लखनऊ : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग को ईडब्ल्यूएस आरक्षण न देने के मामले को गंभीरता से लिया है. न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि आंगनबाड़ी वर्कर के भर्ती में 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण क्यों नहीं प्रावधानित किया गया है. न्यायालय ने यूपी सरकार को इसका जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने गोदावरी सिंह व एक अन्य की सेवा संबंधी याचिका पर दिया.
दरअसल, याचियों की ओर से दलील दी गई कि उक्त भर्ती संबंधी ऑनलाइन विज्ञापन में आरक्षण सिर्फ एससी-एसटी व ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए प्रावधानित किया गया है. उक्त विज्ञापन सामान्य वर्ग के आर्थिक कमजोर वर्ग को आरक्षण दिए बगैर ही जारी कर दिया गया है. कहा गया कि विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने अथवा न करने के संबंध में शासन से दिशा-निर्देश भी मांगे थे. जिलाधिकारियों के अनुरोध के बावजूद इस संबंध में स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है.
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याचिका में उक्त भर्ती व इसका शासनादेश रद्द करने की मांग की गई है. याचिका में यह भी मांग की गई है कि भारत सरकार के निर्देशों के अनुरूप ही चयन समिति का गठन किया जाए. न्यायालय ने सरकार से जवाब मांगने के साथ-साथ याची पक्ष को भी प्रत्युत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद होगी.