श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर सरकार (Jammu Kashmir Government) ने कश्मीर में ऐतिहासिक मुगल गार्डन (historic Mughal Gardens) के पुननिर्माण के लिए जिंदल बिजनेस ग्रुप (Jindal business Group) की सामाजिक विकास शाखा जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन (JSW Foundation) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों ने कहा कि मुगल साम्राज्य की वास्तुकला को संरक्षित (Mughal empire architecture) किया जाना चाहिए.
इस साल जून में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे और शालीमार और निशात गार्डन (Shalimar and Nishat Gardens) के प्रसिद्ध मुगल गार्डन (Mughal gardens) के पुननिर्माण और संरक्षण का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा.
सरकार के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि समझौता ज्ञापन पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Governor Manoj Sinha) की उपस्थिति में आयुक्त सचिव, फ्लोरीकल्चर और जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन की अध्यक्ष संगीता जिंदल (Sangita Jindal ) ने हस्ताक्षर किए.
जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (Corporate Social Responsibility) के तहत दो विरासत उद्यानों को संरक्षित करने में वित्तीय और तकनीकी (financially and technically) रूप से जम्मू-कश्मीर की सहायता और समर्थन करेगा.
मुगल गार्डन के प्रभारी (in-charge of Mughal Gardens) जावेद मसूद (Javaid Masood) ने कहा, यह (JSW) सरकार द्वारा नियुक्त सलाहकारों की देखरेख में काम करेगा. हमारा लक्ष्य इन विरासत स्थलों को उनकी मूल संरचना में बहाल करना है.
उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि एक या दो साल के भीतर इन दोनों उद्यानों की बहाली पूरी हो जाएगी.'
मुगल गार्डन जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में जबरवां पहाड़ियों की तलहटी (foothills of the Zabarwan hills) में प्रसिद्ध डल झील के किनारे स्थित हैं.
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17 वीं शताब्दी में मुगल राजाओं, जहांगीर और शाहजहां (Jahangir and Shahajahan) द्वारा गार्डनों का निर्माण किया गया था. बागानों ने स्थानीय लोगों से लेकर विदेशियों तक पर्यटकों को आकर्षित किया है.
स्थानीय लोग इस पहल की सराहना करते हैं, लेकिन चाहते हैं कि पुननिर्माण के दौरान बगीचों के ऐतिहासिक महत्व का ध्यान रखा जाए.
ईटीवी भारत से बात करते हुए एक स्थानीय निवासी अमजिद अहमद ने कहा कि मुगलों ने इन बागानों को सैकड़ों साल पहले बनाया था, लेकिन स्थानीय सरकार द्वारा संरक्षण उपायों की कमी के कारण दीवारें और सीढ़ियां खराब हो गई हैं. पुननिर्माण एक अच्छा कदम है, लेकिन वास्तुकला को संरक्षित किया जाना चाहिए.
INTACH के निदेशक सलीम बेग ने ईटीवी भारत को बताया कि बगीचों का कश्मीर के लिए ऐतिहासिक महत्व है और मुगल वास्तुकला का संरक्षण प्राथमिकता होनी चाहिए.