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एचजीसीओ19 : जेननोवा ने मनुष्यों पर क्लिनिकल परीक्षण के लिए नामांकन शुरू किया

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Published : Apr 13, 2021, 5:41 PM IST

जेननोवा ने कोराना टीके एचजीसीओ19 के क्लिनिकल ट्रायल के लिए स्वयंसेवियों का नामांकन शुरू कर दिया है. यह टीका अमेरिका का एचडीटी बायोटेक कॉर्पोरेशन और जेननोवा मिलकर विकसित कर रहे हैं.

एचजीसीओ19
एचजीसीओ19

नई दिल्ली : जेननोवा ने कोविड-19 के पहले मैसेंजर आरएनए आधारित संभावित टीके एचजीसीओ19 के क्लिनिकल ट्रायल के लिए स्वयंसेवियों का नामांकन शुरू कर दिया है. टीके को विकसित करने के लिए निधि देने वाले बायोटेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी) ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

विभाग ने कहा कि उसने भारत के अनोखे एमआरएनए आधारित कोविड-19 टीके, एचजीसीओ19 के क्लिनिकल ट्रायल के लिए अतिरिक्त निधि को स्वीकृति दी है. इस टीके को पुणे स्थित जैव प्रौद्योगिकी कंपनी जेननोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड विकसित कर रही है.

यह निधि डीबीटी के मिशन कोविड सुरक्षा के तहत दी गई है. डीबीटी का सरकारी उपक्रम जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) इसका क्रियान्वयन कर रहा है.

डीबीटी ने कहा, डीबीटी ने शुरु से ही जेननोवा को समर्थन दिया है और एचजीसीओ19 के विकास के लिए निधि देकर उसके एमआरएनए आधारित उन्नत टीका निर्माण मंच की स्थापना के लिए सहायता दी है. जेननोवा ने अमेरिका के एचडीटी बायोटेक कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर कोविड-19 एमआरएनए टीका- एचजीसीओ19 विकसित किया है.

यह कदम भारत के लिए बेहतर साबित हो सकता है क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के साथ ही कोविड टीकों की कमी संबंधी राज्यों की चिंताओं को दूर कर वैश्विक महामारी से लड़ने में देश को एक और विकल्प उपलब्ध करा सकता है.

भारतीय औषधि नियंत्रक ने रूसी कोविड-19 टीके स्पुतनिक वी की कुछ शर्तों के साथ सीमित आपात प्रयोग को भी मंजूरी दी है जिसके बाद देश में इस बीमारी से लड़ने के लिए तीसरा टीका उपलब्ध होगा.

डीसीजीआई ने जनवरी में दो कोविड-19 टीकों- भारत बायोटेक के कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया निर्मित ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविशील्ड के आपात प्रयोग को अधिकृत किया था.

एचजीसीओ19 पहले ही चूहों एवं गैर मानव पशु मॉडलों में सुरक्षित, प्रतिरक्षाजनक, निष्प्रभावीकृत एंटीबॉडी गतिविधि प्रदर्शित कर चुका है.

पढ़ें :- भारत ने 'स्पूतनिक-वी' वैक्सीन को दी आपातकालीन मंजूरी

चूहों और नर वानरों में संक्रमण को बेअसर करने वाली एंटीबॉडी प्रतिक्रिया कोविड-19 के मरीजों के प्लाज्मा से लिए गए सेरा में भी देखने को मिली.

जेननोवा ने औषधि एवं क़ॉस्मेटिक नियम, 2019 के मुताबिक संभावित टीके से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दो प्रीक्लिनिकल परीक्षण पूर्ण कर लिए हैं और जेनेटिक मैनिपुलेशन पर समीक्षा समिति (आरसीजीएम) और भारत औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से नियामक मंजूरी ले ली है.

डीबीटी ने कहा, जेननोवा ने दो चरणों के क्लिनिकल परीक्षणों में से पहले चरण के लिए स्वस्थ स्वयंसेवियों के नामांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

एचजीसीओ19 एमआरएनए प्लेटफॉर्म पर विकसित स्वदेशी टीका है.

एमआरएनए टीकों को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि एमआरएनए गैर संक्रामक, प्रकृति में गैर एकीकृत और मानक कोशिकीय प्रक्रिया से निम्नतर होता है.

जायडस कैडिला और बायोलॉजिकल ई द्वारा विकसित दो और कोविड-19 टीकों पर काम चल रहा है और देश में वह क्लिनिकल परीक्षण के उन्नत चरण में हैं.

नई दिल्ली : जेननोवा ने कोविड-19 के पहले मैसेंजर आरएनए आधारित संभावित टीके एचजीसीओ19 के क्लिनिकल ट्रायल के लिए स्वयंसेवियों का नामांकन शुरू कर दिया है. टीके को विकसित करने के लिए निधि देने वाले बायोटेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी) ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

विभाग ने कहा कि उसने भारत के अनोखे एमआरएनए आधारित कोविड-19 टीके, एचजीसीओ19 के क्लिनिकल ट्रायल के लिए अतिरिक्त निधि को स्वीकृति दी है. इस टीके को पुणे स्थित जैव प्रौद्योगिकी कंपनी जेननोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड विकसित कर रही है.

यह निधि डीबीटी के मिशन कोविड सुरक्षा के तहत दी गई है. डीबीटी का सरकारी उपक्रम जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) इसका क्रियान्वयन कर रहा है.

डीबीटी ने कहा, डीबीटी ने शुरु से ही जेननोवा को समर्थन दिया है और एचजीसीओ19 के विकास के लिए निधि देकर उसके एमआरएनए आधारित उन्नत टीका निर्माण मंच की स्थापना के लिए सहायता दी है. जेननोवा ने अमेरिका के एचडीटी बायोटेक कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर कोविड-19 एमआरएनए टीका- एचजीसीओ19 विकसित किया है.

यह कदम भारत के लिए बेहतर साबित हो सकता है क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के साथ ही कोविड टीकों की कमी संबंधी राज्यों की चिंताओं को दूर कर वैश्विक महामारी से लड़ने में देश को एक और विकल्प उपलब्ध करा सकता है.

भारतीय औषधि नियंत्रक ने रूसी कोविड-19 टीके स्पुतनिक वी की कुछ शर्तों के साथ सीमित आपात प्रयोग को भी मंजूरी दी है जिसके बाद देश में इस बीमारी से लड़ने के लिए तीसरा टीका उपलब्ध होगा.

डीसीजीआई ने जनवरी में दो कोविड-19 टीकों- भारत बायोटेक के कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया निर्मित ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविशील्ड के आपात प्रयोग को अधिकृत किया था.

एचजीसीओ19 पहले ही चूहों एवं गैर मानव पशु मॉडलों में सुरक्षित, प्रतिरक्षाजनक, निष्प्रभावीकृत एंटीबॉडी गतिविधि प्रदर्शित कर चुका है.

पढ़ें :- भारत ने 'स्पूतनिक-वी' वैक्सीन को दी आपातकालीन मंजूरी

चूहों और नर वानरों में संक्रमण को बेअसर करने वाली एंटीबॉडी प्रतिक्रिया कोविड-19 के मरीजों के प्लाज्मा से लिए गए सेरा में भी देखने को मिली.

जेननोवा ने औषधि एवं क़ॉस्मेटिक नियम, 2019 के मुताबिक संभावित टीके से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दो प्रीक्लिनिकल परीक्षण पूर्ण कर लिए हैं और जेनेटिक मैनिपुलेशन पर समीक्षा समिति (आरसीजीएम) और भारत औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से नियामक मंजूरी ले ली है.

डीबीटी ने कहा, जेननोवा ने दो चरणों के क्लिनिकल परीक्षणों में से पहले चरण के लिए स्वस्थ स्वयंसेवियों के नामांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

एचजीसीओ19 एमआरएनए प्लेटफॉर्म पर विकसित स्वदेशी टीका है.

एमआरएनए टीकों को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि एमआरएनए गैर संक्रामक, प्रकृति में गैर एकीकृत और मानक कोशिकीय प्रक्रिया से निम्नतर होता है.

जायडस कैडिला और बायोलॉजिकल ई द्वारा विकसित दो और कोविड-19 टीकों पर काम चल रहा है और देश में वह क्लिनिकल परीक्षण के उन्नत चरण में हैं.

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