नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाले में कारोबारी राजीव सक्सेना का सरकारी गवाह का दर्जा खत्म करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय की याचिका खारिज कर दी गयी थी.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने उच्च न्यायालय के जून के फैसले के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की अपील पर सक्सेना को नोटिस जारी किया.
शुक्रवार को पीठ ने अपने आदेश में कहा, नोटिस जारी किया जाए. इस बीच, चुनौती दिए गए आदेश पर रोक लगी रहेगी.
दुबई स्थित कारोबारी राजीव सक्सेना को अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए 3600 करोड़ रुपए के इस कथित घोटाले में पिछले साल 31 जनवरी को भारत प्रत्यर्पित किया गया था.
इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल अमल लेखी ने कहा, उच्च न्यायालय का यह निष्कर्ष स्पष्ट रूप से गलत था कि गवाही देने के बाद ही उसकी माफी खत्म की जा सकती है.
पढ़ें: कृषि कानूनों के खिलाफ 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान
पीठ ने कहा, दंड प्रक्रिया संहिता में यह प्रावधान है कि अगर गवाह कोई भी साक्ष्य पेश करने में विफल रहता है तो उसे दी गई माफी वापस ली जा सकती है.
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि राजीव सक्सेना का सरकारी गवाह बनने का दर्जा खत्म करने के लिए निचली अदालत में दिया गया आवेदन विचारणीय नहीं है, क्योंकि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 306 (4) के तहत उसका बयान दर्ज नहीं किया गया है.
प्रवर्तन निदेशालय ने उच्च न्यायालय से राजीव सक्सेना को सरकारी गवाह बनने का दर्ज खत्म करने का अनुरोध किया था, क्योंकि उसने सारे तथ्यों की जानकारी देने का वायदा किया था, लेकिन अब वह ऐसा नहीं कर रहा है.
निदेशालय ने सक्सेना का सरकारी गवाह का दर्जा खत्म करने से इंकार करने के निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.