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चुनाव प्रचार के दौरान मास्क नहीं पहनने पर आयोग ने क्या कार्रवाई की, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब - चुनाव प्रचार हाईकोर्ट चुनाव आयोग

चुनाव की घोषणा करते समय निर्वाचन आयोग ने अपनी अधिसूचना में कहा था कि हर व्यक्ति को चुनाव से संबंधित हर गतिविधि के दौरान एक फेस मास्क पहनना होगा, लेकिन राजनीतिक दलों, उनके नेताओं तथा प्रचारकों द्वारा महामारी के दौरान आयोजित रैलियों, जनसभाओं और रोड शो में इसका उल्लंघन किया गया. इससे संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है.

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Published : Aug 23, 2021, 5:13 PM IST

Updated : Aug 23, 2021, 5:22 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को निर्वाचन आयोग (ईसी) को उस याचिका पर जवाब दाखिल करने का समय दिया, जिसमें आयोग द्वारा कोविड-19 महामारी के मद्देनजर जारी मास्क पहनने सहित अनिवार्य दिशानिर्देशों का बार-बार उल्लंघन करने वाले प्रचारकों और उम्मीदवारों को प्रचार करने से प्रतिबंधित करने का अनुरोध किया गया है.

निर्वाचन आयोग ने कहा कि याचिका अब व्यर्थ है, क्योंकि यह असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों में प्रचार के संबंध में थी जो अप्रैल में समाप्त हो गए थे.

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने निर्वाचन आयोग को याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया और मामले को 18 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

अदालत उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और थिंक टैंक 'सेंटर फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज' (सीएएससी) के अध्यक्ष विक्रम सिंह की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि केंद्र और निर्वाचन आयोग के आदेशों और दिशानिर्देशों के बावजूद कोविड-19 नियमों की परवाह किए बिना चुनाव प्रचार जोरों पर चल रहा है.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता विराग गुप्ता ने कहा कि निर्वाचन आयोग यह नहीं कह सकता कि याचिका का अब कोई औचित्य नहीं रह गया है और उनका आवेदन भी इस मामले में लंबित है. निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने कहा कि याचिकाकर्ता जांच की मांग कर रहे हैं, जबकि दिल्ली में कोई चुनाव नहीं हो रहा था, जहां याचिका दाखिल की गई थी.

उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग राज्य सरकार की जगह नहीं ले सकता है और यह केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने से संबंधित है.

गृह मंत्रालय ने याचिका में दायर अपने जवाब में पहले कहा था कि उसने इस साल मार्च में सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को सभी सभाओं में कोविड ​​-19 के उचित व्यवहार का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा था.

केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनुराग अहलूवालिया के माध्यम से दायर हलफनामे में, गृह मंत्रालय ने कहा था कि उसने कोविड-19 के उचित व्यवहार और मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के सख्त पालन के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी दिशा-निर्देशों में प्रावधान किए हैं.

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया था कि चुनाव की घोषणा करते समय निर्वाचन आयोग ने अपनी अधिसूचना में कहा था कि हर व्यक्ति को चुनाव से संबंधित हर गतिविधि के दौरान एक फेस मास्क पहनना होगा, लेकिन राजनीतिक दलों, उनके नेताओं तथा प्रचारकों द्वारा महामारी के दौरान आयोजित रैलियों, जनसभाओं और रोड शो में इसका उल्लंघन किया गया.

असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव विभिन्न चरणों में हुए थे. मतदान 27 मार्च को शुरू हुआ था और 29 अप्रैल को संपन्न हुआ था.

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को निर्वाचन आयोग (ईसी) को उस याचिका पर जवाब दाखिल करने का समय दिया, जिसमें आयोग द्वारा कोविड-19 महामारी के मद्देनजर जारी मास्क पहनने सहित अनिवार्य दिशानिर्देशों का बार-बार उल्लंघन करने वाले प्रचारकों और उम्मीदवारों को प्रचार करने से प्रतिबंधित करने का अनुरोध किया गया है.

निर्वाचन आयोग ने कहा कि याचिका अब व्यर्थ है, क्योंकि यह असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों में प्रचार के संबंध में थी जो अप्रैल में समाप्त हो गए थे.

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने निर्वाचन आयोग को याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया और मामले को 18 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

अदालत उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और थिंक टैंक 'सेंटर फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज' (सीएएससी) के अध्यक्ष विक्रम सिंह की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि केंद्र और निर्वाचन आयोग के आदेशों और दिशानिर्देशों के बावजूद कोविड-19 नियमों की परवाह किए बिना चुनाव प्रचार जोरों पर चल रहा है.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता विराग गुप्ता ने कहा कि निर्वाचन आयोग यह नहीं कह सकता कि याचिका का अब कोई औचित्य नहीं रह गया है और उनका आवेदन भी इस मामले में लंबित है. निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने कहा कि याचिकाकर्ता जांच की मांग कर रहे हैं, जबकि दिल्ली में कोई चुनाव नहीं हो रहा था, जहां याचिका दाखिल की गई थी.

उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग राज्य सरकार की जगह नहीं ले सकता है और यह केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने से संबंधित है.

गृह मंत्रालय ने याचिका में दायर अपने जवाब में पहले कहा था कि उसने इस साल मार्च में सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को सभी सभाओं में कोविड ​​-19 के उचित व्यवहार का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा था.

केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनुराग अहलूवालिया के माध्यम से दायर हलफनामे में, गृह मंत्रालय ने कहा था कि उसने कोविड-19 के उचित व्यवहार और मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के सख्त पालन के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी दिशा-निर्देशों में प्रावधान किए हैं.

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया था कि चुनाव की घोषणा करते समय निर्वाचन आयोग ने अपनी अधिसूचना में कहा था कि हर व्यक्ति को चुनाव से संबंधित हर गतिविधि के दौरान एक फेस मास्क पहनना होगा, लेकिन राजनीतिक दलों, उनके नेताओं तथा प्रचारकों द्वारा महामारी के दौरान आयोजित रैलियों, जनसभाओं और रोड शो में इसका उल्लंघन किया गया.

असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव विभिन्न चरणों में हुए थे. मतदान 27 मार्च को शुरू हुआ था और 29 अप्रैल को संपन्न हुआ था.

Last Updated : Aug 23, 2021, 5:22 PM IST
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