चंडीगढ़ : 1971 की भारत-पाक जंग में अपनी बहादुरी का लोहा मनवाने वाले वीर चक्र विजेता रिटायर्ड कर्नल पंजाब सिंह का देहांत हो गया. सैन्य सम्मानों के साथ कर्नल सिंह का अंतिम संस्कार सेक्टर -25 के शमशानघाट में किया गया. इस दौरान लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे, स्टेशन कमांडर कर्नल पुशपिन्दर सिंह समेत कई फौजी आधिकारी और पूर्व सैन्य अधिकारी भी मौजूद रहे. सभी ने उनको नम आंखों से श्रद्धांजलि दी.
कोरोना पॉजिटिव थे कर्नल पंजाब सिंह
गौरतलब है कि कर्नल पंजाब सिंह कुछ दिन पहले कोरोना पॉजिटिव हुए थे. कमांड अस्पताल में इलाज के बाद वह पूरी तरह सेहतमंद हो कर घर वापस भी लौटे. हालांकि, कोरोना के बाद कई और स्वास्थ्य समस्याएं हुईं, जिसकी वजह से उनका देहांत हो गया. बता दें कि कोरोना संक्रमण के कारण ही विगत 21 मई को उनके बड़े पुत्र अनिल कुमार की भी मौत हो गई थी.
ऐसा रहा जीवन
पंजाब सिंह का जन्म 15 जनवरी, 1942 को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में हुआ था. 1967 में उन्होंने 6-सिख बटालियन ज्वॉइन किया था. उन्होंने इस बटालियन को 12 अक्तूबर, 1986 से 29 जुलाई, 1990 तक कमांड किया था. हिमाचल प्रदेश के रहने वाले कर्नल पंजाब सिंह फौज से रिटायर होने के बाद सूबे के सैनिक वेलफेयर बोर्ड के डायरेक्टर भी रहे. इसके अलावा वह हिमाचल प्रदेश दक्षिणी एरिया के इंडियन सर्विस लीग के वाइस प्रेसिडेंट भी थे.
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तीन दिसंबर 1971 को जब पंजाब सिंह ने कंपनी की कमान संभाल रखी थी तब दुश्मन ने हमला किया. पंजाब सिंह के नेतृत्व में सिख बटालियन के सैनिकों ने बहुत बहादुरी से दुश्मनों का सामना किया. दुश्मनों ने दो रातों में नौ बार हमले किए. दुश्मन के नापाक इरादों को पंजाब सिंह के कुशल नेतृत्व में नाकाम किया गया. इस बहादुरी के लिए उनको वीर चक्र के साथ सम्मानित किया गया. बता दें कि 1971 में ऑपरेशन कैक्टस लिली के बाद बांग्लादेश एक अलग देश बना था. भारत की सेना ने पाकिस्तान के सैनिकों को घुटने टेकने पर विवश कर दिया था.