नई दिल्ली : एक पीएचडी विद्वान और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (Campus Front of India) के सदस्य अतीकुर रहमान (Atiqur Rahman), जिन्हें पिछले साल अक्टूबर में हाथरस से केरल के एक पत्रकार (Kerala journalist ) सिद्दीकी कप्पन (Siddique Kappan) के साथ गिरफ्तार किया गया था. वह महाधमनी (aortic regurgitation) बीमारी से पीड़ित हैं. बता दें कि ओर्टिक रिगर्जिटेशन एक हृदय रोग है.
अतीकुर रहमान ने पत्नी ने शुक्रवार को कहा, 'मैं अपने पति की बिगड़ती सेहत को लेकर चिंतित हूं, अगर उन्हें एम्स में सर्जरी की इजाजत नहीं दी गई, तो कुछ भी बुरा हो सकता है.'
ईटीवी भारत से बात करते हुए अतीक की पत्नी संजीदा रहमान (Sanjida Rahman ) ने कहा कि वह अपने पति की बिगड़ती सेहत को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कल अतीक से बात की थी और उन्होंने उल्टी, सीने में दर्द और दस्त की शिकायत की थी. अगर उन्हें एम्स में सर्जरी (surgery in AIIMS) की अनुमति नहीं दी गई, तो कुछ भी बुरा हो सकता है.
अतीकुर रहमान के वकील मधुवन दत्त चतुर्वेदी (Madhuvan Dutt Chaturvedi) के अनुसार, उन्हें बताया गया कि अतीक 23 अगस्त, 2021 से मथुरा जेल अस्पताल (Mathura jail hospital) में भर्ती हैं.
वह एक हृदय रोगी है, जो महाधमनी से पीड़ित हैं, अगर उन्हें सही दवा नहीं दी जाती है, तो वह उनके जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है. पिछले 11 महीनों से उन्हें इलाज से वंचित रखा गया है और उनके डॉक्टरों को उनकी स्थिति के बारे कोई जानकारी नहीं दी गई है.
उन्होंने कहा, 'अदालतों में उन्नत चिकित्सा देखभाल (advanced medical care) की मांग करने वाले हमारे सभी प्रयासों और याचिकाओं को कई बार ठुकरा दिया गया.'
अधिवक्ता मधुवन दत्त चतुर्वेदी ने कहा कि उनकी जमानत याचिका सितंबर 2020 में स्थानांतरित की गई थी और इसे 13 नवंबर को सत्र अदालत ने खारिज कर दिया था और अब उनकी जमानत याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) के समक्ष लंबित है.
उन्होंने कहा कि अतीकुर रहमान के खिलाफ जो हो रहा है वह गंभीर चिकित्सकीय लापरवाही है. उसने हाथरस में कथित रूप से बलात्कार की शिकार दलित लड़की के न्याय के लिए (justice of the Dalit girl ) लड़ने के अलावा कोई अपराध नहीं किया है. मामला स्पष्ट रूप से मनगढ़ंत है, उन्हें और उनके साथियों को चुप कराने की योजना बनाई गई है.
कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) के राष्ट्रीय महासचिव अश्वन सादिक (Ashwan Sadiq) ने कहा कि पुलिस उनके खिलाफ अपने दावों को सही ठहराने के लिए अभी तक कोई सबूत पेश नहीं कर सकी है.
उन्होंने कहा, 'सभी अराजकता के बावजूद एक आदमी को प्रताड़ित करना और चिकित्सा देखभाल से इनकार करना और मरने के छोड़ देना अस्वीकार्य है. पुलिस के साथ सरकार उन्हें पर्याप्त उपचार प्रदान करने से इनकार कर रही है और उन्हें मरते हुए देख रही है.
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सीएफआई के राष्ट्रीय महासचिव ने दावा किया कि यूपी से ताल्लुक रखने वाले अतीकुर रहमान ने कई नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) के विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया था, उन्होंने हमेशा राज्य पुलिस द्वारा किए गए अत्याचारों के खिलाफ बात की थी.
इसलिए इस पर विचार करते हुए अतीकुर रहमान और अन्य को अपने अधीन करने के लिए उन्हें एक मनगढ़ंत मामले में गिरफ्तार किया गया था.
अश्वन सादिक ने कहा कि अदालत ने अतीक की याचिका पर उचित ध्यान नहीं दिया है, इसलिए, हम अनुरोध करते हैं कि उच्च न्यायालय (high court) को तत्काल उन्नत चिकित्सा देखभाल की मांग करने वाली याचिका पर विचार करना चाहिए और सभी आरोपियों को डिफ़ॉल्ट जमानत (default bail) देनी चाहिए.
गैरतलब है कि यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (Special Task Force of UP police ) ने रहमान, जो यूपी के मुजफ्फरनगर के निवासी (resident of Muzaffarnagar) हैं और सात अन्य पर 4 अक्टूबर, 2020 को मथुरा जिले के मानत में मामला दर्ज किया था. उस समय वह हाथरस सामूहिक बलात्कार के पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे. उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया और कड़े गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत गिरफ्तार किया गया था.