नई दिल्ली: कांग्रेस ने ऊंचे जोखिम वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की ओर से अतिरिक्त खुलासे को अनिवार्य करने संबंधी भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रस्ताव के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को दावा किया कि यह कदम उन नियमों को सख्त बनाने के लिए उठाया गया है, जिन्हें 2018 में कमजोर करके अडाणी समूह को फायदा पहुंचाया गया था. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि उम्मीद की जाती है कि सेबी का यह नया कदम आंखों में धूल झोंकने के लिए नहीं है और पहले के निवेश भी इसके दायरे में आएंगे.
-
https://t.co/lyP90hQtg7
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
The SEBI Consultation Paper put out yesterday proposes to tighten the very rules it was forced to dilute in 2018 to allow foreign portfolio investors to invest in Indian companies without having to reveal their FULL ownership details. This was done to…
">https://t.co/lyP90hQtg7
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 1, 2023
The SEBI Consultation Paper put out yesterday proposes to tighten the very rules it was forced to dilute in 2018 to allow foreign portfolio investors to invest in Indian companies without having to reveal their FULL ownership details. This was done to…https://t.co/lyP90hQtg7
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 1, 2023
The SEBI Consultation Paper put out yesterday proposes to tighten the very rules it was forced to dilute in 2018 to allow foreign portfolio investors to invest in Indian companies without having to reveal their FULL ownership details. This was done to…
उल्लेखनीय है कि सेबी ने ऊंचे जोखिम वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की ओर से अतिरिक्त खुलासे को अनिवार्य करने का प्रस्ताव किया है. इससे न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) की जरूरत को लेकर किसी तरह की कोताही से बचा जा सकेगा. रमेश ने ट्वीट किया, 'कल आए सेबी के परामर्श पत्र में उन नियमों को सख्त बनाने का प्रस्ताव दिया गया है, जिन्हें यह संस्था 2018 में कमजोर करने को विवश हो गई थी, ताकि विदेशी निवेश कंपनियां अपने स्वामित्व का पूरा ब्योरा दिए बिना ही भारतीय कंपनियों में निवेश कर सकें. यह सब 'मोदानी' को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया था.'
उन्होंने कहा, 'हम आशा करते हैं कि यह परामर्श पत्र आंखों में धूल झोंकने वाला कोई कदम नहीं होगा और इसके दायरे में पहले के निवेश भी आएंगे. ऐसा लगता है कि यह उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति के निष्कर्ष की प्रतिक्रिया में उठाया गया है.' कांग्रेस महासचिव ने कहा, 'यह हमारी प्रश्न श्रृंखला 'हम अडाणी के हैं कौन' की भी पुष्टि करता है, जिसके तहत हमने प्रधानमंत्री से 100 सवाल पूछे थे. हालांकि, वह अभी भी पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं.'
अमेरिकी संस्था 'हिंडनबर्ग रिसर्च' की कुछ महीने पहले आई रिपोर्ट में अडाणी समूह पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए गए थे. इसके बाद से कांग्रेस लगातार इस मामले को उठाते हुए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से इसकी जांच कराने की मांग कर रही है. अडाणी समूह ने सभी आरोपों को खारिज किया है.
पीटीआई-भाषा