हिमाचल प्रदेश/ शिमला: हिमाचल के रण में जयराम ठाकुर समेत कुल 11 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर थी. लेकिन इनमें से 8 मंत्रियों ने अपनी साख गवां दी है. बीते कई चुनाव में 50 से 70 फीसदी मंत्रियों को सियासी दंगल में हार का सामना करना पड़ता है और यही परंपरा वर्ष 2022 में रही. जानें सभी मंत्रियों के चुनावी परिणाम... (Himachal Pradesh assembly election result 2022 ) (election result 2022 winners)
1. जयराम ठाकुर जीते : सीएम जयराम ठाकुर सराज सीट से अपनी किस्मत चमका चुके हैं. कांग्रेस के उम्मीदवार चेतराम ठाकुर को भारी मतों से हराकर उन्होंने वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है. सीएम ने लगातार छठी बार जीत दर्ज की है. 13वें राउंड में जयराम ठाकुर ने 34050 वोट की बढ़त बनाई और 14वें राउंड में 36176 वोटों से आगे हैं. 57 साल के जयराम ठाकुर 6 चुनाव भाजपा पार्टी से ही लड़े और सभी चुनावों 1998, 2003, 2007, 2012, 2017, 2022 में जीत हासिल की है.
2. सुरेश भारद्वाज हारे: शहरी विकास मंत्री और कसुम्पटी विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी सुरेश भारद्वाज चुनाव हार चुके हैं. सुरेश भारद्वाज को शिमला शहरी की जगह कसुम्पटी से उतारा गया, जहां कांग्रेस के अनिरूद्ध सिंह ने भारद्वाज को 10 हजार से भी ज्यादा मतों से हराया है.
3. राकेश पठानिया हारे : नूरपुर के विधायक और जयराम सरकार में वन मंत्री रहे राकेश पठानिया फतेहपुर से अपनी चुनावी जंग हार चुके हैं. पठानिया को कांग्रेस के उम्मीदवार भवानी सिंह पठानिया ने 5500 से ज्यादा मतों से मात देकर जीत हासिल की है.
4. बिक्रम सिंह ठाकुर जीते : हिमाचल प्रदेश के उद्योग, परिवहन, श्रम और रोजगार मंत्री बिक्रम सिंह इस बार भी 1800 से ज्यादा मतों से जीत चुके हैं. हालांकि अंतर बहुत कम है. 2017 में बिक्रम सिंह ने जसवां परागपुर से जीत हासिल की. 2012 विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के बिक्रम सिंह जीते थे. लगातार तीन चुनाव बिक्रम सिंह जीत चुके हैं. राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी होने के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी सुरिंदर सिंह मनकोटिया अपना जादू नहीं चला पाए.
5. सरवीन चौधरी हारीं : सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री सरवीन चौधरी शाहपुर विधानसभा सीट से चुनाव हार चुकी हैं. मेजर विजय सिंह मनकोटिया के हाथ मिलाने के बावजूद वो कोई कमाल नहीं कर सकीं. कांग्रेस उम्मीदवार केवल सिंह पठानिया ने इस बार सरवीन चौधरी को लगभग 12 हजार मतों से हरा दिया है.
6. राजीव सैजल हारे : सूबे की राजनीति का बड़ा चेहरा रहे कसौली विधानसभा सीट से विधायक और स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल चुनाव हार चुके हैं. इस सीट से लगातार तीन चुनाव जीतने के बाद राजीव सैजल को कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी ने 7 हजार से ज्यादा मतों से चुनाव हरा दिया है. 2012 में भी डॉ. सैजल और विनोद सुल्तानपुरी के बीच जीत का मार्जिन काफी कम था.
7. सुखराम जीते: पांवटा साहिब विधानसभा सीट पर भाजपा विधायक सुखराम चौधरी ने जीत हासिल कर ली है. उन्होंने कांग्रेस के किरनेश जंग को 8 हजार से ज्यादा मतोंसे हराया है. 2017 और 2012 के चुनावों में भी बीजेपी के उम्मीदवार सुखराम चौधरी ने कांग्रेस के किरनेश जंग को मात दी थी.
8. राजेन्द्र गर्ग हारे: जयराम सरकार में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री रहे राजेन्द्र गर्ग घुमारवीं विधानसभा सीट से चुनाव हार चुके हैं. हालांकि वो पिछला चुनाव जीते थे. कांग्रेस के राजेश धर्माणी 5 हजार से ज्यादा मतों से जीत चुके हैं. इससे पहले घुमारवीं विधानसभा सीट से लगातार दो बार (2007 और 2012) चुनाव जीते थे, लेकिन 2017 में यह सीट उनके हाथ से निकल गई. साल 2017 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार राजेंद्र गर्ग को जीत मिली थी.
9. रामलाल मारकंडा हारे : जिला लाहौल स्पीति की एकमात्र सीट का मुकाबला इस बार काफी दिलचस्प रहा. यहां पर भाजपा की ओर से तकनीकी शिक्षा मंत्री रामलाल मारकंडा लगभग 1700 मतों से हार चुके हैं. कांग्रेस ने रवि ठाकुर ने बहुत कम अंतर से यहां जीत हासिल की है. इस बार लाहौल स्पीति विधानसभा में 73.75 प्रतिशत मतदान हुआ था.
10. गोविंद सिंह ठाकुर हारे : मनाली विधानसभा सीट से तीन बार लगातार जीत हासिल कर चुके गोविंद सिंह ठाकुर 2022 में अपनी सीट नहीं बचा पाए. बीते 15 सालों से गोविंद ठाकुर ही यहां विधानसभा चुनावों में अपनी पकड़ बनाए हुए थे. गोविंद ठाकुर अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के भुवनेश्वर गौड़ से लगभग 3 हजार मतों से हार गए.
11. वीरेंद्र कंवर हारे: ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन विभाग के मंत्री रहे 58 वर्षीय वीरेंद्र कंवर भी कमाल नहीं कर पाए. कांग्रेस के उम्मीदवार 49 वर्षीय देवेंद्र कुमार भुट्टो ने कंवर को 7 हजार से ज्यादा मतों से पटखनी दी है. साल 2017 का चुनाव भाजपा के वीरेंद्र कंवर ने कांग्रेस के विवेक शर्मा को हराकर जीता था. वीरेंद्र कंवर इस सीट पर पिछले चार चुनाव यानी 2003 से लगातार जीतते आ रहे थे. इस बार कांग्रेस ने यहां बाजी पलट दी है.
क्या कहता है इतिहास: साल 2012 से 2017 तक हिमाचल में कांग्रेस की सरकार रही थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की कैबिनेट में विद्या स्टोक्स, कौल सिंह ठाकुर, जीएस बाली, प्रकाश चौधरी, धनीराम शांडिल, अनिल शर्मा, कर्ण सिंह, मुकेश अग्निहोत्री, सुजान सिंह पठानिया, सुधीर शर्मा और ठाकुर सिंह भरमौरी मंत्री थे. लेकिन इन सभी में से महज तीन मंत्री ही अपनी सीट बचा पाए थे.
इनमें सोलन से धनीराम शांडिल, ऊना के हरोली से मुकेश अग्निहोत्री और फतेहपुर से सुजान सिंह पठानिया शामिल थे. वीरभद्र सरकार में मंत्री रहे कौल सिंह ठाकुर, जीएस बाली, प्रकाश चौधरी, सुधीर शर्मा और ठाकुर सिंह भरमौरी को हार का सामना करना पड़ा था, जबकि विद्या स्टोक्स नामांकन रद्द हो गया. इसके अलावा, अनिल शर्मा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए थे और बाद में चुनाव जीते थे. वहीं, कुल्लू से कैबिनेट मंत्री रहे कर्ण सिंह का निधन हो गया था.
हिमाचल में साल 2007 से 2012 तक भाजपा की सरकार थी. उस समय प्रेम कुमार धूमल सीएम थे. धूमल सरकार में जेपी नड्डा, नरेंद्र बरागटा, महेंद्र सिंह ठाकुर, सरवीण चौधरी, गुलाब सिंह ठाकुर, राजीव बिंदल, आईडी धीमान, किशन कपूर, रविंद्र रवि, खीमीराम, रमेश धवाला कैबिनेट मंत्री रहे. 2012 के विधानसभा चुनाव में इनमें से 4 मंत्री नरेंद्र बरागटा, किशन कपूर, खीमीराम और रमेश धवाला हार गए, जबकि जेपी नड्डा केंद्रीय राजनीति में चले गए और उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा था.