नई दिल्ली: दिल्ली शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व डिप्टी CM मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सिसोदिया के वकील ने कोर्ट को बताया कि CBI के पास कथित दिल्ली शराब घोटाले मामले में उनकी संलिप्तता दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है. उन्हें सिर्फ निशाना बनाया जा रहा है. ताकि हिरासत में रख सकें.
गुरुवार को न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने सिसोदिया की तरफ से दलीलें पेश की. उन्होंने कहा कि सिसोदिया को छोड़कर CBI के मामले के सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है. एजेंसी के पास यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि सिसोदिया ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की. एजेंसी कहती है कि वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे. यह जमानत देने से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता. वे अपने पसंद का उत्तर चाहते हैं.
गवाहों को प्रभावित करने का आरोप गलतः सिसोदिया के दूसरे वकील मोहित माथुर ने कहा कि CBI द्वारा बताए गए आंकड़े सिर्फ कागज पर हैं. पैसे का कोई निशान नहीं मिला है. उन्होंने आगे कहा कि सीबीआई ने सिसोदिया को विजय नायर के माध्यम से इस कथित साजिश का मुख्य सूत्रधार बनाया है, लेकिन विजय नायर को सितंबर 2022 में गिरफ्तार कर लिया गया और चार्जशीट दाखिल होने से पहले ही नवंबर में रिहा कर दिया गया. सिसोदिया को दूसरी बार फरवरी 2023 में पूछताछ के लिए बुलाया गया था. इसलिए, गवाहों को प्रभावित करने में सक्षम होने के बारे में ये सभी आरोप पूरी तरह से गलत हैं.
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अगली सुनवाई 26 अप्रैल कोः याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील की दलीलें पूरी होने के बाद कोर्ट ने मामले को 26 अप्रैल को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू अगली तारीख को CBI के लिए अपनी दलीलें पेश करेंगे. जस्टिस शर्मा ने एएसजी से कहा कि वह बताएं कि एक्साइज पॉलिसी कैसे चलती है? कोर्ट ने कहा कि सीबीआई अपने जांच अधिकारी को भी इस बारे में सफाई देने के लिए बुला सकती है.
26 फरवरी को सिसोदिया हुए थे गिरफ्तारः सिसोदिया को CBI ने 26 फरवरी को शराब नीति घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया था. इसके बाद ईडी ने उन्हें नौ मार्च को तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया. सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने AAP के अन्य नेताओं के साथ रिश्वत के बदले कुछ व्यापारियों को शराब का लाइसेंस देने के लिए मिलीभगत की.