मेरठ. जिले में आयकर विभाग से रिटायर्ड जीवन सिंह बिष्ट ने अपने घर को खास तरह का अनोखा संग्रहालय बना दिया है. जीवन पिछले तीस साल से अलग-अलग तरह की दुर्लभ चीजों को एकत्र कर संजोने में लगे हुए हैं. उनके संग्रहालय में 13 हजार से अधिक डाक टिकट, सन 1804 से लेकर वर्तमान समय तक के सिक्के, अंग्रेजी हुकूमत से पूर्व तमाम राजा-महाराजाओं वाले सिक्के समेत भारत सरकार की तरफ से जारी होने वाले कैलेंडर्स का भी संग्रह है.
मेरठ के शताब्दी नगर निवासी उत्तराखंड के मूल निवासी जीवन सिंह आयकर विभाग से रिटायर हैं. जीवन ने अपने घर को ही अनूठे म्यूजियम में तब्दील कर दिया है. लगातार दुर्लभ चीजों की खोजबीन ही जीवन बिष्ट की दिनचर्या है. जीवन सिंह बिष्ट के पास सन 1804 से लेकर वर्तमान समय तक चलने वाले हजारों सिक्कों का संग्रह है. उन्होंने बताया कि राजा-महाराजाओं के समय में जो सिक्के चलन में थे, वो आसानी से कहीं नहीं मिलेंगे.
वहीं, देश की आजादी से पूर्व के सिक्कों को खोज पाना भी चुनौती पूर्ण है. उनके द्वारा दुर्लभ चीजों को खोजने और संजोकर रखने के जुनून का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके पास हजारों सिक्कों का संग्रह है.जीवन सिंह ने बताया कि 1992 से लेकर 2022 तक वह लगातार दुर्लभ चीजों को एकत्र करने में लगे हुए हैं. करीब 13 हजार डाक टिकट, 65 तरह के पोस्टकार्ड उनके पास हैं. एक पाई, एक पैसा, दो पैसा, तीन पैसे से लेकर वर्तमान समय तक चलने वाले तरह-तरह के सिक्कों का संग्रह उनके पास है. उन्होंने बताया कि 210 सिक्के तो उनके पास ऐसे हैं जो 1947 यानी आजादी से पहले के हैं.
जीवन कहते हैं कि आने वाली जो पीढ़ी है, उनके लिए ये महत्वपूर्ण है. वे मानते हैं कि इसीलिए उन्होंने घर के एक भाग को ही म्यूजियम में तब्दील कर दिया है. इससे ये जानकारी आसानी से मिल सकेगी कि पहले क्या कुछ चलन में था. उनका कहना है कि यहां आकर बहुत सी चीजों को जानने समझने का मौका मिलता है. जीवन बिष्ट बताते हैं कि उन्होंने 1992 से लेकर 2020 तक के सभी वे कैलेंडर भी संग्रहित किए हैं जो कि भारत सरकार की तरफ से समय-समय पर जारी किए गए हैं.
जीवन बिष्ट ने अपने अनोखे म्यूजियम में एक आना, दो आना से लेकर के साढ़े चार सौ रुपये तक के डाक टिकट भी संग्रहित किए हैं. ऐसे दुर्लभ स्टांप पेपर भी अपने म्यूजियम में उन्होंने संजोकर रखे हैं. इन पर अंकित रकम को पढ़कर ही लोग दांतों तले अंगुली दबा लेंगे. जीवन कहते हैं कि उन्हें कहीं इन सब कोशिशों के लिए कभी कोई पुरस्कार या सम्मान नहीं मिला हालांकि इस बात का उन्हें कोई मलाल भी नहीं है. वे चाहते हैं कि उन्हें सरकार सिर्फ प्रोत्साहित कर दे. 75 नए पैसे का उनके पास स्टाम्प पेपर भी मौजूद है.