नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार, दिल्ली वक्फ बोर्ड और दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) को यहां बहादुर शाह जफर मार्ग पर एक कब्रिस्तान में अतिक्रमण और अनधिकृत निर्माण का आरोप लगाने वाले एक संगठन की शिकायतों पर गौर करने को कहा है.
बता दें मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि यदि प्राधिकारियों द्वारा कब्रिस्तान में कोई अतिक्रमण पाया जाता है तो परिसर के मालिकों या कब्जा करने वालों की दलीलें सुनने के बाद निर्णय किया जाएगा. अदालत ने कहा कि अगर कोई अतिक्रमण पाया जाता है तो उसे कानून के मुताबिक हटाया जाएगा. पीठ ने कहा, हम प्रतिवादियों को निर्देश देते हैं कि वे याचिकाकर्ता द्वारा दी गयी शिकायतों को मामले के तथ्यों पर लागू कानून, नियमों, विनियमों और सरकारी नीति के अनुसार देखें.
खाने-पीने के स्टॉल और दुकानों को खोलकर अवैध निर्माण
अदालत ने अधिवक्ता हेमंत चौधरी के माध्यम से युवा संघर्ष समिति द्वारा दाखिल याचिका का निपटारा कर दिया. याचिका में यहां कब्रिस्तान में सार्वजनिक भूमि पर अनाधिकृत निर्माण के रूप में हुए अतिक्रमण को हटाने या सील करने का अनुरोध किया गया था. याचिका में दावा किया गया कि कब्रिस्तान के रास्ते में और परिसर के बाहर विभिन्न कार्यालयों, खाने-पीने के स्टॉल और दुकानों को खोलकर अवैध निर्माण किया गया है.
पढ़ें :भारतीय नाविकों की वतन वापसी याचिका पर अदालत ने केंद्र से मांगा जवाब
याचिका में आरोप लगाया कि इस तरह की गतिविधियां दिल्ली वक्फ बोर्ड और एसडीएमसी तथा बिजली कनेक्शन देने वाली कंपनी बीएसईएस के संज्ञान में हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि कब्रिस्तान में कब्रों के लिए ज्यादा शुल्क लिया जा रहा है और प्रभावशाली व्यक्तियों को अधिक जगह दी जा रही है. अदालत ने पूछा कि क्या याचिकाकर्ता ने इस संबंध में प्राधिकारों के समक्ष शिकायत दी थी? इस पर वकील ने कहा कि आवेदन देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई.
(भाषा)