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दिल्ली दंगा : उच्च न्यायालय ने तन्हा की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा

संशोधित नागरिकता कानून को लेकर दिल्ली में हुए दंगे के आरोपी आसिफ इकबाल तन्हा की एक याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने आदेश सुरक्षित रख लिया है. पढ़ें पूरी खबर...

दिल्ली दंगे
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Published : Mar 18, 2021, 9:50 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा की एक याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है.

गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार तन्हा ने याचिका में पिछले साल फरवरी में दिल्ली में हुई एक बड़ी साजिश से संबंधित मामले में जमानत दिए जाने का अनुरोध किया है.

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति ए जे भंभानी की पीठ ने दिल्ली पुलिस और तन्हा के वकीलों की दलीलों को सुना और उन्हें 22 मार्च तक लिखित जवाब दाखिल करने को कहा.

तन्हा ने निचली अदालत के 26 अक्टूबर, 2020 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उसकी जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उसने पूरी साजिश में कथित तौर पर सक्रिय भूमिका निभाई थी.

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी और अधिवक्ताओं अमित महाजन और रजत नायर ने जमानत याचिका का विरोध किया और दलील दी कि दंगे पूर्व निर्धारित थे और एक साजिश रची गई थी जिसका हिस्सा तन्हा था.

वकीलों ने कहा कि आरोपी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि इस मामले में गवाहों के बयान थे, जिसमें स्पष्ट रूप से साजिश में तन्हा की कथित भूमिका दिखती है.

पढ़ें :- दिल्ली दंगे के बाद मजबूती से खड़ा हुआ भारतीय समाज

तन्हा को इस मामले के सिलसिले में पिछले साल मई में गिरफ्तार किया गया था.

तन्हा की ओर से पेश वकीलों सिद्धार्थ अग्रवाल और सौजन्य शंकरन ने कहा था कि उन्होंने तन्हा को जमानत नहीं दिए जाने को चुनौती दी है.

गौरतलब है कि संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा के बाद पिछले साल 24 फरवरी को उत्तर-पूर्व दिल्ली में सांप्रदायिक झड़प में 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 घायल हो गए थे.

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा की एक याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है.

गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार तन्हा ने याचिका में पिछले साल फरवरी में दिल्ली में हुई एक बड़ी साजिश से संबंधित मामले में जमानत दिए जाने का अनुरोध किया है.

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति ए जे भंभानी की पीठ ने दिल्ली पुलिस और तन्हा के वकीलों की दलीलों को सुना और उन्हें 22 मार्च तक लिखित जवाब दाखिल करने को कहा.

तन्हा ने निचली अदालत के 26 अक्टूबर, 2020 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उसकी जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उसने पूरी साजिश में कथित तौर पर सक्रिय भूमिका निभाई थी.

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी और अधिवक्ताओं अमित महाजन और रजत नायर ने जमानत याचिका का विरोध किया और दलील दी कि दंगे पूर्व निर्धारित थे और एक साजिश रची गई थी जिसका हिस्सा तन्हा था.

वकीलों ने कहा कि आरोपी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि इस मामले में गवाहों के बयान थे, जिसमें स्पष्ट रूप से साजिश में तन्हा की कथित भूमिका दिखती है.

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तन्हा को इस मामले के सिलसिले में पिछले साल मई में गिरफ्तार किया गया था.

तन्हा की ओर से पेश वकीलों सिद्धार्थ अग्रवाल और सौजन्य शंकरन ने कहा था कि उन्होंने तन्हा को जमानत नहीं दिए जाने को चुनौती दी है.

गौरतलब है कि संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा के बाद पिछले साल 24 फरवरी को उत्तर-पूर्व दिल्ली में सांप्रदायिक झड़प में 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 घायल हो गए थे.

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