियों के इस्तीफ़ो का सिलसिला जारी रहा. लेकिन कांग्रेस हाईकमान नहीं झुकीं और मुख्यमंत्री चन्नी भी अपना काम करते रहे.
सिद्धू की मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से हुई, जहां स्पष्ट तौर पर नवजोत सिंह सिद्धू को कहा गया कि संगठन को मजबूत किया जाए, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह चुनावी समीकरण बदल सकते है इसलिए सरकार और पार्टी का तालमेल जरूरी है. पर सिद्धू कहां सुनने वाले थे. वो तो अपने ही मन की करते हैं. पंजाब वापस आकर वो बार-बार मुख्यमंत्री चन्नी पर आक्रामक रहे. उन्होंने मुख्यमंत्री चन्नी के बिजली दरें कम करने पर सवाल उठाए और लॉलीपॉप बताया.

रोज बदल रहे समीकरण
पंजाब कांग्रेस में समीकरण रोज बदल रहे है, कभी सिद्धू अपनी नाराजगी दिखाते है और खुलकर मुख्यमंत्री के खिलाफ बोलते है तो कभी उनके साथ तस्वीर खिंचवा कर दिखाते है कि अब वो खुश हैं यानी कि 'ऑल इज वेल' है. हालांकि उनके बदलते हुए व्यवहार को कई राजनीतिक माहिर हाइपरएक्टिव पॉलिटिक्स भी कहते है जोकि पंजाब जैसे राज्य में करना आसान नहीं है.

लगातार अमरिंदर के करीबियों से मिल रहे चन्नी
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी लगातार संगठन और सरकार दोनों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. इसकी वजह है हाई कमान का आदेश और उनके द्वारा दी गई जिम्मेदारी. उनसे सिद्धू पर सवाल पूछने पर भी वो कभी बौखलाये नहीं, उन्होंने हमेशा सहजता से जबाब दिया कि उनके और सिद्धू के बीच सब ठीक हैं, सब एकजुट हैं, लेकिन सिद्धू सार्वजनिक मंचों पर मुख्यमंत्री के खिलाफ बोलते नजर आए.

लोकहित के फैसले ले रहे चन्नी
धार्मिक और सामाजिक सरोकार मुद्दों को चन्नी पूरा कर रहे हैं, चाहे बिजली की दरें कम करना हो या प्रसाद से जीएसटी हटाना. लोकहित के फैसले पंजाब के लोगों में चन्नी की छवि बेहतर कर रहे हैं, जिसका डर सिद्धू को भी है. जब चुनाव नज़दीक हो तो कोई भी राजनीतिक दल अपने नेता को पार्टी से नहीं निकलता, हालांकि अभी तो नहीं लेकिन पंजाब विधानसभा 2022 के चुनावों के बाद कांग्रेस सिद्धू को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा सकती है.

दरअसल नवजोत सिद्धू के इस्तीफे के बाद सिद्धू की लोकप्रियता में गिरावट आई है. कम ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, ऐसे में हाई कमान अपनी सरकार गांवना नहीं चाहेंगी. देखने वाली बात यह है कि यदि कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिलवाया जा सकता है तो फिर सिद्धू जो कुछ साल पहले ही कांग्रेस में आए हैं, उनके साथ भी यह हो सकता है.

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