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दिल्ली सरकार न्यायाधीश को कोरोना के इलाज में लगे 17 लाख रुपये का भुगतान करेः हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने साकेत कोर्ट के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (Additional District Judge) को चार हफ्ते में करीब 17 लाख रुपये देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है. कोर्ट ने कहा है कि कोरोनाकाल में दिल्ली वाले अस्पताल और ऑक्सीजन की कमी से परेशान थे और उनके पास इलाज कराने (treatment of Corona) के अलावा कोई विकल्प नहीं था. इसलिए दिल्ली सरकार अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के कोरोना के इलाज पर हुए खर्च की तत्काल प्रतिपूर्ति करे.

दिल्ली सरकार न्यायाधीश को कोरोना के इलाज में लगे 17 लाख रुपये का भुगतान करेः हाईकोर्ट
दिल्ली सरकार न्यायाधीश को कोरोना के इलाज में लगे 17 लाख रुपये का भुगतान करेः हाईकोर्ट
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Published : Nov 23, 2022, 10:34 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार को लगभग 17 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया (directed Delhi government to pay). कोर्ट ने साकेत कोर्ट के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश को वर्ष 2021 में कोरोना उपचार के लिए उनके द्वारा किए गए खर्च की प्रतिपूर्ति के रूप में 16 लाख रुपये से अधिक की रकम देने का निर्देश दिया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार को कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान 7 जून 2021 से लेकर 3 अप्रैल तक दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल में वेंटिलेटर पर रहना पड़ा था. उस दौरान अस्पताल को करीब 24 लाख रुपये देने पड़े थे, जबकि सरकार ने उन्हें केवल 7 लाख रुपये की प्रतिपूर्ति की थी.

इलाज कराने का नहीं था कोई विकल्प : न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि संभव है कि अस्पताल ने दिल्ली सरकार की ओर से जारी परिपत्र के अनुसार अधिक शुल्क लिया. लेकिन तथ्य यह भी है कि जब दिल्ली के निवासी केवल अस्पताल ही नहीं बल्कि ऑक्सीजन की भारी कमी का भी सामना कर रहे थे तो याचिकाकर्ता के पास अस्पताल में इलाज कराने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं था. यह भी विचारणीय है कि अगर उस समय अस्पताल इलाज नहीं करता तो याचिकाकर्ता का बचना मुश्किल होता. कोर्ट ने कहा कि कोर्ट वर्तमान याचिका में दिनांक 20.06.2020 के परिपत्र की वैधता में शामिल करना उचित या आवश्यक नहीं मानता है, जहां दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा का एक अधिकारी उसके द्वारा किए गए वास्तविक खर्चों के लिए राशि की प्रतिपूर्ति की मांग कर रहा है.

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तुरंत करें 16 लाख 93 हजार 880 रुपये का भुगतान : न्यायमूर्ति पल्ली ने दिल्ली सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि अस्पताल को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह सर्कुलर में निर्धारित राशि से अधिक राशि चार्ज करने की अपनी कार्रवाई के बारे में अपना रुख स्पष्ट करे या उसे शेष राशि वापस करने का निर्देश दिया जाए. कोर्ट ने स्पष्ट किया की याचिकाकर्ता को तुरंत 16,93,880/- रुपये की अंतर राशि का भुगतान करके प्रतिपूर्ति करनी चाहिए और यदि अनुचित हो तो उसे अस्पताल से वसूल करना चाहिए.

कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भुगतान के लिए दिया 4 हफ्ते का समय : न्यायमूर्ति पल्ली ने स्पष्ट किया कि अदालत ने सर्कुलर की वैधता पर कोई राय व्यक्त नहीं की है. पीठ ने कहा है कि अधिकारियों के पास अस्पताल के खिलाफ "दंडात्मक कार्रवाई करने" सहित कानूनी उपाय करने और "अधिक वसूल की गई किसी भी राशि की वसूली" करने का अधिकार होगा. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 4 सप्ताह के भीतर 16.93 लाख रुपये याचिकाकर्ता को दिए जाने का निर्देश दिया है. दूसरी ओर दिल्ली सरकार ने कहा कि अस्पताल को यह बताने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए कि उसने ऐसा क्यों किया. दिल्ली सरकार के सर्कुलर का पालन नहीं किया. अधिवक्ता अवनीश अहलावत ने कहा, अस्पताल ने 20.06.2020 के परिपत्र में निर्धारित दरों से अधिक शुल्क लिया है, उस अस्पताल को याचिकाकर्ता से वसूल की गई अत्यधिक राशि वापस करने का निर्देश दिया जाना चाहिए."

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार को लगभग 17 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया (directed Delhi government to pay). कोर्ट ने साकेत कोर्ट के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश को वर्ष 2021 में कोरोना उपचार के लिए उनके द्वारा किए गए खर्च की प्रतिपूर्ति के रूप में 16 लाख रुपये से अधिक की रकम देने का निर्देश दिया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार को कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान 7 जून 2021 से लेकर 3 अप्रैल तक दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल में वेंटिलेटर पर रहना पड़ा था. उस दौरान अस्पताल को करीब 24 लाख रुपये देने पड़े थे, जबकि सरकार ने उन्हें केवल 7 लाख रुपये की प्रतिपूर्ति की थी.

इलाज कराने का नहीं था कोई विकल्प : न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि संभव है कि अस्पताल ने दिल्ली सरकार की ओर से जारी परिपत्र के अनुसार अधिक शुल्क लिया. लेकिन तथ्य यह भी है कि जब दिल्ली के निवासी केवल अस्पताल ही नहीं बल्कि ऑक्सीजन की भारी कमी का भी सामना कर रहे थे तो याचिकाकर्ता के पास अस्पताल में इलाज कराने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं था. यह भी विचारणीय है कि अगर उस समय अस्पताल इलाज नहीं करता तो याचिकाकर्ता का बचना मुश्किल होता. कोर्ट ने कहा कि कोर्ट वर्तमान याचिका में दिनांक 20.06.2020 के परिपत्र की वैधता में शामिल करना उचित या आवश्यक नहीं मानता है, जहां दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा का एक अधिकारी उसके द्वारा किए गए वास्तविक खर्चों के लिए राशि की प्रतिपूर्ति की मांग कर रहा है.

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तुरंत करें 16 लाख 93 हजार 880 रुपये का भुगतान : न्यायमूर्ति पल्ली ने दिल्ली सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि अस्पताल को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह सर्कुलर में निर्धारित राशि से अधिक राशि चार्ज करने की अपनी कार्रवाई के बारे में अपना रुख स्पष्ट करे या उसे शेष राशि वापस करने का निर्देश दिया जाए. कोर्ट ने स्पष्ट किया की याचिकाकर्ता को तुरंत 16,93,880/- रुपये की अंतर राशि का भुगतान करके प्रतिपूर्ति करनी चाहिए और यदि अनुचित हो तो उसे अस्पताल से वसूल करना चाहिए.

कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भुगतान के लिए दिया 4 हफ्ते का समय : न्यायमूर्ति पल्ली ने स्पष्ट किया कि अदालत ने सर्कुलर की वैधता पर कोई राय व्यक्त नहीं की है. पीठ ने कहा है कि अधिकारियों के पास अस्पताल के खिलाफ "दंडात्मक कार्रवाई करने" सहित कानूनी उपाय करने और "अधिक वसूल की गई किसी भी राशि की वसूली" करने का अधिकार होगा. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 4 सप्ताह के भीतर 16.93 लाख रुपये याचिकाकर्ता को दिए जाने का निर्देश दिया है. दूसरी ओर दिल्ली सरकार ने कहा कि अस्पताल को यह बताने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए कि उसने ऐसा क्यों किया. दिल्ली सरकार के सर्कुलर का पालन नहीं किया. अधिवक्ता अवनीश अहलावत ने कहा, अस्पताल ने 20.06.2020 के परिपत्र में निर्धारित दरों से अधिक शुल्क लिया है, उस अस्पताल को याचिकाकर्ता से वसूल की गई अत्यधिक राशि वापस करने का निर्देश दिया जाना चाहिए."

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