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इजिप्ट में भारत की प्राचीनतम लिपि का शिलालेख, इतिहासकारों में कौतूहल - greek philosophy indian philosophy

इजिप्ट यानी मिस्र में ब्राह्मी लिपि का मिलना भारतीय इतिहासकारों के लिए कौतूहलता का विषय बन गया है. ऐसा नहीं है कि इससे पहले इसकी जानकारी नहीं थी. प्राचीन काल से ही भारत का व्यापार अफ्रीकी देशों के साथ होता रहा है. उन देशों में भारत में बनी वस्तुओं के अवशेष मिले हैं. लेकिन किसी लिपि का मिलना और वह भी लंबी स्क्रिप्ट, यह अपने आप में बहुत मायने रखती है. इसका महत्व इसलिए है, क्योंकि अगर किसी वस्तु (आम तौर पर मिट्टी के किसी बर्तन या घड़ा) पर स्क्रिप्ट मिलती है, तो इसे व्यापार से आप जोड़ सकते हैं. कहा जा सकता है कि व्यापारिक लेन-देन की वजह से अमुक वस्तु वहां भेजी गई होगी. लेकिन जब स्क्रिप्ट थोड़ी लंबी हो, तो इसका अर्थ होता है कि वहां के लोग निश्चित तौर पर इस लिपि से अवगत होंगे, ऐसा इतिहासज्ञ मानते हैं. पूरे मामले पर क्या कहते हैं जानकार, पढ़ें पूरी स्टोरी. Brahmi inscription found in egypt.

brahmi inscription found in egypt
इजिप्ट में मिला ब्राह्मी लिपि का शिलालेख
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Published : Sep 14, 2022, 5:31 PM IST

नई दिल्ली : अफ्रीकी देश इजिप्ट (मिस्र) में प्राचीन भारतीय लिपि से जुड़े शिलालेखों का मिलना उस दौर में भारत की महत्ता को दर्शाता है. यह हमारी सांस्कृतिक संपन्नता और सभ्यता के प्रभाव का उदाहरण है. पिछले सौ सालों में एपिग्राफी से जुड़ी इतनी रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी नहीं मिली है. अभी जिस शिलालेख की बात की जा रही है, वह इजिप्ट में मिला है, यह ब्राह्मी लिपि में है. 'ब्राह्मी संस्कृत' लिपि कुषाण काल से जुड़ी है. इजिप्ट के बेरेनिके मंदिर में खुदाई के दौरान यह लिपि मिली है. पोलैंड के प्रोफेसर मारेक वोज्निएक ने इस शिलालेख को ढूंढा है. इस शिलालेख में क्या लिखा गया है, इसको समझने का प्रयास किया जा रहा है. brahmi inscription found in egypt.

इस शिलालेख के साथ ग्रीक (यूनान) इंस्क्रिप्शन (शिलालेख) भी है. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि हो सकता है यह भारतीय दर्शन और ग्रीक दर्शन के बीच इंटेरेक्शन का भी उदाहरण हो सकता है. इतिहासज्ञ मानते हैं कि अभी तक हमें भारतीय दर्शन पर यूनानी दर्शन के प्रभाव की बातें पढ़ाई जाती रहीं हैं, लेकिन हकीकत कुछ और है. तथ्य ये है कि यूनानी दर्शन, भारतीय दर्शन से प्रभावित रहा है. इजिप्ट में मिले इस शिलालेख को लेकर ईटीवी भारत ने कुछ इतिहासकारों और इस विषय की समझ रखने वालों से बात की है. क्या कहना है उनका, जानिए.

ईटीवी भारत ने इस विषय पर एएसआई के पूर्व अधिकारी बीआर मणि (BR Mani) से बात की. उन्होंने कहा, “देखिए इजिप्ट में लिपि मिली जरूर है. लेकिन यह बाद की प्रतीत होती है. क्योंकि मेरे पास इसकी एक फोटोग्राफ है. इसलिए मैंने उसे एपिग्राफी ब्रांच के पास भेज दिया है. वहां पर डॉ के मुनीरत्नम हैं, वह इसे देखेंगे. उनसे मैंने कहा है कि एक बार रीडिंग की कोशिश करें. पर, यह अफ्रीका से मिला है, तो वहां से ट्रेड रिलेशंस तो होंगे ही. इस हिसाब से देखें तो मुझे यह पहली शताब्दी की प्रतीत होती है. इतना तो निश्चित है कि भारत के बाहर ब्राह्मी लिपि का मिलना बहुत ही महत्वपूर्ण है. थोड़ा इंतजार कीजिए, एक बार यह पता चल जाए कि क्या लिखा है, फिर टिप्पणी करना बेहतर होगा.”

उन्होंने आगे कहा कि देखिए ऐसा है कि ये तब का वक्त है, जब उत्तर में कुषाणों का राज्य था और दक्षिण में सातवाहनों का. दोनों ही राजवंश के समय में पश्चिमी देशों के साथ व्यापार बहुत फैल रहा था. ऐसे में यहां के जो व्यापारी पश्चिम की ओर जाते थे, निश्चित तौर पर अफ्रीकन कोस्ट में लैंड करते रहे होंगे. उनकी वहां कॉलोनी रही होंगी. जैसे भारत में यूरोपियंस की कॉलोनी मिलती है. पुदुचेरी इलाके में रोमन क़लोनी हैं. इसी तरह से ये वहां ट्रेडर्स की कॉलोनी थी (क्योंकि) अफ्रीकन कोस्ट और इजिप्ट के आसपास कुषाण काल के सिक्के भी मिले हैं.

इतिहास पर अनुसंधान करने वाले वेदवीर आर्य (संयुक्त सचिव, रक्षा मंत्रालय) बताते हैं, "पैलियोग्राफी के आधार पर ब्राह्मी लिपि कुषाण काल की या उत्तर कुषाण काल की लिपि है. आधुनिक इतिहासकार इसे तीसरी या दूसरी शती का कहेंगे. अशोक के समय बहुत सारे बौद्ध भिक्षुओं को दूसरे देशों में भेजा गया था. वे इजिप्ट तक गए थे. वहां पर अलेक्जेंड्रिया शहर तक बौद्ध धर्म पहुंचाया गया था. वहां इन्हें ग्रीक में थेरापुटप कहा जाता है. अभी इजिप्ट में मिले शिलालेख को पढ़ने की कोशिश की जा रही है. एक ग्रीक इंस्क्रिप्शन भी मिला है. दोनों एक साथ मिले हैं. दोनों को जब पढ़ा जाएगा , तो हम समझ पाएंगे कि इसका क्या महत्व है. लेकिन ये उसी समय का है जब बौद्ध धर्म इजिप्ट पहुंचा था. हमारे भारतीय लोग वहां पर आते जाते रहे होंगे."

  • BRAHMI INSCRIPTION FOUND IN EGYPT

    An exciting epigraphic discovery of last 100 years.

    This Kushana Brahimi Sanskrit inscription found in recent excavations in old temple at Berenike in the northern tip of Africa, Egypt.

    Prof.Marek Wozniak, Warsaw, Poland has found it in Egypt pic.twitter.com/X283uiLEqw

    — Vedveer Arya वेदवीर आर्यः 🇮🇳 (@VedveerArya3) September 9, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

आर्य ने आगे कहा, "व्यापारिक रिश्ते तो बहुत पहले से थे. समुद्री व्यापार पहले से होता रहा था. इजिप्ट में कुछ पॉटरीज़ (Potteries) मिली हैं, जिसके ऊपर ब्राह्मी लिपि में कुछ लिखा हुआ है. केवल तीन-चार अक्षर हैं उसमें. ये पूरा इंस्क्रिप्शन पहली बार मिला है, जो पांच-छह लाइनों का है. वर्ना टेराकोटा के बने घड़े के जो टुकड़े मिले हैं उसमें तीन-चार लाइनों में ब्राह्मी स्क्रिप्ट पहले भी मिली है. हो सकता है कि यहां से वे घड़ा ले कर गए हों. लेकिन ये इंस्क्रिप्शन बड़ा है तो माना जा रहा है कि वहीं पर लिखा गया. इसका मतलब वहां भारतीय आबादी रही होगी जो ब्राह्मी पढ़ सकती होगी. भारतीय और ग्रीक दार्शनिकों के बीच जो भी इंटरेक्शन हुआ होगा, शायद उसके आधार पर भी इसका विश्लेषण किया जा सकता है. यह भी हम कह सकते हैं कि ग्रीक दर्शन पर भारतीय दर्शन का प्रभाव है, न कि इंडियन फिलॉसफी पर ग्रीक फिलॉसफी का. आधुनिक फिलॉसफर जो हमें बताते हैं कि भारतीय दर्शन पर ग्रीक दर्शन का प्रभाव है, यह गलत है."

एएसआई एपिग्राफी विभाग के एएसआई मुनिरत्नम रेड्डी ने ईटीवी भारत को बताया, "मैं पब्लिसिटी नहीं चाहता हूं. मैं अपनी ड्यूटी कर रहा हूं. एएसआई अब इन इंस्क्रिप्शन्स के बारे में लोगों में जागरुकता पैदा करना चाहता है. ऐसा लगता है कि जो शिलालेख इजिप्ट या मिस्र में मिला है, वो किसी मंदिर के निर्माण से जुड़ा है, जो किसी क्षत्रप वंश के हमारे राजा के द्वारा बनाया गया था. इसके साथ ही ग्रीक इंस्क्रिप्शन भी मिला है. तो दो-तीन दिनों का इंतज़ार कीजिए. खास बात ये कि हमारे राजा और ग्रीक राजाओं में सूचना का आदान-प्रदान होता रहता था."

क्या होता है एपिग्राफी - प्राचीन काल के शिलालेखों का अध्ययन. उन्हें पढ़ने और उसके आधार पर उस समय की संस्कृति और सभ्यता का अनुमान लगाना. उस समय के पत्थरों, धातुओं, हड्डियों और मिट्टी पर लिखे गए लेखों के पढ़ने को ही एपिग्राफी कहते हैं.

कुषाण काल - लगभग पहली शताब्दी के अंत से तीसरी शताब्दी तक इनका काल माना जाता है. कुषाणों ने एक मिश्रित संस्कृति को बढ़ावा दिया, जो उनके सिक्कों पर बने विभिन्न देवी देवताओं, यूनानी-रोमन, ईरानी और भारतीय, के द्वारा सबसे अच्छी तरह समझी जा सकती है.

ब्राह्मी लिपि भारत की प्राचीनतम लिपियों में से एक है. अशोक के अभिलेखों के रूप में यह लिपि उपलब्ध है. यह बाएं से दाएं लिखी जाती है.

नई दिल्ली : अफ्रीकी देश इजिप्ट (मिस्र) में प्राचीन भारतीय लिपि से जुड़े शिलालेखों का मिलना उस दौर में भारत की महत्ता को दर्शाता है. यह हमारी सांस्कृतिक संपन्नता और सभ्यता के प्रभाव का उदाहरण है. पिछले सौ सालों में एपिग्राफी से जुड़ी इतनी रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी नहीं मिली है. अभी जिस शिलालेख की बात की जा रही है, वह इजिप्ट में मिला है, यह ब्राह्मी लिपि में है. 'ब्राह्मी संस्कृत' लिपि कुषाण काल से जुड़ी है. इजिप्ट के बेरेनिके मंदिर में खुदाई के दौरान यह लिपि मिली है. पोलैंड के प्रोफेसर मारेक वोज्निएक ने इस शिलालेख को ढूंढा है. इस शिलालेख में क्या लिखा गया है, इसको समझने का प्रयास किया जा रहा है. brahmi inscription found in egypt.

इस शिलालेख के साथ ग्रीक (यूनान) इंस्क्रिप्शन (शिलालेख) भी है. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि हो सकता है यह भारतीय दर्शन और ग्रीक दर्शन के बीच इंटेरेक्शन का भी उदाहरण हो सकता है. इतिहासज्ञ मानते हैं कि अभी तक हमें भारतीय दर्शन पर यूनानी दर्शन के प्रभाव की बातें पढ़ाई जाती रहीं हैं, लेकिन हकीकत कुछ और है. तथ्य ये है कि यूनानी दर्शन, भारतीय दर्शन से प्रभावित रहा है. इजिप्ट में मिले इस शिलालेख को लेकर ईटीवी भारत ने कुछ इतिहासकारों और इस विषय की समझ रखने वालों से बात की है. क्या कहना है उनका, जानिए.

ईटीवी भारत ने इस विषय पर एएसआई के पूर्व अधिकारी बीआर मणि (BR Mani) से बात की. उन्होंने कहा, “देखिए इजिप्ट में लिपि मिली जरूर है. लेकिन यह बाद की प्रतीत होती है. क्योंकि मेरे पास इसकी एक फोटोग्राफ है. इसलिए मैंने उसे एपिग्राफी ब्रांच के पास भेज दिया है. वहां पर डॉ के मुनीरत्नम हैं, वह इसे देखेंगे. उनसे मैंने कहा है कि एक बार रीडिंग की कोशिश करें. पर, यह अफ्रीका से मिला है, तो वहां से ट्रेड रिलेशंस तो होंगे ही. इस हिसाब से देखें तो मुझे यह पहली शताब्दी की प्रतीत होती है. इतना तो निश्चित है कि भारत के बाहर ब्राह्मी लिपि का मिलना बहुत ही महत्वपूर्ण है. थोड़ा इंतजार कीजिए, एक बार यह पता चल जाए कि क्या लिखा है, फिर टिप्पणी करना बेहतर होगा.”

उन्होंने आगे कहा कि देखिए ऐसा है कि ये तब का वक्त है, जब उत्तर में कुषाणों का राज्य था और दक्षिण में सातवाहनों का. दोनों ही राजवंश के समय में पश्चिमी देशों के साथ व्यापार बहुत फैल रहा था. ऐसे में यहां के जो व्यापारी पश्चिम की ओर जाते थे, निश्चित तौर पर अफ्रीकन कोस्ट में लैंड करते रहे होंगे. उनकी वहां कॉलोनी रही होंगी. जैसे भारत में यूरोपियंस की कॉलोनी मिलती है. पुदुचेरी इलाके में रोमन क़लोनी हैं. इसी तरह से ये वहां ट्रेडर्स की कॉलोनी थी (क्योंकि) अफ्रीकन कोस्ट और इजिप्ट के आसपास कुषाण काल के सिक्के भी मिले हैं.

इतिहास पर अनुसंधान करने वाले वेदवीर आर्य (संयुक्त सचिव, रक्षा मंत्रालय) बताते हैं, "पैलियोग्राफी के आधार पर ब्राह्मी लिपि कुषाण काल की या उत्तर कुषाण काल की लिपि है. आधुनिक इतिहासकार इसे तीसरी या दूसरी शती का कहेंगे. अशोक के समय बहुत सारे बौद्ध भिक्षुओं को दूसरे देशों में भेजा गया था. वे इजिप्ट तक गए थे. वहां पर अलेक्जेंड्रिया शहर तक बौद्ध धर्म पहुंचाया गया था. वहां इन्हें ग्रीक में थेरापुटप कहा जाता है. अभी इजिप्ट में मिले शिलालेख को पढ़ने की कोशिश की जा रही है. एक ग्रीक इंस्क्रिप्शन भी मिला है. दोनों एक साथ मिले हैं. दोनों को जब पढ़ा जाएगा , तो हम समझ पाएंगे कि इसका क्या महत्व है. लेकिन ये उसी समय का है जब बौद्ध धर्म इजिप्ट पहुंचा था. हमारे भारतीय लोग वहां पर आते जाते रहे होंगे."

  • BRAHMI INSCRIPTION FOUND IN EGYPT

    An exciting epigraphic discovery of last 100 years.

    This Kushana Brahimi Sanskrit inscription found in recent excavations in old temple at Berenike in the northern tip of Africa, Egypt.

    Prof.Marek Wozniak, Warsaw, Poland has found it in Egypt pic.twitter.com/X283uiLEqw

    — Vedveer Arya वेदवीर आर्यः 🇮🇳 (@VedveerArya3) September 9, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

आर्य ने आगे कहा, "व्यापारिक रिश्ते तो बहुत पहले से थे. समुद्री व्यापार पहले से होता रहा था. इजिप्ट में कुछ पॉटरीज़ (Potteries) मिली हैं, जिसके ऊपर ब्राह्मी लिपि में कुछ लिखा हुआ है. केवल तीन-चार अक्षर हैं उसमें. ये पूरा इंस्क्रिप्शन पहली बार मिला है, जो पांच-छह लाइनों का है. वर्ना टेराकोटा के बने घड़े के जो टुकड़े मिले हैं उसमें तीन-चार लाइनों में ब्राह्मी स्क्रिप्ट पहले भी मिली है. हो सकता है कि यहां से वे घड़ा ले कर गए हों. लेकिन ये इंस्क्रिप्शन बड़ा है तो माना जा रहा है कि वहीं पर लिखा गया. इसका मतलब वहां भारतीय आबादी रही होगी जो ब्राह्मी पढ़ सकती होगी. भारतीय और ग्रीक दार्शनिकों के बीच जो भी इंटरेक्शन हुआ होगा, शायद उसके आधार पर भी इसका विश्लेषण किया जा सकता है. यह भी हम कह सकते हैं कि ग्रीक दर्शन पर भारतीय दर्शन का प्रभाव है, न कि इंडियन फिलॉसफी पर ग्रीक फिलॉसफी का. आधुनिक फिलॉसफर जो हमें बताते हैं कि भारतीय दर्शन पर ग्रीक दर्शन का प्रभाव है, यह गलत है."

एएसआई एपिग्राफी विभाग के एएसआई मुनिरत्नम रेड्डी ने ईटीवी भारत को बताया, "मैं पब्लिसिटी नहीं चाहता हूं. मैं अपनी ड्यूटी कर रहा हूं. एएसआई अब इन इंस्क्रिप्शन्स के बारे में लोगों में जागरुकता पैदा करना चाहता है. ऐसा लगता है कि जो शिलालेख इजिप्ट या मिस्र में मिला है, वो किसी मंदिर के निर्माण से जुड़ा है, जो किसी क्षत्रप वंश के हमारे राजा के द्वारा बनाया गया था. इसके साथ ही ग्रीक इंस्क्रिप्शन भी मिला है. तो दो-तीन दिनों का इंतज़ार कीजिए. खास बात ये कि हमारे राजा और ग्रीक राजाओं में सूचना का आदान-प्रदान होता रहता था."

क्या होता है एपिग्राफी - प्राचीन काल के शिलालेखों का अध्ययन. उन्हें पढ़ने और उसके आधार पर उस समय की संस्कृति और सभ्यता का अनुमान लगाना. उस समय के पत्थरों, धातुओं, हड्डियों और मिट्टी पर लिखे गए लेखों के पढ़ने को ही एपिग्राफी कहते हैं.

कुषाण काल - लगभग पहली शताब्दी के अंत से तीसरी शताब्दी तक इनका काल माना जाता है. कुषाणों ने एक मिश्रित संस्कृति को बढ़ावा दिया, जो उनके सिक्कों पर बने विभिन्न देवी देवताओं, यूनानी-रोमन, ईरानी और भारतीय, के द्वारा सबसे अच्छी तरह समझी जा सकती है.

ब्राह्मी लिपि भारत की प्राचीनतम लिपियों में से एक है. अशोक के अभिलेखों के रूप में यह लिपि उपलब्ध है. यह बाएं से दाएं लिखी जाती है.

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