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जयपुर सीरियल ब्लास्ट: हाईकोर्ट ने बचाव पक्ष की ओर से जांच में लापरवाही को लेकर पेश दलीलों को माना सही

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Published : Mar 29, 2023, 7:24 PM IST

जयपुर सीरियल ब्लास्ट 2008 के मामले में सभी आरोपियों को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है. इस मामले में कोर्ट ने बचाव पक्ष के वकील की ओर से जांच में लापरवाही बरतने की दलीलों को मानते हुए फैसला सुनाया है.

जयपुर सीरियल ब्लास्ट
जयपुर सीरियल ब्लास्ट
बचाव पक्ष ने रखी थी दलीलें

जयपुर. जयपुर में 2008 में हुए सीरीयल बम ब्लास्ट के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने तीन आरोपियों को दोषमुक्त किया है. जबकि सलमान को नाबालिग मानते हुए उसके प्रकरण को सुनवाई के लिए किशोर न्यायालय में भेज दिया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच अधिकारियों पर टिप्पणी की है.

बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि अदालत ने बचाव पक्ष की उन दलीलों को माना है जिसमें पुलिस जांच पर सवाल उठाए गए थे. बचाव पक्ष की ओर से कहा गया की घटना के अगले दिन ही पुलिस ने साइकिल विक्रेताओं की बिल बुक जब्त कर ली थी, लेकिन डिस्क्लोजर स्टेटमेंट चार माह बाद लिए गए. इसके अलावा धमाका करने में काम ली गई साइकिलों और बिल बुक की साइकिलों के चेचिस नंबर अलग थे.

पढ़ें. जयपुर सीरियल ब्लास्ट: सभी आरोपी हाईकोर्ट से बरी, ट्रायल कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सजा

इन पर भी उठे सवालः बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि आरोपियों की शिनाख्त परेड के दौरान जांच अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहे. इसके अलावा जिस साइबर कैफे से विस्फोट करने की जिम्मेदारी लेने का ईमेल भेजने की बात कही गई, वहां से कोई रिकॉर्ड जब्त नहीं किया गया और न ही जिन टीवी चैनलों में यह ईमेल भेजे गए, उन लोगों के बयान लिए गए.

पढ़ें. जयपुर ब्लास्ट मामले का फैसला दबाव में दिया गया, HC में देंगे चुनौती: बचाव पक्ष के वकील

पढ़ें: जयपुर ब्लास्ट की 11वीं बरसी: गुनहगारों को नहीं मिली अब तक सजा

आरोपियों की ओर से यह भी कहा गया की आरोपियों का घटना के दिन दिल्ली से बस के जरिए आना बताकर उसी दिन साइकिल खरीद कर वारदात को अंजाम देकर ट्रेन से वापस दिल्ली जाने की बात कही गई है. जबकि पुलिस ने सहयात्रियों के बयान, सीसीटीवी कैमरा रिकॉर्डिंग और टिकट आदि से जुड़े साक्ष्य पेश नहीं किए. वहीं पुलिस ने दिल्ली के जामा मस्जिद के सामने से छर्रे खरीदना बताया, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साबित है की मृतकों के शरीर में मिले छर्रे अलग थे.

राज्य सरकार की ओर से डेथ रेफरेंस में कहा गया कि निचली अदालत ने अभियुक्तों को बम ब्लास्ट का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई है. ऐसे में अभियुक्तों की फांसी की सजा को कन्फर्म किया जाए.

पढ़ें. जयपुर: बम ब्लास्ट की साजिश रचने वाले 7 आरोपियों को जेल

गौरतलब है कि मामले में पुलिस ने शाहबाज हुसैन, मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान, सरवर आजमी और सलमान को गिरफ्तार किया था. विशेष अदालत ने 18 दिसंबर, 2019 को शाहबाज हुसैन को बरी कर अन्य चारों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी. विशेष न्यायालय के फैसले के करीब आठ माह बाद अभियोजन पक्ष ने चांदपोल हनुमान मंदिर के पास मिले जिंदा बम को लेकर इन पांचों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था. इस आरोप पत्र में शाहबाज हुसैन को हाईकोर्ट गत 25 फरवरी को जमानत पर रिहा कर चुकी है.

बचाव पक्ष ने रखी थी दलीलें

जयपुर. जयपुर में 2008 में हुए सीरीयल बम ब्लास्ट के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने तीन आरोपियों को दोषमुक्त किया है. जबकि सलमान को नाबालिग मानते हुए उसके प्रकरण को सुनवाई के लिए किशोर न्यायालय में भेज दिया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच अधिकारियों पर टिप्पणी की है.

बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि अदालत ने बचाव पक्ष की उन दलीलों को माना है जिसमें पुलिस जांच पर सवाल उठाए गए थे. बचाव पक्ष की ओर से कहा गया की घटना के अगले दिन ही पुलिस ने साइकिल विक्रेताओं की बिल बुक जब्त कर ली थी, लेकिन डिस्क्लोजर स्टेटमेंट चार माह बाद लिए गए. इसके अलावा धमाका करने में काम ली गई साइकिलों और बिल बुक की साइकिलों के चेचिस नंबर अलग थे.

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इन पर भी उठे सवालः बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि आरोपियों की शिनाख्त परेड के दौरान जांच अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहे. इसके अलावा जिस साइबर कैफे से विस्फोट करने की जिम्मेदारी लेने का ईमेल भेजने की बात कही गई, वहां से कोई रिकॉर्ड जब्त नहीं किया गया और न ही जिन टीवी चैनलों में यह ईमेल भेजे गए, उन लोगों के बयान लिए गए.

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आरोपियों की ओर से यह भी कहा गया की आरोपियों का घटना के दिन दिल्ली से बस के जरिए आना बताकर उसी दिन साइकिल खरीद कर वारदात को अंजाम देकर ट्रेन से वापस दिल्ली जाने की बात कही गई है. जबकि पुलिस ने सहयात्रियों के बयान, सीसीटीवी कैमरा रिकॉर्डिंग और टिकट आदि से जुड़े साक्ष्य पेश नहीं किए. वहीं पुलिस ने दिल्ली के जामा मस्जिद के सामने से छर्रे खरीदना बताया, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साबित है की मृतकों के शरीर में मिले छर्रे अलग थे.

राज्य सरकार की ओर से डेथ रेफरेंस में कहा गया कि निचली अदालत ने अभियुक्तों को बम ब्लास्ट का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई है. ऐसे में अभियुक्तों की फांसी की सजा को कन्फर्म किया जाए.

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गौरतलब है कि मामले में पुलिस ने शाहबाज हुसैन, मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान, सरवर आजमी और सलमान को गिरफ्तार किया था. विशेष अदालत ने 18 दिसंबर, 2019 को शाहबाज हुसैन को बरी कर अन्य चारों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी. विशेष न्यायालय के फैसले के करीब आठ माह बाद अभियोजन पक्ष ने चांदपोल हनुमान मंदिर के पास मिले जिंदा बम को लेकर इन पांचों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था. इस आरोप पत्र में शाहबाज हुसैन को हाईकोर्ट गत 25 फरवरी को जमानत पर रिहा कर चुकी है.

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