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Bihar Caste Census : जाति आधारित गणना को लेकर बिहार सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली, ये है वजह

बिहार में जाति आधारित गणना होगी या नहीं, इसके लिए अभी इंतजार करना होगा. दरअसल बिहार सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली आज की सुनवाई टल गई है, क्योंकि जस्टिस संजय करोल ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है.

जातीय जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
जातीय जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
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Published : May 17, 2023, 9:22 AM IST

Updated : May 17, 2023, 10:07 PM IST

पटना: बिहार में जातीय जनगणना कराने से जुड़ी राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. जस्टिस संजय करोल ने सुनवाई के लिए गठित बेंच से खुद को अलग कर लिया है. पटना हाइकोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के दौरान करोल चीफ जस्टिस रह चुके हैं. उच्च न्यायालय की अंतरिम रोक के फैसले को सरकार ने चुनौती दी है और मामले में जल्द सुनवाई के लिए याचिका दायर की गई है. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय के पास तीसरी बार यह केस पहुंचा है. इससे पहले भी दो बार जाति आधारित गणना को असंवैधानिक करार देने के लिए याचिकाकर्ताओं ने अपील की थी लेकिन दोनों बार उच्चतम न्यायालय ने इसे उच्च न्यायालय का मसला बताया था.

ये भी पढ़ें: Bihar Caste Census: जातीय गणना पर कानून बनाने की तैयारी में सरकार! SC पर टिकी नजरें

जातीय जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह माना था कि बिहार सरकार के पास जाति आधारित गणना कराने का कोई वैधानिक क्षेत्राधिकार नहीं है. साथ ही अदालत ने इसे लोगों की निजता का उल्लंघन भी माना था. यही वजह है कि इस पर तत्काल रोक लगाते हुए 3 जुलाई को सुनवाई की अगली तारीख तय की थी. जिसके बाद राज्य सरकार ने शीघ्र सुनवाई के लिए याचिका दायर की थी. जिस पर 9 मई को सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने साफ कर दिया कि 3 जुलाई को ही मामले में सुनवाई होगी. जिसके बाद नीतीश सरकार ने फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी.

Sanjay Karol
संजय करोल ने केस से खुद को किया अलग.

जातीय जनगणना पर कानून बनाने की तैयारी: माना जा रहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट से भी फैसला सरकार के पक्ष में नहीं आता है तो जातीय जनगणना को लेकर कानून भी बनाया जा सकता है. संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी कह चुके हैं कि जरूरत पड़ी तो सरकार कानून भी बनाएगी. वहीं जल संसाधन मंत्री संजय झा ने भी कहा था कि नीतीश सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए जो भी संभव होगा, वह करेंगे.

पटना: बिहार में जातीय जनगणना कराने से जुड़ी राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. जस्टिस संजय करोल ने सुनवाई के लिए गठित बेंच से खुद को अलग कर लिया है. पटना हाइकोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के दौरान करोल चीफ जस्टिस रह चुके हैं. उच्च न्यायालय की अंतरिम रोक के फैसले को सरकार ने चुनौती दी है और मामले में जल्द सुनवाई के लिए याचिका दायर की गई है. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय के पास तीसरी बार यह केस पहुंचा है. इससे पहले भी दो बार जाति आधारित गणना को असंवैधानिक करार देने के लिए याचिकाकर्ताओं ने अपील की थी लेकिन दोनों बार उच्चतम न्यायालय ने इसे उच्च न्यायालय का मसला बताया था.

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जातीय जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह माना था कि बिहार सरकार के पास जाति आधारित गणना कराने का कोई वैधानिक क्षेत्राधिकार नहीं है. साथ ही अदालत ने इसे लोगों की निजता का उल्लंघन भी माना था. यही वजह है कि इस पर तत्काल रोक लगाते हुए 3 जुलाई को सुनवाई की अगली तारीख तय की थी. जिसके बाद राज्य सरकार ने शीघ्र सुनवाई के लिए याचिका दायर की थी. जिस पर 9 मई को सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने साफ कर दिया कि 3 जुलाई को ही मामले में सुनवाई होगी. जिसके बाद नीतीश सरकार ने फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी.

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संजय करोल ने केस से खुद को किया अलग.

जातीय जनगणना पर कानून बनाने की तैयारी: माना जा रहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट से भी फैसला सरकार के पक्ष में नहीं आता है तो जातीय जनगणना को लेकर कानून भी बनाया जा सकता है. संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी कह चुके हैं कि जरूरत पड़ी तो सरकार कानून भी बनाएगी. वहीं जल संसाधन मंत्री संजय झा ने भी कहा था कि नीतीश सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए जो भी संभव होगा, वह करेंगे.

Last Updated : May 17, 2023, 10:07 PM IST
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