नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से दायर मानहानि मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दिए गए 91 के नोटिस पर सोमवार को बहस हुई. गहलोत के वकील ने इस नोटिस के तहत मुकदमे से संबंधित अपने पक्ष के दस्तावेज देने की मांग की थी.
शेखावत के वकील ने कहा कि बतौर आरोपी अभी तक गहलोत अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को लेकर सफाई देने के लिए एक बार भी कोर्ट में पेश नहीं हुए, जबकि वो लगातार केस रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इससे 251 के नोटिस की प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है.
शेखावत के वकील ने कहा कि मामले में अब गहलोत को 251 का नोटिस जारी कर कोर्ट में पेश होने के लिए बुलाया जाना चाहिए. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की सुनवाई मंगलवार दोपहर 2.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. अब कल कोर्ट के 91 और 251 के नोटिस को लेकर बहस होगी.
क्या है 251 का नोटिस: जब किसी समन मामले में अभियुक्त मजिस्ट्रेट के सामने पेश होता है या लाया जाता है, तो जिस अपराध का उस पर आरोप लगाया गया है. उसका विवरण उसे बताया जाएगा और उससे पूछा जाएगा कि क्या वह दोषी मानता है या उसके पास कोई बचाव करने के लिए है. इस प्रक्रिया के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अभी कोर्ट में पेश होना है. इससे पहले कोर्ट ने गहलोत द्वारा 256 का प्रार्थना पत्र देकर खुद को आरोप मुक्त करने की मांग खारिज कर दी थी.
बता दें, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कथित तौर पर संजीवनी घोटाले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की संलिप्तता की बात कही थी. गहलोत के इस बयान के बाद शेखावत ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. वहीं, 24 मार्च 2023 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को यह जांच करने का आदेश दिया था कि क्या वास्तव में गहलोत ने कहा था कि शेखावत इस घोटाले में आरोपी हैं.
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