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भगवान शिव के मंदिर की सफाई करते हैं अल्ताफ, पेश कर रहे आपसी भाईचारे की नजीर

गांदरबल में लादुना गांव के अल्ताफ यहां स्थित शिव मंदिर की सफाई और देखभाल करते हैं. वे कहते हैं कि हमारा धर्म हमें सिखाता है कि हम अपने गैर-मुस्लिम भाइयों का सम्मान और उनकी संपत्ति की रक्षा कैसे करें.

Hindu-Muslim brotherhood in Laduna
शिव मंदिर की सफाई करते हैं अल्ताफ
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Published : Mar 29, 2022, 10:37 AM IST

श्रीनगर: एक ओर जहां समाज में धर्म को लेकर खाई बढ़ती जा रही है वहीं दूसरी ओर गांदरबल के लादुना गांव में एक युवा, हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की नजीर पेश कर रहा है. मोहम्मद अल्ताफ नामक यह व्यक्ति यहां स्थित शिव मंदिर की सफाई और देखभाल करते हैं. वे बताते हैं कि, 'मैं इस मंदिर में आता हूं और इसकी सफाई करता हूं. एक मुसलमान के तौर पर यह मेरा फर्ज है कि मैं पंडितों की मदद करूं.' इसके साथ ही, वे यह भी कहते हैं कि, 'हमारा धर्म हमें सिखाता है कि हम अपने गैर-मुस्लिम भाइयों का सम्मान कैसे करें और उनकी संपत्ति की रक्षा कैसे करें.'

बताया गया कि लादुना नामक इस गांव में कश्मीरी पंडितों के आठ परिवार रहते थे लेकिन सन् 1990 में हालात बिगड़ने के बाद सभी लोग यहां से दिल्ली और जम्मू चले गए. इसके साथ ही गाँव में कश्मीरी पंडितों ने अपनी सारी जमीन स्थानीय लोगों को बेच दी जिसका लोगों ने तय कीमत के अनुसार उसका भुगतान किया. अल्ताफ ने बताया कि, 'मंदिर की देखरेख के अलावा हमने सरपंच निकाय के साथ मिलकर इसकी दीवार बनाने की योजना बनाई है और जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा.' वहीं पड़ोस के एक बुजुर्ग मुस्लिम शख्स ने बताया कि, सन् 1990 से पहले हम भाई-बहन की तरह रहते थे.

शिव मंदिर की सफाई करते हैं अल्ताफ

यह भी पढ़ें-30 जून से शुरू होगी अमरनाथ यात्रा, कोरोना प्रोटोकॉल का पालन जरूरी

उन्होंने आगे बताया कि, सन् 1990 में जब कश्मीर घाटी में हालात बिगड़े तब भी हमने इन कश्मीरी पंडितों का सहारा लिया और हम उनके घरों में सोए और उनकी रखवाली की थी, लेकिन किसी ने इसपर ध्यान नहीं दिया. उनके अलावा वृद्ध राथर साहब ने बताया कि, 'उस समय हीरा लाल नाम के एक पड़ोसी पंडित ने मुझे अपनी जमीन बेची जिसके बदले में हमने उसे अच्छी कीमत दी. इसके लिए मेरे पास आधिकारिक दस्तावेज भी मौजूद हैं.'

श्रीनगर: एक ओर जहां समाज में धर्म को लेकर खाई बढ़ती जा रही है वहीं दूसरी ओर गांदरबल के लादुना गांव में एक युवा, हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की नजीर पेश कर रहा है. मोहम्मद अल्ताफ नामक यह व्यक्ति यहां स्थित शिव मंदिर की सफाई और देखभाल करते हैं. वे बताते हैं कि, 'मैं इस मंदिर में आता हूं और इसकी सफाई करता हूं. एक मुसलमान के तौर पर यह मेरा फर्ज है कि मैं पंडितों की मदद करूं.' इसके साथ ही, वे यह भी कहते हैं कि, 'हमारा धर्म हमें सिखाता है कि हम अपने गैर-मुस्लिम भाइयों का सम्मान कैसे करें और उनकी संपत्ति की रक्षा कैसे करें.'

बताया गया कि लादुना नामक इस गांव में कश्मीरी पंडितों के आठ परिवार रहते थे लेकिन सन् 1990 में हालात बिगड़ने के बाद सभी लोग यहां से दिल्ली और जम्मू चले गए. इसके साथ ही गाँव में कश्मीरी पंडितों ने अपनी सारी जमीन स्थानीय लोगों को बेच दी जिसका लोगों ने तय कीमत के अनुसार उसका भुगतान किया. अल्ताफ ने बताया कि, 'मंदिर की देखरेख के अलावा हमने सरपंच निकाय के साथ मिलकर इसकी दीवार बनाने की योजना बनाई है और जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा.' वहीं पड़ोस के एक बुजुर्ग मुस्लिम शख्स ने बताया कि, सन् 1990 से पहले हम भाई-बहन की तरह रहते थे.

शिव मंदिर की सफाई करते हैं अल्ताफ

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उन्होंने आगे बताया कि, सन् 1990 में जब कश्मीर घाटी में हालात बिगड़े तब भी हमने इन कश्मीरी पंडितों का सहारा लिया और हम उनके घरों में सोए और उनकी रखवाली की थी, लेकिन किसी ने इसपर ध्यान नहीं दिया. उनके अलावा वृद्ध राथर साहब ने बताया कि, 'उस समय हीरा लाल नाम के एक पड़ोसी पंडित ने मुझे अपनी जमीन बेची जिसके बदले में हमने उसे अच्छी कीमत दी. इसके लिए मेरे पास आधिकारिक दस्तावेज भी मौजूद हैं.'

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