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23 हफ्ते का भ्रूण हटाने की मांग, कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड गठित करने का दिया आदेश

23 हफ्ते के भ्रूण को हटाने के लिए महिला की ओर से दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट ने लेडी हार्डिंग अस्पताल को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया है.

Delhi high court
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Published : Oct 1, 2021, 10:05 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला के 23 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए लेडी हार्डिंग अस्पताल को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया है.

जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने लेडी हार्डिंग अस्पताल को चार दिनों के अंदर यह बताने को निर्देश दिया कि क्या महिला का भ्रूण हटाया जा सकता है. बता दें कि मामले की अगली सुनवाई छह अक्टूबर को होगी.

सुनवाई के दौरान महिला की ओर से वकील स्नेहा मुखर्जी ने कहा कि महिला को 23 हफ्ते का भ्रूण है. उसका लेडी हार्डिंग अस्पताल में चेकअप के दौरान पता चला कि भ्रूण में कई गड़बड़ियां हैं. अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट के मुताबिक भ्रूण के सिर में हड्डी नहीं है. इसके अलवा उसे स्मॉल एट्रोफिक है और उसकी हड्डियों में खराबी है. रिपोर्ट में पाया गया है कि भ्रूण को हल्का जलोदर है.

इसे भी पढ़ें-दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप की शिकार महिला को 20 हफ्ते का भ्रूण हटाने की अनुमति दी

याचिका में कहा गया है कि एमपीटी एक्ट में संशोधन कर 24 हफ्ते तक के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी गई है लेकिन इस संशोधन को अभी नोटिफाई नहीं किया गया है. इसकी वजह से उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है.

कोर्ट ने कहा कि महिला का इलाज लेडी हार्डिंग अस्पताल में चल रहा है इसलिए एम्स अस्पताल की बजाय वही मेडिकल बोर्ड गठित कर ये बताएं कि याचिकाकर्ता का भ्रूण हटाने से महिला को कोई परेशानी तो नहीं होगी.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला के 23 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए लेडी हार्डिंग अस्पताल को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया है.

जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने लेडी हार्डिंग अस्पताल को चार दिनों के अंदर यह बताने को निर्देश दिया कि क्या महिला का भ्रूण हटाया जा सकता है. बता दें कि मामले की अगली सुनवाई छह अक्टूबर को होगी.

सुनवाई के दौरान महिला की ओर से वकील स्नेहा मुखर्जी ने कहा कि महिला को 23 हफ्ते का भ्रूण है. उसका लेडी हार्डिंग अस्पताल में चेकअप के दौरान पता चला कि भ्रूण में कई गड़बड़ियां हैं. अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट के मुताबिक भ्रूण के सिर में हड्डी नहीं है. इसके अलवा उसे स्मॉल एट्रोफिक है और उसकी हड्डियों में खराबी है. रिपोर्ट में पाया गया है कि भ्रूण को हल्का जलोदर है.

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याचिका में कहा गया है कि एमपीटी एक्ट में संशोधन कर 24 हफ्ते तक के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी गई है लेकिन इस संशोधन को अभी नोटिफाई नहीं किया गया है. इसकी वजह से उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है.

कोर्ट ने कहा कि महिला का इलाज लेडी हार्डिंग अस्पताल में चल रहा है इसलिए एम्स अस्पताल की बजाय वही मेडिकल बोर्ड गठित कर ये बताएं कि याचिकाकर्ता का भ्रूण हटाने से महिला को कोई परेशानी तो नहीं होगी.

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