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Nadimarg Massacre 2003: नदीमर्ग हत्याकांड में फिर से सुनवाई शुरू करने का आदेश

जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय ने 2003 के नदीमर्ग हत्याकांड (Nadimarg massacre 2003) में फिर से सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया है. 23 मार्च 2003 को, लश्कर के आतंकवादियों ने पुलवामा जिले के नदीमर्ग गांव में 24 कश्मीरी पंडितों को मार डाला था. मरने वालों में 11 पुरुष, 11 महिलाएं और 2 बच्चे शामिल थे.

Nadimarg Massacre 2003
नदीमर्ग हत्याकांड
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Published : Oct 29, 2022, 9:11 PM IST

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय ने शनिवार को नदीमर्ग नरसंहार मामले (Nadimarg Massacre 2003) को फिर से खोलने (सुनवाई करने) का आदेश दिया, जिसमें 23 मार्च, 2003 को 24 कश्मीरी पंडित मारे गए थे. न्यायमूर्ति विनोद चटर्जी कौल ने पुनरीक्षण याचिका को मंजूरी देते हुए इस मामले में नौ फरवरी 2011 के पारित आदेश को रद्द किए जाने के आदेश दिए. इसके साथ ही अभियोजन पक्ष द्वारा इस मामले में गवाहों की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करने के आवेदन को भी अनुमति दी गई है.

आदेश में कहा गया, 'सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित अच्छी तरह से स्थापित कानूनी स्थिति के मद्देनजर, मेरा विचार है कि नीचे की अदालत ने मामले की सामग्री और प्रासंगिक पहलुओं की अनदेखी करते हुए अप्रासंगिक विचार पर कमीशन पर गवाह की जांच के लिए अभियोजन पक्ष के आवेदन को खारिज कर दिया है. इस पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार किया जाता है और निचली अदालत द्वारा 9 फरवरी, 2011 में पारित आदेश को निरस्त किया जाता है और अभियोजन पक्ष/याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए गवाहों की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करने के आवेदन की अनुमति दी जाती है.'

उच्च न्यायालय ने यह भी माना कि निचली अदालत अब आयोग जारी करके और/या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उनके बयान दर्ज करके संबंधित गवाहों की परीक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगी और त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करेगी ताकि मामले को जल्द से जल्द समाप्त किया जा सके.

बता दें, इस साल अगस्त में उच्च न्यायालय ने अपने 21 दिसंबर, 2011 के आदेश को वापस ले लिया था जिसके आधार पर उसने शोपियां जिले की निचली अदालत के 9 फरवरी, 2011 के आदेश को बरकरार रखा था. 2011 में सरकार द्वारा मामले की नए सिरे से सुनवाई या मामले को जम्मू में स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था.

23 मार्च 2003 को, लश्कर के आतंकवादियों ने नदीमर्ग गांव में 24 कश्मीरी पंडितों को लाइन में खड़ा किया था और उन्हें मार डाला था. आतंकवादियों ने गांव में 54 सदस्यों वाले 11 पंडित परिवारों की सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस को निर्वस्त्र कर दिया था. मरने वालों में 11 पुरुष, 11 महिलाएं और 2 बच्चे शामिल थे.(इनपुट- आईएएनएस)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय ने शनिवार को नदीमर्ग नरसंहार मामले (Nadimarg Massacre 2003) को फिर से खोलने (सुनवाई करने) का आदेश दिया, जिसमें 23 मार्च, 2003 को 24 कश्मीरी पंडित मारे गए थे. न्यायमूर्ति विनोद चटर्जी कौल ने पुनरीक्षण याचिका को मंजूरी देते हुए इस मामले में नौ फरवरी 2011 के पारित आदेश को रद्द किए जाने के आदेश दिए. इसके साथ ही अभियोजन पक्ष द्वारा इस मामले में गवाहों की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करने के आवेदन को भी अनुमति दी गई है.

आदेश में कहा गया, 'सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित अच्छी तरह से स्थापित कानूनी स्थिति के मद्देनजर, मेरा विचार है कि नीचे की अदालत ने मामले की सामग्री और प्रासंगिक पहलुओं की अनदेखी करते हुए अप्रासंगिक विचार पर कमीशन पर गवाह की जांच के लिए अभियोजन पक्ष के आवेदन को खारिज कर दिया है. इस पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार किया जाता है और निचली अदालत द्वारा 9 फरवरी, 2011 में पारित आदेश को निरस्त किया जाता है और अभियोजन पक्ष/याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए गवाहों की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करने के आवेदन की अनुमति दी जाती है.'

उच्च न्यायालय ने यह भी माना कि निचली अदालत अब आयोग जारी करके और/या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उनके बयान दर्ज करके संबंधित गवाहों की परीक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगी और त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करेगी ताकि मामले को जल्द से जल्द समाप्त किया जा सके.

बता दें, इस साल अगस्त में उच्च न्यायालय ने अपने 21 दिसंबर, 2011 के आदेश को वापस ले लिया था जिसके आधार पर उसने शोपियां जिले की निचली अदालत के 9 फरवरी, 2011 के आदेश को बरकरार रखा था. 2011 में सरकार द्वारा मामले की नए सिरे से सुनवाई या मामले को जम्मू में स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था.

23 मार्च 2003 को, लश्कर के आतंकवादियों ने नदीमर्ग गांव में 24 कश्मीरी पंडितों को लाइन में खड़ा किया था और उन्हें मार डाला था. आतंकवादियों ने गांव में 54 सदस्यों वाले 11 पंडित परिवारों की सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस को निर्वस्त्र कर दिया था. मरने वालों में 11 पुरुष, 11 महिलाएं और 2 बच्चे शामिल थे.(इनपुट- आईएएनएस)

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