हैदराबाद : दिल्ली, केरल, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों में बहुत अधिक वर्षा हुई है. केरल में अब तक 33 और उत्तराखंड में 20 लोगों की मौत हो चुकी है. उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामगढ़ में रेस्क्यू के लिए सेना और एयरफोर्स को बुलाना पड़ा है. केरल के इडुक्की, एर्नाकुलम, कोल्लम और कोट्टायम जिलों में 200 मिमी से अधिक बारिश ने जमकर कहर बरपाया. मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर की 94.6 एमएम बारिश ने दिल्ली में 61 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इससे पहले 1960 में 93.4 एमएम बारिश हुई थी. इसके अलावा तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी खूब बारिश हुई.
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#WATCH | An under construction bridge, over a raging Chalthi River in Champawat, washed away due to rise in the water level caused by incessant rainfall in parts of Uttarakhand. pic.twitter.com/AaLBdClIwe
— ANI (@ANI) October 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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उम्मीद से ज्यादा क्यों मेहरबान हुआ मॉनसून : उम्मीद से ज्यादा बारिश के लिए सिर्फ मॉनसून जिम्मेदार नहीं है. मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट के अनुसार, अक्टूबर के पहले सप्ताह में दो लो प्रेशर एरिया देश के पूर्वी और पश्चिमी तटों और मध्य भारत में सक्रिय था, इस कारण देश के अधिकतर हिस्सों में काफी बारिश हुई. जलवायु परिवर्तन के कारण, निश्चित रूप से साल भर मौसम की घटनाओं में वृद्धि होती है. लेकिन अभी हो रही भारी बारिश के लिए कम दबाव के क्षेत्र को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
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#WATCH | Uttarakhand: Occupants of a car that was stuck at the swollen Lambagad nallah near Badrinath National Highway, due to incessant rainfall in the region, was rescued by BRO (Border Roads Organisation) yesterday. pic.twitter.com/ACek12nzwF
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मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अक्टूबर में बारिश असामान्य नहीं है क्योंकि इस महीने में ही दक्षिण-पश्चिम मॉनसून वापस लौटता है और उत्तर-पूर्वी मॉनसून को रास्ता देता है. इस कारण दक्षिण भारत के राज्यों में बारिश होती है. तमिलनाडु में आम तौर पर अक्टूबर और दिसंबर के बीच अच्छी बारिश होती है. अक्टूबर में उत्तरी भारत में जब पश्चिमी विक्षोभ की एंट्री होती है तो पहाड़ों में बर्फबारी होती है.
इस बार मॉनसून की वापसी भी देर से हुई. अमूमन 17 सितंबर से मॉनसून की वापस लौटता है. मगर इस बार 6 अक्टूबर से लौटना शुरू हुआ. वापसी के दौरान भी गरज के साथ बारिश होती है. सोमवार तक मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों और ओडिशा और पूरे दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत से मॉनसून वापस नहीं आया था. मॉनसून में लौटने की देरी के कारण ओडिशा, पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत में अच्छी बारिश हो रही है.
अक्टूबर में अभी और होगी बारिश : पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश की संभावना है, इन क्षेत्रों के लिए आईएमडी द्वारा 'रेड' अलर्ट जारी किया गया है. इसके साथ ही, उत्तरी आंध्र प्रदेश तट और दक्षिणी ओडिशा पर एक और लो प्रेशर सिस्टम बना है. केरल को प्रभावित करने वाला लो प्रेशर चक्रवात अब कमजोर हो गया है. मगर यह मध्य भारत में अभी भी सक्रिय है. इस कारण उत्तर भारत में अच्छी बारिश हो सकती है. बंगाल की खाड़ी से तेज दक्षिण-पूर्वी हवाओं के कारण अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में बुधवार तक बहुत भारी बारिश होने की संभावना है. इसके अलावा बंगाल, बिहार को भी बारिश से राहत नहीं मिलेगी.
फसलों का नुकसान कर गई बारिश : कमोडिटी बाजार के एक्सपर्ट अजय केडिया के अनुसार, इस साल हुई अत्यधिक बारिश के कारण खरीफ की उन फसलों पर असर पड़ेगा, जिनकी कटाई नहीं हुई है. माना जा रहा है कि 50 प्रतिशत खरीफ फसलों की कटाई हो चुकी है. मगर कॉटन उपजाने वाले किसानों को ज्यादा नुकसान हो सकता है. अगर कॉटन की खड़ी फसल में नमी आई तो उसे बेहतर प्रॉडक्ट नहीं बन सकेगा.
अजय केडिया का कहना है कि इस बारिश का असर रबी फसलों गेहूं, चना, सरसों और जीरा पर पड़ेगा. क्योंकि बारिश के कारण इनकी बुआई ही देरी से होगी तो कटाई में भी देरी होगी. बारिश अधिक होने पर ठंड की अवधि भी लंबी होने की संभावना होती है. ओस और ठंड सरसों की फसल को नुकसान पहुंचा सकता है. साथ ही नमी के कारण चना और जीरा भी काला पड़ जाता है. क्वॉलिटी खराब होने से रबी की फसल महंगी हो सकती है.
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