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कर्नाटक बंद है : मुस्लिम व्यापारियों ने किया दुकान बंद, छात्राओं ने कही थी यह बात.....

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Published : Mar 17, 2022, 10:41 AM IST

Updated : Mar 17, 2022, 11:23 AM IST

कर्नाटक बंद का समर्थन करने के लिए मुस्लिम व्यापारियों ने मंगलुरु में दुकानें बंद कर दीं है. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उडुपी स्थित ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की याचिकाएं खारिज कर दी थी. कोर्ट ने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है.

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बेंगलुरु: मेंगलुरु में कर्नाटक बंद का समर्थन करने के लिए मुस्लिम व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं. अमीर-ए-शरीयत कर्नाटक के मौलाना सगीर अहमद खान रशदी ने हिजाब पहनने पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बंद का आह्वान किया है. उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें कर्नाटक सरकार को कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई थी. अदालत ने माना कि हिजाब पहनना इस्लाम के तहत एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और स्कूल की वर्दी (Unifrom) का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकती.

बंद के समर्थन में मंगलुरु मछली बाजार में मुस्लिम व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं. इसी तरह, बंदार, कुद्रोली, स्टेट बैंक रोड और मार्केट रोड, जहां मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी वाला क्षेत्र माना जाता हैं, में कारोबार बंद हो गया है. मुस्लिम व्यापारियों के कारोबार के अलावा अन्य गतिविधियां हमेशा की तरह चल रही हैं.

कक्षाओं में हिजाब पहनने की इजाजत दिए जाने के मामले को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाने वाली मुस्लिम छात्राओं ने कहा था कि वे बिना हिजाब के कॉलेज नहीं जाएंगी और ‘इंसाफ’ मिलने तक कानूनी तौर पर लड़ेंगी. उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया. छात्राओं ने फैसले को ‘असंवैधानिक’ करार दिया है. एक छात्रा ने इस तटीय शहर में एक प्रेस वार्ता में कहा, “ हमने कक्षाओं में हिजाब पहनने की इजाजत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था। आदेश हमारे खिलाफ आया है। हम बिना हिजाब के कॉलेज नहीं जाएंगे, लेकिन इसके लिए लड़ेंगे। हम सभी कानूनी तरीकों का इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे। हम इंसाफ और अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे. छात्रा ने कहा, आज आया फैसला असंवैधानिक है... संविधान हमें हमारे मज़हब का पालन करने का अधिकार देता है और यह भी अधिकार देता है कि मैं कुछ भी पहन सकती हूं.

पढ़ें : Hijab Row: हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं, याचिका खारिज

उन्होंने पांच फरवरी के सरकार के आदेश का भी हवाला दिया जो परिसर में शांति, सद्भाव और लोक व्यवस्था को बाधित करने वाले किसी भी तरह के कपड़े को पहनने पर रोक लगाता है. उनके मुताबिक, परिपत्र उनके उच्च न्यायालय का रुख करने के बाद आया. सरकार पर परिपत्र जारी करके इसे एक मुद्दा बनाने का आरोप लगाते हुए छात्रा ने इल्ज़ाम लगाया कि यह दबाव में किया गया था. छात्रा का आरोप है, उन्होंने इसका कितना मसला बना दिया। या अल्लाह। उन्होंने इसे सभी कॉलेजों का मसला बना दिया. वे सभी लड़कियों को शिक्षा से महरूम कर रहे हैं। यह दवाब में किया गया था. उन्होंने फिर कहा कि हिजाब उनके मज़हब का जरूरी हिस्सा है.

बेंगलुरु: मेंगलुरु में कर्नाटक बंद का समर्थन करने के लिए मुस्लिम व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं. अमीर-ए-शरीयत कर्नाटक के मौलाना सगीर अहमद खान रशदी ने हिजाब पहनने पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बंद का आह्वान किया है. उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें कर्नाटक सरकार को कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई थी. अदालत ने माना कि हिजाब पहनना इस्लाम के तहत एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और स्कूल की वर्दी (Unifrom) का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकती.

बंद के समर्थन में मंगलुरु मछली बाजार में मुस्लिम व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं. इसी तरह, बंदार, कुद्रोली, स्टेट बैंक रोड और मार्केट रोड, जहां मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी वाला क्षेत्र माना जाता हैं, में कारोबार बंद हो गया है. मुस्लिम व्यापारियों के कारोबार के अलावा अन्य गतिविधियां हमेशा की तरह चल रही हैं.

कक्षाओं में हिजाब पहनने की इजाजत दिए जाने के मामले को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाने वाली मुस्लिम छात्राओं ने कहा था कि वे बिना हिजाब के कॉलेज नहीं जाएंगी और ‘इंसाफ’ मिलने तक कानूनी तौर पर लड़ेंगी. उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया. छात्राओं ने फैसले को ‘असंवैधानिक’ करार दिया है. एक छात्रा ने इस तटीय शहर में एक प्रेस वार्ता में कहा, “ हमने कक्षाओं में हिजाब पहनने की इजाजत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था। आदेश हमारे खिलाफ आया है। हम बिना हिजाब के कॉलेज नहीं जाएंगे, लेकिन इसके लिए लड़ेंगे। हम सभी कानूनी तरीकों का इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे। हम इंसाफ और अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे. छात्रा ने कहा, आज आया फैसला असंवैधानिक है... संविधान हमें हमारे मज़हब का पालन करने का अधिकार देता है और यह भी अधिकार देता है कि मैं कुछ भी पहन सकती हूं.

पढ़ें : Hijab Row: हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं, याचिका खारिज

उन्होंने पांच फरवरी के सरकार के आदेश का भी हवाला दिया जो परिसर में शांति, सद्भाव और लोक व्यवस्था को बाधित करने वाले किसी भी तरह के कपड़े को पहनने पर रोक लगाता है. उनके मुताबिक, परिपत्र उनके उच्च न्यायालय का रुख करने के बाद आया. सरकार पर परिपत्र जारी करके इसे एक मुद्दा बनाने का आरोप लगाते हुए छात्रा ने इल्ज़ाम लगाया कि यह दबाव में किया गया था. छात्रा का आरोप है, उन्होंने इसका कितना मसला बना दिया। या अल्लाह। उन्होंने इसे सभी कॉलेजों का मसला बना दिया. वे सभी लड़कियों को शिक्षा से महरूम कर रहे हैं। यह दवाब में किया गया था. उन्होंने फिर कहा कि हिजाब उनके मज़हब का जरूरी हिस्सा है.

Last Updated : Mar 17, 2022, 11:23 AM IST
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