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मद्रास HC ने बांग्लादेशी हिंदू को हिरासत से छोड़ने का दिया आदेश

मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा रूमा सरकार नाम की महिला की रिट याचिका स्वीकार की जिसमें सचिव (एफएसी), लोक (विदेशी) विभाग के उस आदेश को रद्द करने मांग की गई, जिसमें उनके पति सुशील सरकार को हिरासत में लेने और विदेशियों के लिए तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के केंद्रीय कारागार में बनाए गए विशेष शिविर में रखने को कहा गया.

मद्रास उच्च न्यायालय
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Published : Aug 14, 2021, 10:03 PM IST

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने बांग्लादेश के एक नागरिक को स्वदेश भेजने संबंधी दिनांक 12 अप्रैल 2021 का एक आदेश रद्द कर दिया है और उसे हिरासत से छोड़ने का आदेश भी दिया.

न्यायालय ने कहा रूमा सरकार नाम की महिला की रिट याचिका स्वीकार की जिसमें सचिव (एफएसी), लोक (विदेशी) विभाग के उस आदेश को रद्द करने मांग की गई, जिसमें उनके पति सुशील सरकार को हिरासत में लेने और विदेशियों के लिए तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के केंद्रीय कारागार में बनाए गए विशेष शिविर में रखने को कहा गया.

न्यायमूर्ति एम निर्मल कुमार ने हाल के आदेश में कहा, विदेशी अधिनियम (1946), नागरिकता कानून (1955) और पासपोर्ट अधिनियम (1967) में संशोधन के मद्देनजर और एक सरकारी आदेश को देखते हुए इस अदालत को लगता है कि बांग्लादेश के एक हिंदू अल्पसंख्यक को निर्वासित नहीं किया जा सकता.

इसे भी पढ़े-आतंकियों की बड़ी साजिश बेनकाब, टारगेट था पानीपत रिफाइनरी और राम मंदिर

आपको बता दें कि न्यायाधीश ने कहा कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत आए हिंदू, सिख, इसाई, बौद्ध, जैन, पारसी समुदाय के लोगों को आम माफी मिलना और अब ऐसे किसी व्यक्ति को विदेशी अधिनियम 1946 की धारा 3(2)(ई) को लागू करते हुए हिरासत में लेना, ऐसा नहीं चल सकता हैं.

न्यायालय ने कहा कि इसके मद्देनजर सुशील सरकार की हिरासत को रद्द किया जाता है और यदि किसी अन्य मामले में उनकी जरूरत नहीं है तो उन्हें छोड़ा जाए.

(पीटीआई-भाषा)

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने बांग्लादेश के एक नागरिक को स्वदेश भेजने संबंधी दिनांक 12 अप्रैल 2021 का एक आदेश रद्द कर दिया है और उसे हिरासत से छोड़ने का आदेश भी दिया.

न्यायालय ने कहा रूमा सरकार नाम की महिला की रिट याचिका स्वीकार की जिसमें सचिव (एफएसी), लोक (विदेशी) विभाग के उस आदेश को रद्द करने मांग की गई, जिसमें उनके पति सुशील सरकार को हिरासत में लेने और विदेशियों के लिए तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के केंद्रीय कारागार में बनाए गए विशेष शिविर में रखने को कहा गया.

न्यायमूर्ति एम निर्मल कुमार ने हाल के आदेश में कहा, विदेशी अधिनियम (1946), नागरिकता कानून (1955) और पासपोर्ट अधिनियम (1967) में संशोधन के मद्देनजर और एक सरकारी आदेश को देखते हुए इस अदालत को लगता है कि बांग्लादेश के एक हिंदू अल्पसंख्यक को निर्वासित नहीं किया जा सकता.

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आपको बता दें कि न्यायाधीश ने कहा कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत आए हिंदू, सिख, इसाई, बौद्ध, जैन, पारसी समुदाय के लोगों को आम माफी मिलना और अब ऐसे किसी व्यक्ति को विदेशी अधिनियम 1946 की धारा 3(2)(ई) को लागू करते हुए हिरासत में लेना, ऐसा नहीं चल सकता हैं.

न्यायालय ने कहा कि इसके मद्देनजर सुशील सरकार की हिरासत को रद्द किया जाता है और यदि किसी अन्य मामले में उनकी जरूरत नहीं है तो उन्हें छोड़ा जाए.

(पीटीआई-भाषा)

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