अहमदाबाद/सूरत/राजकोट/वडोदरा : पिछले कुछ दिनों से गुजरात राज्य में हर रोज 10,000 से ज्यादा कोरोना के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं. कई अस्पताल ऑक्सीजन और बेड की कमी का सामना कर रहे है. चूंकि लोग इस बात से पूरी तरह अंजान हैं कि उन्हें किस अस्पताल में इलाज मिल पाएगा. इस स्थिति में सरकार ने डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की मदद ली और कई अस्पतालों ने इस संकट की स्थिति में हेल्पलाइन नंबर्स जारी किए, जिसे घोषित करने के लिए अस्पताल में मरीजों और उनके रिश्तेदारों के लिए एक कम्युनिकेशन विंडों भी बनाई गई थी. ईटीवी भारत की टीम ने बड़े शहरों के इन हेल्पलाइन का रियलिटी चेक किया और यह जानने की कोशिश की कि यह पूरा सिस्टम कैसे काम करता है.
सूरत में वेब पेज उपलब्ध नहीं
सूरत में कोविड की स्थिति पिछले कुछ दिनों में काबू से बाहर हो गई, जिसके बाद सूरत निगम एक आवेदन के साथ हरकत में आया. कॉर्पोरेशन ने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म की मदद से हम अधिक क्षमता के साथ कोरोना के खिलाफ लड़ सकते हैं. इस एप के जरिए लोगों को अस्पतालों के बारे में जानकारी मिल सकेगी, उन्हें यहां हेल्पलाइन नंबर्स भी मिलेंगे.
जब ईटीवी भारत की टीम ने इस एप्लिकेशन के जरिए अस्पतालों तक पहुंचने की कोशिश की, तो नतीजे उलट थे. ईटीवी भारत ने इस एप के जरिए 4 निजी अस्पतालों तक पहुंचने की कोशिश की, तो पाया कि इन एप में वेब पेज उपलब्ध नहीं था. इस असफल अनुभव के बाद ईटीवी भारत की टीम सरकारी अस्पतालों की ओर बढ़ी जहां कोरोना मरीजों के लिए कुल 1518 बेड उपलब्ध थे. इनमें से 428 बेड खाली थे.
ईटीवी भारत की टीम ने न्यू सिविल अस्पताल (New Civil Hospital) से नामांकन करने की कोशिश की. यहां भी वेब पेज उपलब्ध नहीं मिला. इस स्थिति को देखने के बाद टीम ने सूरत निगम के स्वास्थ्य अधिकारी प्रदीप उमरीगर से बात करने की कोशिश की, उन्होंने कहा कि तकनीकी त्रुटियों (technical errors) के चलते हम इस समस्या का सामना कर रहे हैं, हम अपनी टीम से बात करेंगे.
हेल्पलाइन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं
गुजरात की आर्थिक राजधानी अहमदाबाद शहर को कोरोना की वजह से कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. वायरस की तीसरी लहर को लेकर सरकार चिंतित है. अहमदाबाद नगर निगम ने घोषणा की है कि कोविड रोगियों के लिए 1,500 बिस्तर उपलब्ध है, लेकिन रोगियों के लिए स्थिति अलग है. जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने सरकारी अस्पताल में फोन किया तो किसी ने कोई फोन नहीं उठाया. उसने अस्पताल की वेबसाइट से फिर से नंबर लेने की कोशिश की, किसी ने कोई जवाब नहीं दिया. एएमसी के पोर्टल से दूसरे नंबर पर किसी ने जवाब नहीं दिया. निजी अस्पतालों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार देखा गया. जब ईटीवी भारत ने महापौर (किरीट परमार) से यह सवाल उठाया, तो उन्होंने कहा कि वह जिम्मेदार अधिकारियों से बात करेंगे और आवश्यक आदेश देंगे.
हेल्पलाइन ने 'हेल्पलेस' उत्तर दिए
राजकोट के स्थानीय प्रशासन ने कोविड रोगियों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर की घोषणा की थी. ईटीवी भारत ने इन हेल्पलाइनों का भी रियलिटी चेक किया. जब ईटीवी भारत की टीम ने सिविल अस्पताल से पूछा कि क्या कोविड रोगी के लिए बिस्तर मिलेगा, तो उन्होंने कहा कि एक बार अस्पताल में भर्ती होने के बाद आपको अपनी स्थिति के अनुसार बिस्तर मिलेगा.
जब शहर के एक प्रसिद्ध निजी अस्पताल से बात करने की कोशिश की, तो कोई उत्तर नहीं दिया गया. एक अन्य निजी अस्पताल ने बताया कि डॉक्टर से बात करने के बाद हम बिस्तर के बारे में आपको बता सकते हैं, लेकिन दिन के अंत तक उधर से कोई जवाब आया. ईटीवी भारत की टीम ने राजकोट के डिप्टी कलेक्टर को सूचित किया कि निजी अस्पताल ठीक से जवाब नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि आपको दूसरे हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करनी चाहिए.
राजकोट के लोगों की परेशानी को देखते हुए टीम ने विधायक गोविंद पटेल से भी संपर्क किया. उनके पीए ने जवाब दिया कि विधायक कार्यालय में मौजूद नहीं है, आप कुछ समय बाद कॉल कर सकते हैं. कुछ घंटों के बाद विधायक ने जवाब दिया कि मरीज सरकारी अस्पतालों के बजाए निजी अस्पतालों को चुन रहे हैं, इसलिए हो सकता है कि इन अस्पतालों में कोई जगह नहीं होगी. लेकिन पिछले दो दिनों से राजकोट में स्थिति बेहतर है.
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वडोदरा के अस्पताल ने संतोषजनक जवाब दिया
वडोदरा में सभी बेड सरकारी और निजी अस्पतालों में भरे हुए हैं. हालांकि, ईटीवी भारत ने गवर्नमेंट और निजी अस्पतालों दोनों के हेल्पलाइन नंबरों की जांच की तो पाया कि सभी नंबर काम कर रहे थे. उन नंबर्स पर अस्पताल के सामान्य, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर बेड के बारे में जानकारी भी मुहैया कराई गई. संतोषजनक जवाब के साथ उपचार के संदर्भ में जानकारी भी दी गई.