नई दिल्लीः दिल्ली शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज केस में बुधवार को दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर बहस के बाद सुनवाई 18 अप्रैल तक टल गई. करीब डेढ़ घंटे तक चली बहस के बाद ईडी की ओर से पेश किए गए ईमेल से संबंधित सबूतों का खंडन करने के लिए सिसोदिया के वकील ने कोर्ट से समय मांगा. इसके बाद कोर्ट ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 18 अप्रैल को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.
इससे पहले दोपहर दो बजे सिसोदिया राऊज कोर्ट स्थित विशेष सीबीआई जज एमके नागपाल की कोर्ट में पेश हुए. इस दौरान मीडिया कर्मियों ने सिसोदिया से AAP के राष्ट्रीय पार्टी बनने के बारे में सवाल किया तो सिसोदिया बिना जवाब दिए मुस्कुराते हुए कोर्ट रूम के अंदर चले गए. करीब ढाई बजे कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई तो ईडी के वकील जोहैब हुसैन ने जमानत याचिका के विरोध में तर्क देने शुरू किए.
ED ने बेल के खिलाफ दिए तर्कः हुसैन ने कहा कि मैं दिखाऊंगा कि आबकारी नीति बिना किसी विचार-विमर्श और चर्चा के थी. यह साधारण नीतिगत निर्णय नहीं है. इसमें कार्टेलाइजेशन किया गया था. सिसोदिया ने संशोधित नीति को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ समिति द्वारा सुझाया गया मॉडल यह था कि व्यक्ति आवेदन करेंगे और उन्हें दो खुदरा ठेके मिलेंगे. यह कार्टेलाइजेशन से बचने के लिए था. यह लॉटरी सिस्टम एल के माध्यम से होना चाहिए था. हालांकि, सिसोदिया ने सीमित इकाई मॉडल को प्राथमिकता दी.
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#WATCH | Delhi's former Deputy Chief Minister Manish Sisodia brought to Rouse Avenue Court
— ANI (@ANI) April 12, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Rouse Avenue Court to continue to hear Manish Sisodia's bail arguments shortly. pic.twitter.com/qlzV6rwbnF
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— ANI (@ANI) April 12, 2023
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— ANI (@ANI) April 12, 2023
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हुसैन ने कहा कि अपराध की आय से निपटने वाली गतिविधि की हर प्रक्रिया मनी लॉन्ड्रिंग है. इस साजिश के सारे तत्व यहां मौजूद हैं. हमारे पास यह दिखाने के लिए पर्याप्त बयान हैं कि 12 प्रतिशत का 6 प्रतिशत किकबैक के रूप में मिला था. अगर यह 12 प्रतिशत मार्जिन रखा जाता और सरकार को जो सिफारिशें करनी चाहिए उन्हें स्वीकार कर लिया जाता तो यह राजस्व सरकार की झोली में चला जाता. आबकारी विभाग में नीति का मसौदा तैयार करने का तर्क पूरी तरह से झूठा है.
जैन के केस का दिया हवालाः ED के वकील हुसैन ने सत्येंद्र जैन मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जहां अदालत ने उन्हें पैसे के मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था. यहां भी रिश्वत के बदले शराब उत्पादक संघों को अवैध लाभ देने के लिए एक अवैध पारिस्थितिकी तंत्र बनाया गया. हमारे पास सबूत हैं कि सिसोदिया ने ईमेल प्लांट किए थे. ये न केवल आबकारी विभाग के आधिकारिक ईमेल खाते में बल्कि सिसोदिया के व्यक्तिगत ईमेल खाते में भी प्राप्त हुए हैं. यह साजिश का एक और सबूत है. ईमेल की सामग्री सिसोदिया द्वारा दी गई थी, जो उनके एजेंडे के अनुकूल थी. इन सभी दलीलों व सबूतों के बाद सिसोदिया के वकील विवेक जैन ने इनका खंडन करने के लिए कोर्ट से समय मांगा. इसके बाद सुनवाई 18 अप्रैल तक के लिए टल गई.