वाराणसी: पहले रूस-यूक्रेन के युद्ध ने वाराणसी के उद्योग को प्रभावित किया था. इससे अभी वाराणसी का उद्योग उबर ही रहा था कि इजराइल-हमास के युद्ध ने एक बार फिर इसकी कमर तोड़ दी है. रूस के युद्ध के दौरान जिन ऑर्डर पर रोक लग गई थी वे अभी तक रुके ही हुई हैं. अब इजराइल-हमास के युद्ध से वाराणसी के 100 करोड़ के कारोबार को पलीता लगने वाला है.
वाराणसी से इजराइल एक्सपोर्ट होने वाले ऑर्डर युद्ध की वजह से फंसे हुए हैं. इसके साथ ही न तो नए ऑर्डर मिल रहे हैं और न ही तैयार ऑर्डर बाहर जा पा रहे हैं. वाराणसी के व्यापारियों का कहना है कि अगर ये युद्ध लंबा चलता रहा तो काशी का उद्योग जगत चरमरा जाएगा. हालात खराब हो जाएंगे. इजराइल और हमास के बीच हो रहे युद्ध ने तमाम तरीके की समस्याओं को शुरू कर दिया है. इससे व्यापार भी खासा प्रभावित हो रहा है.
इसकी तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में नजर आ रही है. यहां पर लगभग 100 करोड़ से ज्यादा का व्यापार प्रभावित हुआ है. बनारस के टेक्सटाइल, कारपेट वह अन्य सामानों का निर्यात इजराइल में हुआ करता था, लेकिन युद्ध के बीच जहां न सिर्फ स्टॉक फंसा हुआ है. बल्कि लगभग 100 करोड़ से ज्यादा का कारोबार भी अधर में है. इस वजह से कारोबारियों से लेकर साड़ियों आदि के काम में लगे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
वाराणसी से होता है होम टेक्सटाइल्स का एक्सपोर्टः एक्सपोर्टर सर्वेश श्रीवास्तव ने बताया, बनारस के टेस्सटाइल में साड़ियां कम मगर दुपट्टे व अन्य का करीब 2 से 2.5 करोड़ का एक्सपोर्ट बनारस से होता है. इसमें होम टेक्सटाइल है, गारमेंट्स, सिल्क के दुपट्टे, सिल्क की साड़ियां, सिल्क के फैब्रिक, परदे, बेड शीट, पिलो कवर, बेड कवर शामिल हैं. इनका अच्छा खासा एक्सपोर्ट वाराणसी से इजराइल में होता है. लेकिन, अभी युद्ध के समय सभी ऑर्डर होल्ड पर हैं. अंदाजा है कि लगभग 100 करोड़ का ऑर्डर होल्ड हो चुका है.
काशी के कारखानों में लग जाएंगे तालेः लघु उद्योग भारतीय काशी प्रांत के अध्यक्ष राजेश सिंह ने बताया, हमारे संगठन में कुटीर उद्योग से लेकर बड़े उद्योग जुड़े हुए हैं. पूर्वांचल से जो प्रोडक्ट इजराइल को जाते हैं वे डायरेक्ट जाते हैं. इसमें रेशमी कपड़े, परदे, दरी, कारपेट और वॉल हैंगिंग आदि हैं. पूर्वांचल से लगभग 100 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट होता है. अभी उद्यमी रूस और यूक्रेन के युद्ध से उबरे भी नहीं थे कि इजराइल और हमास के बीच युद्ध हो गया. यह उद्योग जगत के लिए बहुत गलत हुआ है. इससे उद्योग चरमरा जाएगा. अगर ये ज्यादा लंबा चला तो उद्यमियों के कारखानों में ताले लग जाएंगे.
मिडिल ईस्ट के कारोबार पर क्या होगा असरः उन्होंने बताया कि पहले जो ऑर्डर आते हैं उन्हीं के हिसाब से खरीद की जाती है. कच्चे माल बनारस में नहीं मिलते हैं. वे बाहर से लाए जाते हैं. रेशम का सामान बेंगलुरु, चीन आदि से आता है. इसके बाद उससे प्रोडक्ट बनाकर उसकी सप्लाई की जाती है. उसमें समय लगता है. इस बीच सारी चीजें रुक गई हैं, जिसकी वजह से बहुत सी दिक्कतें आ रही हैं. जो स्थिति बन रही है, हमें लग रहा है कि मिडिल ईस्ट में सारा कारोबार चौपट हो जाएगा. निश्चित तौर पर उद्यमियों को भुगतना पड़ेगा. साड़ियों सहित कई प्रोडक्ट फंसे हुए हैं.
साड़ियों में जरी लगाने का नहीं मिल रहा ऑर्डरः जरी तैयार करने वाले गुलशन कुमार मौर्य ने बताया, हम जो जरी बनाते हैं वह बनारसी साड़ी में लगता है. इजराइल में युद्ध होने की वजह से बनारसी साड़ी का ऑर्डर कम हो गया है. इसके चलते हम लोगों की मांग भी धीरे-धीरे कम हो रही है. हमें इसके लिए ऑर्डर नहीं मिल पा रहे हैं. जो पहले से ऑर्डर मिले हुए थे उसकी ही तैयारी हो रही है. जो नए ऑर्डर मिलने चाहिए थे वे ऑर्डर नहीं आ पा रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान मिले ऑर्डर बंद होने के बाद दोबारा ऑर्डर नहीं मिले हैं. वहीं दिल्ली में पांच दिवसीय एक्सपो के आयोजन में विदेशी खरीदार नहीं पहुंचे हैं.
भदोही-मिर्जापुर का 50 करोड़ का कारोबार कैंसिलः एक्सपोर्टर्स का कहना है कि भदोही और मिर्जापुर से कालीन एक्सपोर्टर्स को 50 करोड़ का कालीन तैयार करने का ऑर्डर मिला था. वह भी कैंसिल कर दिया गया है. युद्ध के कारण कच्चे माल में लगाई रकम फंस गई है. युद्ध की वजह से सप्लाई चेन भी प्रभावित हो जाएगा. नए ऑर्डर भी अब नहीं मिल रहे हैं. भदोही कालीन का सबसे बड़ा बेल्ट है. वहीं वाराणसी रेशम वस्त्रों के अलावा रेशमी साड़ी का हब है. यहां पर इजराइल से थोक में ऑर्डर मिलते हैं. अभी यूक्रेन और रूस के युद्ध से काफी नुकसान पहुंचा था. इन देशों से अब सीधे ऑर्डर मिलना बंद हो गया है. ऐसे में व्यापारियों का काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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