नई दिल्ली : केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री ने सोमवार को राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में बताया है कि 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में बेघर आबादी की संख्या 17,73,040 थी. आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्रों के 9,38,348 और ग्रामीण क्षेत्रों से 8,34,692 लोगों के पास सिर छिपाने के लिए घर नहीं था.
सरकार ने यह जानकारी 10 साल पहले की गई जनगणना के आधार पर दी है. जबकि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत 17 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में 1.14 करोड़ घर बनाने की मंजूरी दे चुकी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जून 2015 में शुरू की गई पीएमएवाई (यू) स्कीम शुरू की थी, इसका उद्देश्य 2022 तक सभी के लिए आवास उपलब्ध कराना है.
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Union Minister for Housing and Urban Affairs inform Rajya Sabha in a written reply that as per the census of 2011 the number of houseless population in India was 17,73,040 which includes 9,38,348 from urban areas and 8,34,692 from the rural areas.
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— ANI (@ANI) February 7, 2022Union Minister for Housing and Urban Affairs inform Rajya Sabha in a written reply that as per the census of 2011 the number of houseless population in India was 17,73,040 which includes 9,38,348 from urban areas and 8,34,692 from the rural areas.
— ANI (@ANI) February 7, 2022
बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 13.7 मिलियन परिवार या 17.4 प्रतिशत शहरी फैमिली सुविधाविहीन अवैध बस्तियों में रहती है. मोटे तौर पर, भारत में लगभग 6.8 करोड़ लोगों के पास रहने की मूलभूत सुविधा नहीं है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की राजधानी दिल्ली में ही करीब एक लाख लोग बेघर हैं , जो हर मौसम में खुले आसमान के नीचे अपनी रात गुजारते हैं. सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट (सीएचडी) की एक रिपोर्ट के हवाले से यह दावा किया गया है कि 30 जनवरी तक दिल्ली में अत्यधिक ठंड के कारण कम से कम 176 बेघर लोगों की मौत हो गई. दिल्ली सरकार के पास बेघर लोगों की मौतों का आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है. इस कारण सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट और सरकार के आंकड़ों में समानता नहीं है. भारत पर्यावरण पोर्टल (IEP) के अनुसार 2020 में शीतलहर के कारण पूरे भारत में 152 मौतें दर्ज की गईं थी.
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