मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली पुलिस के सेवानिवृत्त एसीपी सुंदरलाल पाराशर को जमानत दे दी. जिन्हें एनआईए ने एक अलग खालिस्तान के लिए सिख उग्रवाद को पुनर्जीवित करने का प्रयास करने वाले समूह से जुड़े एक व्यक्ति को कथित तौर पर बंदूक मुहैया कराने के आरोप में गिरफ्तार किया था.
दिल्ली निवासी पाराशर, जिसे 2019 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार किया था, ने मुंबई की एक विशेष अदालत द्वारा उसकी जमानत याचिका खारिज करने के बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने बुधवार को विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ पाराशर की अपील को स्वीकार कर लिया. उच्च न्यायालय की पीठ ने विशेष अदालत के फैसले को खारिज कर दिया और मामले की सुनवाई पूरी होने तक पाराशर को जमानत दे दी. उन्हें अगले छह महीनों के लिए महीने में एक बार मुंबई में एनआईए कार्यालय के सामने पेश होना होगा.
वकील मुबीन सोलकर के माध्यम से दायर अपनी याचिका में पाराशर ने कहा था कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और एनआईए मामले में उनकी संलिप्तता स्थापित करने में विफल रही है.
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एनआईए ने अपने आरोप पत्र में कहा था कि पाराशर ने एक कथित खालिस्तान समर्थक हरपाल सिंह को एक पिस्तौल और जिंदा कारतूस प्रदान किया था. जिसके कट्टरपंथी समूह बब्बर खालसा इंटरनेशनल से संबंध थे. मामले में उच्च न्यायालय के विस्तृत आदेश का इंतजार है.